डेली पोस्ट समाचार पत्र की हिमाचल ब्यूरो अर्चना फुल से हिम शिमला लाइव की संपादक सरिता चौहान बातचीत करते हुए

पत्रकार महिला से एक खास मुलाकात

सफर तय करो तो राहें भी खुल जाएंगी
हौंसला बुलंद हो तो मंजिल भी मिल जाएगी
बेटी होना कोई जुर्म नहीं, बुलंदी पर पहुंची
हजारों बेटियों की मिसाल मिल जाएगी।।

डेली पोस्ट समाचार पत्र की हिमाचल ब्यूरो अर्चना फुल से हिम शिमला लाइव की संपादक सरिता चौहान से ख़ास मुलाकात

डेली पोस्ट समाचार पत्र की हिमाचल ब्यूरो अर्चना फुल से हिम शिमला लाइव की संपादक सरिता चौहान से ख़ास मुलाकात

हम अपने विशेष हस्ती कॉलम में कुछ खास हस्तियों से आपको रूबरू करवाएंगे और उनके जीवन के खटटे-मिटठे अनुभवों से अवगत करवाएंगे। अगर बात हो पहले पत्रकारिता के क्षेत्र की तो शायद यह सोने पे सुहागा वाली बात होगी। क्यों? पत्रकारिता के क्षेत्र में जिन्होंने उम्दा काम किया और अपनी विशेष पहचान बनाई । बेटियों को जहां आज भी जन्म से पहले ही कोख में मार दिया जाता है और होने पर उन्हें बोझ समझा जाता है। ऐसी बुराई को खत्म करने के लिए हमारा भी एक प्रयास है।  हमारी कोशिश है कि हम पहली शुरूआत पत्रकारिकता से जुड़ी महिला से करें। क्योंकि ऐसे में ऐसी बेटियों की भी कमी नहीं जो आज हर क्षेत्र में अपनी एक खास पहचान बनाए हुए है। वो ऐसे लोगों की सोच बदलने के लिए एक मिसाल हैं जो समझते हैं कि बेटी होना किसी अपराध से कम नहीं। उन्हें यहां तक पहुंचने में उनके खट्टे-मीठे पल और उनके अनुभव कैसे रहे आईये जाने।

जी हां बात करते हैं अर्चना फुल से जिनकी पत्रकारिता की शुरूआज कुछ यूं रही। पेश है इस विषय में हिम शिमला लाइव की संपादक सरिता चौहान की एक खास रिपोर्ट :
अंग्रेजी के न्यूज़ पेपर डेली पोस्ट की हिमाचल ब्यूरो अर्चना फुल जो कि इससे पहले हिन्दुस्तान टाईम्स की भी ब्यूरो रह चुकीं हैं, का कहना है  कि उनका इस क्षेत्र में आना इतेफाक था। वह तो कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से कृषि अर्थशास्त्र में एमएससी कर रहीं थीं। परन्तु उनके पिता पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए थे उनका सुझाव था कि अर्चना फुल भी इस क्षेत्र में काम करें। जहां अर्चना फुल में पहले से ही अपनी एक अलग पहचान बनाने और कुछ हटकर करने की चाह थी। इतेफाक यह रहा कि पालमपुर में रहने वाली अर्चना ने पीएचडी छोड़ पत्रकारिता के क्षेत्र में शिक्षा हासिल की। पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने अपनी एक खास पहचान बनाने में बेहतरीन कामयाबी हासिल की।

महिला होने के नाते भी उन्हें इस क्षेत्र में कार्य करने में कोई परेशानी नहीं हुई। 1993 में उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा और 1995 में उनका विवाह हुआ। उनका कहना है कि परिवार और काम के बीच बेहतर तालमेल बनाने का हुनर अगर महिला में हो तो परिवार भी आपके साथ पूरा सहयोग करता है। यह भी एक वजह रही कि उनके परिवार ने उन्हें हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया।
अर्चना अपने इस मुकाम पर पहुंचने का श्रेय कड़ी मेहनत, सीखने की क्षमता और सकारात्मक सोच को देती हैं। अर्चना फुल का मानना है कि कड़ी मेहनत और सच्ची लग्र सफलता प्रदान करती है। उनका कहना है कि पुरूष पत्रकार के मुकाबले महिला पत्रकार ज्यादा बेहतर काम कर सकती हैं। महिला होने के नाते वे सभी मुद्दों को, विशेषकर महिलाओं व समाज से जुड़े मुद्दों को संवेदनशीलता से देखती हैं।

उनका कहना है कि महिलाओं को पुरूषों के मुकाबले दुगुनी मेहनत करनी होती है। क्योंकि उन्हें अपने कार्यक्षेत्र के साथ-साथ घर-परिवार की जिम्मेवारी भी निभानी पड़ती है। पत्रकार महिला के लिए समाज के प्रति भी एक अह्म जिम्मेवारी होती है। जिसे बखूबी निभाना उसके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होता। आज के बदलते परिवेश में पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काफी ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। अधिक संख्या में न्यूज़ पेपर्स, न्यूज़ चैनल्स और मैगज़ीन आ गई हैं। ऐसे में कम्पीटिशन बहुत बढ़ गया है। एक-दूजे से आगे बढऩे की होड़ सी लग गई है। ऐसे में पत्रकारिता सही मायनों में अपना वजूद खोती नज़र आ रही है। आज के कुछ युवा पत्रकारों में अनुभव और संयम दोनों की कमी साफ देखने को मिलती है। आवश्यक है कि युवा पत्रकार जल्दी कामयाब होने की इच्छा में पत्रकारिता के मूल अर्थ को न भूलें। हालांकि यह भी अक्सर देखने को मिलता है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में बच्चे आगे बढऩा चाहते हैं। क्योंकि आज के बच्चों में बहुत जोश है वो किसी से डरते नहीं लेकिन हमारे ज़माने में किसी विषय पर कोई जानकारी लेने के लिए पहले दस बार सोचना पड़ता था। पहले खुद जानकारी होना जरूरी होता था पर अब ऐसा नहीं है। आज के युवा पत्रकार जल्दबाजी में अधिक रहते हैं। जानकारियों का अभाव है। आज टेबल स्टोरी ज्यादा हो रही हैं। उस वक्त आप फोन भी कम इस्तेमाल करते थे लेकिन अब इंटरनेट और मोबाइल फोन पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी सफल हुए हैं, वहीं इनका खामियाज़ा भी काफी देखने को मिला है।

पत्रकारिता के क्षेत्र में कड़ी मेहनत के साथ-साथ हर पत्रकार के लिए जरूरी है अपने काम को बेहतर तरीके से समझना और फिर उसे करना। महिला पत्रकार होने के नाते मुझे कभी भी पत्रकारिता के क्षेत्र में कोई दिक्कत नहीं आई। हमेशा अच्छे लोग साथ रहे। सबसे सीखा और आज भी सीख रही हूं। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने अनुभव को लेकर अर्चना फुल का कहना है कि पीछे मुडक़र देखती हूं तो मुझे अपने किए काम से संतुष्टी है, बेहतर समय रहा, बेहतर काम किया। आगे भी इसी तरह करती रहूंगी।
वहीं उन्होंने हिम शिमला लाइव के लिए ढेरों शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने हमें कुछ सुझाव भी दिए। जिन्हें हम हमेशा अमल में लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने हमसे वायदा किया कि उनका मार्गदर्शन और सहयोग हमें हमेशा मिलता रहेगा।

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