सर्वविख्यात धार्मिक पर्यटन स्थल की नगरी "चंबा"

हिमाचल: सर्वविख्यात धार्मिक पर्यटन स्थल की नगरी “चंबा”

चौगान

चंबा का चौगान एक ऐसा विस्तृत मैदान है जहां हर कोई थोड़ी देर बैठकर जरूर आराम करना चाहेगा। यहां से दिखने वाला चंबा का सुंदर नजारा हर किसी को अपने आकर्षण में बांध देता है। यह मैदान हर वर्ष अगस्त माह में मनाए जाने वाले मिंजर मेले तथा वर्ष भर मनाए जाने वाले अन्य उत्सव, कार्यक्रमों का गवाह बनता है। यह खुला घास का मैदान  लगभग 1 किमी. लंबा और 75 मीटर चौड़ा यह मैदान चंबा के बीचों बीच स्थित है। चौगान में प्रतिवर्ष मिंजर मेले का आयोजन किया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय निवासी रंग बिरंगी वेशभूषा में आते हैं। इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

बजरेश्वरी मंदिर

यह प्राचीन मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है। प्रकाश की देवी बजरेश्वरी को समर्पित यह मंदिर नगर के उत्तरी हिस्से में स्थित जनसाली बाजार के अंत में स्थित है। शिखर शैली में निर्मित इस मंदिर का छत लकड़ी से बना है और एक चबूतरे पर स्थित है। मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है।

सुई माता मंदिर

चंबा के निवासियों के लिए अपना जीवन त्यागने वाली यहां की राजकुमारी सुई को यह मंदिर समर्पित है। यह मंदिर शाह मदार हिल की चोटी पर स्थित है। यहाँ सुई माता नें कुछ समय के लिए विश्राम किया था। यहाँ सुई माता की याद में यहां हर साल सुई माता का मेला चैत महीने से शुरु होकर बैसाख महीने तक चलता है। यह मेला महिलाओं और बच्चों द्वारा मनाया जाता है। मेले में रानी के गीत गाए जाते हैं और रानी के बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग सुई मन्दिर से रानी के वलिदान स्थल मलूना तक जाते हैं।

चामुन्डा देवी मंदिर

 चंबा अपने रमणीय मंदिरों और हैंडीक्राफ्ट के लिए सर्वविख्यात

यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है जहां से चंबा की स्लेट निर्मित छतों और रावी नदी व उसके आसपास का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर के दरवाजों के ऊपर, स्तम्भों और छत पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के पीछे शिव का एक छोटा मंदिर है। मंदिर चंबा से तीन किलोमीटर दूर चंबा-जम्मुहार रोड़ के दायीं ओर है। भारतीय पुरातत्व विभाग मंदिर की देखभाल करता है।

हरीराय मंदिर

भगवान विष्णु का यह मंदिर 11 शताब्दी में बना था। कहा जाता है कि यह मंदिर सालबाहन ने बनवाया था। मंदिर चौगान के उत्तर पश्चिम किनारे पर स्थित है। मंदिर के शिखर पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। हरीराय मंदिर में चतुमूर्ति आकार में भगवान विष्णु की कांसे की बनी अदभुत मूर्ति स्थापित है। केसरिया रंग का यह मंदिर चंबा के प्राचीनतम मंदिरों में एक है।

यह हिमाचल प्रदेश का शिखर शैली में बना बहुत पुराना मंदिर है। देवी लक्ष्मी को यहां महिसासुरमर्दिनी रूप में दिखाया गया है। मंदिर में स्थापित देवी की पीतल की प्रतिमा राजा मेरू वर्मन के उस्ताद कारीगर मुग्गा ने बनाई थी। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश का प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां हर साल मणिमहेश यात्रा का आयोजन होता है।

रंगमहल

यह प्राचीन और विशाल महल सुराड़ा मोहल्ले में स्थित है। महल में अब हिमाचल एम्पोरियम बना दिया गया है। इस महल की नींव

राजा उमेद सिंह ने (1748-1768) डाली थी। महल का दक्षिणी हिस्सा राजश्री सिंह ने 1860 में बनवाया था। यह महल मुगल और ब्रिटिश शैली का मिश्रित उदाहरण है। यह महल यहां के शासकों का निवास स्थल था।

अखंड चंडी महल

चंबा के शाही परिवारों का यह निवास स्थल राजा उमेद सिंह ने 1748 से 1764 के बीच बनवाया था। महल का पुनरोद्धार राजा शाम सिंह के कार्यकाल में ब्रिटिश इंजीनियरों की मदद से किया गया। 1879 में कैप्टन मार्शल ने महल में दरबार हॉल बनवाया। बाद में राजा भूरी सिंह के कार्यकाल में इसमें जनाना महल जोड़ा गया। महल की बनावट में ब्रिटिश और मुगलों का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। 1958 में शाही परिवारों के उत्तराधिकारियों ने हिमाचल सरकार को यह महल बेच दिया। बाद में यह महल सरकारी कॉलेज और जिला पुस्तकालय के लिए शिक्षा विभाग को सौंप दिया गया।

मणीमहेश झील :

पवित्र झील मणीमहेश की यात्रा हर वर्ष अगस्त मध्य से सितंबर मध्य के दौरान की जाती है। भरमौर से लगभग 28 कि.मी. की इस

4183 मीटर की ऊंचाई पर बसी यह झील भगवान शिव को समर्पित है

पैदल और बेहद कठिन ऊंचाई की इस यात्रा के लिए हर वर्ष दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। 4183 मीटर की ऊंचाई पर बसी यह झील भगवान शिव को समर्पित है। इस झील में इस दौरान किया गया स्नान पवित्र माना जाता है।

आवागमन

वायुमार्ग : चंबा जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट पंजाब के अमृतसर में है जो चंबा से 240 किमी. दूर है। अमृतसर से चंबा जाने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।

रेलमार्ग: चंबा से 140 किमी. दूर पठानकोट नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट दिल्ली और मुम्बई से नियमित ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा चंबा पहुंचा जा सकता है।

सडक़ मार्ग: चंबा सड़क मार्ग से हिमाचल के प्रमुख शहरों व दिल्ली और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें चंबा के लिए नियमित रूप से चलती हैं।

 

 

 

 

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