शुरूआत में धीरे-धीरे टहलें और फिर अपना लक्ष्य बढ़ाएं। साथ ही यह भी ध्यान में रखें कि टहलने से पहले हल्का खाना जरूर खाएं। टहलने जाने से पहले या बाद में खूब सारा पेय पदार्थ लें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। ध्यान रखें कि खुद को बहुत ज्यादा न थकाएं। अगर आपको छाती में दर्द या अन्य किसी तरह की तकलीफ हो रही है तो टहलना तुरंत रोक दें और डॉक्टर से बात करके ही इसे फिर से शुरू करें।
टहलना (वॉकिंग) एक अच्छा विकल्प
टहलना एक ऐसा व्यायाम है जो कोई भी और कभी भी कर सकता है
फिटनेस का नाम आते ही महंगे फिटनेस सामान, जिम, एरोबिक्स क्लास आदि ध्यान में आते हैं। हालांकि यह चीजें हमें चुस्त तो रखती हैं लेकिन साथ ही हमारी जेब भी कुछ हल्की कर देती हैं। ऐसे में टहलना (वॉकिंग) एक अच्छा विकल्प है। बढ़ती उम्र स्वास्थप्रद रहने के लिए हर रोज कम से कम 6000 कदम चलना जरूरी है। एक अध्ययन में इससे मधुमेह और हृदय रोग का खतरा कम होने का पता चला है। पूर्व में किए गए अध्य्यनों के मुताबिक नियमित व्यायाम से मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के खतरे कम होते हैं। वहीं अध्ययन से पता चला है कि रोजमर्रा की गतिविधियों से शरीर की सक्रियता भी महिलाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है।अपनी सेहत सुधारने के लिए, चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए, वजन नियंत्रित करने के लिए या फिर बीमारी के बाद फिर से स्वस्थ होने के लिए टहलना बहुत जरूरी है। यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे बच्चे, बड़े या बूढ़े सभी कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम कि किस तरह का व्यायाम उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली के लिए सही है। लेकिन टहलना एक ऐसा व्यायाम है जो कोई भी और कभी भी कर सकता है। यह एक बढिय़ा कार्डियोवैस्क्यूलर व्यायाम है जिसकी सलाह डॉक्टर भी देते हैं।
टहलने से मांसपेशियों में ताकत बढ़ती है और हड्डियां मजबूत रहतीं हैं
पीठ दर्द की शिकायत वाले लोगों को टहलने से राहत मिलती है और रक्त संचार बेहतर होता है
टहलने से दिल और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं, साथ ही शरीर का वसा भी कम होता है। यही नहीं, टहलने से मांसपेशियों में ताकत बढ़ती है और हड्डियां मजबूत रहतीं हैं। पीठ दर्द की शिकायत वाले लोगों को टहलने से राहत मिलती है और रक्त संचार बेहतर होता है। साथ ही इससे संक्रमण और उच्च-रक्तचाप का खतरा कम होता है और शरीर में अच्छे कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ती है। कुछ लोगों का मानना हैं कि सुबह-सुबह टहलने से अच्छा कुछ भी नहीं होता। टहलने के दौरान शरीर में एंडोरफिन हार्मोन उत्सर्जित होता है जो एक प्राकृतिक दर्द निवारक है और इससे शरीर को अच्छा एहसास होता है। टहलने से दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है। दरअसल टहलने के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ जाती है। इससे दिल की कसरत होती है और दिल का दौरा पडऩे का खतरा भी कम होता है।रोजाना आधे से एक घंटा टहलने से पेट की बीमारियां, कमर का दर्द, झुकने और उठने की दिक्कतें दूर होती हैं। यही नहीं इससे शरीर अच्छे आकार में रहती है और जल्दी थकान नहीं होती है। इससे शरीर की मुद्रा सुधारने में भी मदद मिलती है।
रोजाना टहलने से तनाव और घबराहट में कमी आती है
रोजाना टहलने से तनाव और घबराहट में कमी आती है।टहलते समय इस बात का ध्यान रखें कि खुद को बहुत ज्यादा न थकाएं। अगर आपको छाती में दर्द या अन्य किसी तरह की तकलीफ हो रही है तो टहलना तुरंत रोक दें और डॉक्टर से बात करके ही इसे फिर से शुरू करें। शुरूआत में धीरे-धीरे टहलें और फिर अपना लक्ष्य बढ़ाएं। साथ ही यह भी ध्यान में रखें कि टहलने से पहले हल्का खाना जरूर खाएं। टहलने जाने से पहले या बाद में खूब सारा पेय पदार्थ लें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी।
चलना हमेशा फायदेमंद होता है। खास वक्त पर खास स्पीड से वॉक की जाए तो यह अच्छी कसरत साबित होती है।
इससे पूरी बॉडी की कसरत हो जाती है।
शरीर का पाचन बढ़ता है।
डिप्रेशन व चिड़चिड़ापन कम होता है।
दिमाग चुस्त-दुरुस्त होता है।
शरीर रिलैक्स होता है और अच्छा महसूस होता है।
फैट घटने से वजन कम करने या मेनटेन करने में मदद मिलती है।
दिल की बीमारियों और स्ट्रोक (लकवा) का खतरा कम होता है।
ब्लड-प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल घटता है।
हड्डियां मजबूत होती हैं, ऑस्टियोपॉरोसिस का खतरा कम होता है।
आर्थराइटिस की आशंका घटती है।
शरीर का लचीलापन बढऩे से चोटों की आशंका कम होती है।
ध्यान रखें
वॉकिंग/जॉगिंग शूज पहनकर ही वॉक पर जाएं। कपड़े थोड़े ढीले और हवादार हों।
वॉक शुरू करने से पहले शरीर खासकर पैरों को स्ट्रेच कर लें।
झुकने से बचें। रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए, लेकिन उसे जबरन अकड़ाएं नहीं। ध्यान रहे कि वॉक कर रहे हैं, मार्च-पास्ट नहीं।
फेफड़ों के बजाय पेट (डायफ्राम) से सांस लें।
हाथ जरूर हिलाएं, लेकिन उन्हें उतनी ही ऊंचाई तक ले जाएं, जिससे दिक्कत न हो। हाथों की नैचरल स्विंग होनी चाहिए।
वॉक के दौरान मोबाइल या वॉकमैन के ईयर फोन से गाना या क्लासिकल म्यूजिक भी सुन सकते हैं। इससे दिमाग रिलैक्स होता है। सडक़ पर वॉक करते हुए ईयरफोन लगाकर गाना सुनना खतरनाक हो सकता है।
वॉक करते हुए मुंह से सांस न लें। इससे मुंह सूख जाता है और फेफड़ों समेत पूरी बॉडी को सही से ऑक्सिजन नहीं मिल पाती। फेफड़ों में धूल भी पहुंचती है।
आपस में या फोन पर गप मारते हुए वॉक न करें। इससे चलने के फायदे कम हो जाते हैं, क्योंकि शरीर और दिमाग के बीच तालमेल होना जरूरी है।
ज्यादा गर्मी में वॉक से बचें। इससे हीट स्ट्रोक हो सकता है।
एड़ी के ज्यादा इस्तेमाल से बचें। पंजों पर जोर रहे तो बेहतर है, वरना टखने में दर्द हो सकता है।
नियमित सैर करने से न केवल मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, बल्कि बाजुओं, पेट एवं जाँघों से भी अतिरिक्त चर्बी कम होती है। जितनी अधिक हम सैर करेंगे उतनी ही अधिक कैलोरीज बर्न होगी एवं मोटापा कम होगा।
प्रातःकाल की खुली स्वच्छ वायु फेफड़ों में रक्त शुद्ध करने की क्रिया को प्रभावशाली बनाती है। इससे शरीर में ऑक्सीहीमोग्लोबीन बनता है, जो कोशिकाओं को शुद्ध ऑक्सीजन पहुँचाता है।
हृदय, रक्तचाप, स्नायु रोग, मधुमेह आदि के रोगियों को भी प्रातः सैर करने की चिकित्सक द्वारा सलाह दी जाती है।
सुबह की सैर हड्डियों के घनत्व को भी बढ़ाती है।
टहलने से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक क्षमता भी बढ़ जाती है एवं तनाव दूर होता है।
कम से कम प्रतिदिन 3 किलोमीटर एवं सप्ताह में 5 दिन अवश्य सैर करें।
इन बातों का भी रखें ख्याल बातें :
जूते आरामदायक हों ताकि चलते समय तकलीफ न हो।
सैर हेतु शांत वातावरण और चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य वाला (बाग-बगीचा) या खुला स्थान चुनें।
टहलते समय हल्की गहरी साँस लेने की आदत डालें और मन में शुद्ध विचार लाएँ।
शरीर का तापमान सामान्य रखने हेतु शरीर को अतिरिक्त पानी चाहिए, अतः सैर पर जाने से पहले और पश्चात एक गिलास पानी अवश्य पिएँ।
सैर के साथ व्यायाम भी करें
टहलते समय किसी प्रकार का मानसिक तनाव न रखें।
टहलते समय अपने हाथों को नीचे की ओर रखें और बराबर हिलाते रहें, इससे स्फूर्ति मिलती है।
हृदय रोग, रक्तचाप या कोई अन्य गंभीर समस्या वाले रोगी टहलना प्रारंभ करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आयु एवं क्षमता के अनुसार ही सैर करनी चाहिए।
सैर करते समय प्रारंभ और अंत में हमेशा गति धीमी रखें। यही नहीं प्रातः भ्रमण के पश्चात हमें संतुलित आहार की ओर भी ध्यान देना होगा।
अपनी व्यस्त दिनचर्या में से 20-25 मिनट निकालिए, अपने तन और मन को स्वस्थ रखने हेतु संकल्प लीजिए एवं थोड़ा-सा समय गुजारिए प्रदूषण मुक्त सुबह की ठंडी सुहावनी हवा में, जो प्रकृति ने हमें उपहारस्वरूप दी है।