"गणेशोत्सव"......गणेश जी को संकट हरता क्यूँ कहा गया ?

गणेश चतुर्थी पर गजकेसरी और वैघृति योग: किन राशियों की चमकेगी किस्मत जानें.. : आचार्य महिंद्र कृष्ण शर्मा

संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कैसे करें…

माघ मास के कृष्ण पक्ष को आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी या तिल चौथ कहा जाता है। बारह माह के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है।

कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी :-

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैंचतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

 इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।

 श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें।

 तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें।

माघी

 फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें।

 गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।

 श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्‍डू तथा मोदक का भोग लगाएं। ‘ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।’

 सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।

 तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।

 विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ‘ॐ गणेशाय नम:’ अथवा ‘ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।

 इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें। तिल-गुड़ के लड्डू, कंबल या कपडे़ आदि का दान करें।

जीवन के समस्त कष्टों का निवारण करने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।

गणेश उत्सव को सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं

गणेश उत्सव को सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं

गणेश उत्सव को सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं क्यूंकि यह त्यौहार केवल घर के लोंगो के बीच ही नहीं सभी आस पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाया जाता हैंगणेश जी की स्थापना घरो के आलावा कॉलोनी एवम नगर के सभी हिस्सों में की जाती हैंविभिन्न प्रकार के आयोजन, प्रतियोगिता रखी जाती हैंजिनमे सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैंऐसे में गणेश उत्सव के बहाने सभी में एकता आती हैंव्यस्त समय से थोड़ा वक्त निकाल कर व्यक्ति अपने आस पास के परिवेश से जुड़ता हैं

गणेश चतुर्थी का व्रत महत्व

जीवन में सुख एवं शांति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती हैं।

संतान प्राप्ति के लिए भी महिलायें गणेश चतुर्थी का व्रत करती हैं।

बच्चों एवम घर परिवार के सुख के लिए मातायें गणेश जी की उपासना करती हैं।

शादी जैसे कार्यों के लिए भी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं।

किसी भी पूजा के पूर्व गणेश जी का पूजन एवम आरती की जाती हैं। तब ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती हैं।

माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के आलावा हर महीने की चतुर्थी का व्रत भी किया जाता हैं।

गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी कहा जाता हैं। इसे करने से लोगो के संकट दूर होते हैं।

गणेश चतुर्थी कथा कहानी

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