जानिए आचार्य महिंद्र कृष्ण शर्मा से क्या होता है..जब कुल देवी या कुल देवता होते हैं नाराज़

जिस तरह घर में अन्य देवी-देवता की पूजा होती है, कुल देवी या देवता की पूजा भी करने का विधान है। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए जिस तरह गणपति जी प्रथम पूजनीय माने गए हैं, उसी तरह से कुल देवी या देवता की पूजा भी सबसे महत्वपूर्ण है जोकि करनी चाहिए। कुल देवी या देवता की पूजा हर घर में होनी बहुत जरूरी होती है। कुल देवी या देवता की अनदेखी या उनकी पूजा न करना पुराणों में बहुत ही गलत माना गया है। कुल देवी या देवता की पूजा करना हर दिन जरूरी होता है।

हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज माने गए हैं। उनके गोत्र का निर्धारण भी उन्हीं के नाम पर हुआ है। जब कुल देवी या कुल देवता नाराज़ होते है तो घर में गरीबी, हर कार्य मे असफलता, रोग ब्याधि घर मे कलह, संतति हानि इत्यादि उपद्रव घर मे देखा जाता है।घर में कलह झगड़ा इत्यादि शुरू हो जाता है।

कुलदेवता या कुलदेवी का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। इनकी पूजा आदिकाल से चलती आ रही है, इनके आशर्वाद के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। यही वो देव-देवी है जो कुल की रक्षा के लिए हमेशा सुरक्षा घेरा बनाये रखते हैं। आपकी पूजा पाठ, व्रत कथा जो भी आप धार्मिक कार्य करते हैं उनको वो आपके इष्ट तक पहुँचाते हैं। इनकी कृपा से ही कुल वंश की प्रगति होती है। लेकिन.. आज के आधुनिक युग में लोगो को ये ही नहीं पता की हमारे कुलदेव या देवी कौन है? जिसका परिणाम हम आज भुगत रहे हैं। आज हमें यह पता ही नहीं चल रहा की हम सब पर इतनी मुसीबतें आ क्यों रहीं हैं ? बहुत से ऐसे लोग भी हैंजो बहुत पूजा पाठ करते हैं, बहुत धार्मिक है फिर भी उसके परिवार में सुख शांति नहीं है। ये संकेत हैं कि आपके कुलदेव या देवी आपसे रुष्ट हैं। इन सब बातों से साफ है कि आपके ऊपर से सुरक्षा चक्र हट चूका है, जिसके कारण नकारात्मक शक्तियां आप पर हावी हो जाती हैं। फिर चाहे आप कितना पूजा – पाठ करवा लो कोई लाभ नहीं होगा।

पूर्व काल से ही हर पूर्वज अपने कुल के जनक की पूजा करते आए हैं ताकि उनके घर-परिवार और कुल का कल्याण होता रहे। कुल देवी या देवता आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति से कुलों की रक्षा करते हैं। जिससे नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जाओं का खात्मा होता रहे।

कुल देवी या देवता की पूजा नहीं करने से कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नजर नहीं आता लेकिन धीरे-धीरे जब कुल देवी या देवता का घर-परिवार पर से सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाएं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है। यही नहीं घर-परिवार की उन्नति रुकने लगती है। संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, अशांति का वास होने लगता है। ग्रह-नशत्र का मेल अच्छा होते हुए भी परिवार का कल्याण नहीं होता।

कुल देवता या देवी घर का सुरक्षा आवरण होते हैं जो बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और संकट से सबसे पहले जूझते हैं। उसे घर में प्रवेश करने से रोकते हैं। पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति कुल देवी-देवता सचेत करते रहते हैं। यदि इन्हें घर-परिवार में मान-सम्मान नहीं मिलता या इनकी पूजा नहीं की जाती तो यह नाराज हो जाते हैं और अपनी सारी शक्तियों से घर को विहिन कर देते हैं। ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करें, वह उन तक नहीं पहुंचती। बाहरी बाधाएं, अभिचार, नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा घर में प्रवेश करने लगती है और जीवन नर्क समान बना देती हैं।

कुल देवी-देवता की पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर की जाती है। हर परिवार का अपना समय निर्धारित होता है। साथ ही शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि पर भी इनकी विशिष्ट पूजा की जानी चाहिए। इस दोष से मुक्ति पाने हेतु अपने कुल के देवी-देवता की पूजा जरूर करें। कुल के देवी-देवताओं की पूजा करने से ये दोष दूर हो जाता है।

पूजा करते हुए उन्हें सुंदर फूल, खुशबूदार धूप और इत्यादि चीजें अर्पित करें और उनसे क्षमा मांगे।कुल देवता या कुल की देवी को जरूर पूजे या स्मरण करते रहे। ऐसा करने से न केवल घर में शांति बनी रहेगी वहीं सुख समृद्धि भी हमेशा कायम रहेगी। माना जाता है कि देवी देवता को कुछ नहीं चाहिये, उनकी मूर्ति या तस्वीर के सामने सिर्फ अगरबत्ती या दीपक ही लगा दिया जाये तो भी वे पर प्रसन्न हो जाते हैं। उनके नाम से रोज धूप-दीप जला दिया जाए तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिये कुछ न बने तो सुबह या फिर शाम अपने परिवार के कुल देवता, कुलदेवी के नाम पर अगरबत्ती जरूर ही लगाये। फिर देखिये आपके कुल देवता, कुलदेवी आप पर कृपा बरसाती है या नहीं या फिर आपकी मनोकामनाओं को पूरा होती है अथवा नहीं। इस काम को करते वक्त पूरी आस्था और विश्वास जरूर होना चाहिये। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले हम अपनी कुल देवी की पूजा जरूर करते हैं। शास्त्रों के अनुसार कुलदेवी-देवता की कृपा के बिना कोई कार्य पूरा नहीं हो पाता है। लोग भावुक होकर अथवा बड़ी बड़ी पूजा-पाठ कई साधनाएं तो करते हैं, पर वो जानते नहीं कि जब आप अपनी कुलदेवी देवता को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हो , वो साधना कभी फलीभूत नहीं होती। उलटा कुलदेवी-देवता का प्रकोप व नाराजगी और ज्यादा बढ़ती है।

कुल परम्परा के हर कुल में कुल देवियों-देवता का पूजन पूर्व काल में हर घर में होता था। आधुनिकता की चमक धमक में आज लोग इस परंपरा भूल चुके हैं। यहां तक उन्हें अपने कुल देवी-देवता का नाम भी पता नहीं। यह बहुत दु:खद है। हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता हमें हमेशा हमारे देवी-देवताओं का सम्मान करना सिखाती है हमें भूलना नहीं चाहिए कि हमारे परिवार और हमें सबसे पहले सुरक्षा हमारे कुल देवी-देवता ही प्रदान करते हैं। जब लोग हर तरह की परेशानियों में घिर जाते हैं तब किसी जानकार तांत्रिक मांत्रिक या गावँ के ओझा के पास जाते हैं और वहां जाकर अपने ऊपर आई तकलीफों का कारण पूछते हैं। तांत्रिक मांत्रिक अपने ज्ञान विद्या से अक्सर उन्हें कुल देवी या देवता का कोप मिलता है। देवी-देवताओं की सही ढंग से पूजा अर्चना की जाए तो हर सफलता प्राप्त होती है। विधि-विधान से बरसों से चली आ रही कुल देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना को सम्मान पूर्वक आज भी निभाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हमारे बड़े-बुजुर्ग इन्हें सदियों से निभाते आ रहे हैं

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