हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद "आलू "

हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद “आलू “

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर

आलू सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली लोकप्रिय सब्जी है। जोकि पूरी दुनिया में उगाया जाता है, लेकिन इसका मूल स्थान दक्षिण अमेरिका है। भारत में यह 16वीं शताब्दी के आसपास पुर्तगालियों द्वारा लाया गया। एक स्टडी के अनुसार नियमित रूप से आलू का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। आलू में पाए जाने वाले तमाम तरह के लवणों की वजह से यह हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है। ये हड्डी को मजबूत बनाने के साथ ही उसकी सही संरचना के लिए भी जरूरी है।

ताकतवर मांसपेशियों के लिए भी आलू का इस्तेमाल किया जाता है। व्यायाम के बाद कार्बोहाइड्रेट शरीर को सबसे पहले ऊर्जा देने का काम करता है और आलू कार्बोहाइड्रेट का खजाना है। इससे मांसपेशियां ताकतवर बनती हैं।

आलू को कई लोग ना पंसद करते हैं क्योंकि आलू को आमतौर पर चरबी बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन आलू के कुछ ऐसे उपयोगी गुण भी हैं जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे। आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन,22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट,0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है।

आलू में पर्याप्त मात्रा में डाइट्री फाइबर मौजूद होते हैं, जो कोलेस्ट्राल के स्तर को बढ़ने नहीं देते हैं।

स्वस्थ त्वचा के लिए भी आलू एक सुविधाजनक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन सी डार्क सर्कल को दूर करता है और कार्बोहाइड्रेट मांसपेशियों को टाइट करने का काम करता है।

आलू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसका मुख्य पौष्टिक तत्व स्टार्च होता है। इसमें कुछ मात्रा उच्च जैविकमान वाले प्रोटीन की भी होती है। आलू क्षारीय होता है, इसलिए यह शरीर में क्षारों की मात्रा बढ़ाने या उसे बरकरार रखने में बहुत सहायक होता है। यह शरीर में ऐसीडोसिस भी नहीं होने देता। आलू में सोडा, पोटाश और विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आलू का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व विटामिन सी है। आलू के पौष्टिक तत्वों का लाभ लेने के लिए इसे हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू को उबाल कर, भूनकर या अन्य सब्जियों के साथ पकाया जाता है, इसलिए इसके पौष्टिक तत्व आसानी से हजम हो जाते हैं। शरीर उन्हें दो से तीन घंटों में आसानी से सोख लेता है। आलू का रस निकालने के लिए जूसर का प्रयोग किया जा सकता है, या फिर उसे कुचलकर या कूट-पीसकर उसका रस कपड़े में से छाना जा सकता है।

आलू का यदि कोई भाग हरा रह गया है तो उसे काटकर निकाल देना चाहिए, क्योंकि उसमें सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है। इसके अतिरिक्त यदि आलू में अंकुर आ गए हों, तो अंकुरित भाग काटकर निकाल देना चाहिए और उसे प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। आलू में औषधीय गुण जबर्दस्त हैं। यह आँतों में सड़न की प्रक्रिया को रोकता है और पाचन प्रक्रिया में सहायक बैक्टीरिया के विकास में सहायता करता है। आलू यूरिक अम्ल को घोलकर निकालता है। पुरानी कब्ज, आँतों में विषाक्तता, यूरिक अम्ल से संबंधित रोग, गुर्दों में पथरी, ड्रॉप्सी आदि रोगों के इलाज में आलू पर आधारित चिकित्सा को बहुउपयोगी माना गया है। स्कर्वी रोग में आलू को आदर्श आहार औषधि माना गया है।

प्रत्येक बार भोजन करने से पहले चाय का एक या दो चम्मच भर कच्चे आलुओं का रस पीने से सभी तरह के तेजाब शरीर से निकल जाते हैं और गठिया रोग में आराम मिलता है। आलू के छिलके में महत्वपूर्ण खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिस पानी में आलुओं को छिलके समेत उबाला जाता है वह पानी शरीर में तेजाब की अधिकता के कारण होने वाले रोगों की आदर्श दवा बन जाता है। इसका काढ़ा तैयार कर, छानकर एक-एक गिलास दिन में 3-4 बार प्रतिदिन लेना चाहिए।

पाचन संबंधी बीमारियों में कच्चे आलू का रस बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह आँतों में सूजन से आराम दिलाता है। इस रोग में आराम पाने के लिए कच्चे आलू का आधा प्याला रस भोजन से आधा घंटा पहले दिन में दो या तीन बार लेना चाहिए।

यह आँतों की सूजन और ड्योडेनल अल्सर से भी आराम दिलाता है। पेट और आँतों के रोगों तथा विषाक्तता के मामलों में आलू के स्टार्च का इस्तेमाल एंटीइंफ्लेमेट्री (सूजन दूर करने वाले) पदार्थ के रूप में किया जाता है। कच्चे आलू का रस त्वचा पर दाग-धब्बे दूर करने में उपयोगी सिद्ध हुआ है। आलू में मौजूद पोटेशियम सल्फर, फास्फोरस और कैल्शियम की मात्रा त्वचा की सफाई में मदद करती है।

यह बात विशेष रूप से याद रखनी चाहिए कि आलू के गुण तभी तक अधिक प्रभावकारी रहते हैं, जब तक यह कच्चा रहता है, क्योंकि उसमें जीवित कार्बनिक परमाणु होते हैं। पकाई हुई अवस्था में ये जैविक परमाणु अकार्बनिक परमाणु में बदल जाते हैं और उनका रचनात्मक लाभ कम हो जाता है। यह आश्चर्य की बात है कि आलू की रसदार लुग्दी या पेस्ट झुर्रियाँ, बढ़ती उम्र के दाग-धब्बे और त्वचा की रंगत निखारने में सहायता करती है।

आलू के गुण

  • चोट लगने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कभी-कभी चोट लगने के बाद त्वचा नीली पड़ जाती है। नीली पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से फायदा होता है।
  • झुर्रियों से बचाव के लिए आलू बहुत फायदेमंद होता है। झुर्रियों पर कच्चे आलू को पीसकर लगाने से झुर्रियां समाप्त होती हैं।
  • त्वचा की एलर्जी या फिर त्वचा रोग होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। कच्चे आलू का रस लगाने से त्वचा रोग में फायदा होता है।
  • अम्लपित्त होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। अम्लपित्त से बचाव के लिए आलू को सेंककर, उसका छिलका निकालकर, नमक और मिर्च के साथ खाने से फायदा होता है।
  • गुर्दे की पथरी होने पर आलू का प्रयोग करना चाहिए। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाकर पथरी को निकाला जा सकता है।
  • आलू को गोला काटकर आंखों पर रखने से आंखों के आसपास की झुर्रियां समाप्त होती हैं।
  • चेहरे की रंगत के लिए आलू बहूत फायदेमंद होता है। आलू को पीसकर त्‍वचा पर लगाने से रंग गोरा हो जाता है।
  •  आलू उबालने के बाद बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चर्यजनक रूप से बाल चमकीले, मुलायम और जड़ों से मजबूत होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन तत्काल रुक जाता है।
  • जलने पर कच्चा आलू कुचलकर जले भाग पर तुरंत लगा देने से आराम मिल जाता है।
  •  आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
  •  आलू के रस में नींबू रस की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जाते हैं।
  •  आलू के टुकड़ों को गर्दन, कुहनियों आदि सख्त स्थानों पर रगडऩे से वहां की त्वचा साफ एवं कोमल हो जाती है।
  •  आलू भूनकर नमक के साथ खाने से चर्बी की मात्रा में कमी होती है।
  •  झाइयों तथा झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए आलू के रस में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर झाइयों और झुर्रियों पर लगाएं। बीस मिनट बाद चेहरा पानी से साफ कर लें।
  •  भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
  •  चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
  •  उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
  •  कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 महीने में साफ हो जाता है।
  • आलू की खासियत है कि वो हर सब्‍जी के साथ एडजस्‍ट हो जाता है। खाने में तो आलू स्‍वाद होता ही है, लेकिन इसके कई औषधीय और सौंदर्य से जुड़े गुण भी हैं।

आलू के रस को शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का विकास अच्छे से होता है। आलू के हरे भाग को बिलकूल नहीं खाना चाहिए। क्योंकि हरे भाग में सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसके अलावा आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

 

 

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