विटामिन डी” की कमी होने पर एकदम सामने नहीं आते इसके लक्षण : प्रोफेसर डॉ. प्रेम मच्छान

“विटामिन डी” की कमी के चलते कई बीमारियों के होने का खतरा

“विटामिन डी” केवल हड्डियों की मज़बूती के लिए ही नहीं, बल्कि कई बीमारियों से लड़ने में भी सक्षम

शरीर को “विटामिन डी” की सबसे ज्यादा जरूरत

“विटामिन डी” की कमी होने पर एकदम सामने नहीं आते इसके लक्षण

विटामिन डी” की नियमित जांच और “विटामिन डी” युक्त भोजन लेना बेहद जरूरी

स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है हम अपनी जीवन शैली के प्रति सजग रहें। इस बार हम आपको अपने हेल्थ कॉलम में शरीर के लिए “विटामिन डी” की आवश्यकता पर महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। हमारे पूरे शरीर के लिए “विटामिन डी” बहुत आवश्यक है। यह हमारे शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। “विटामिन डी” के लक्षण एकदम उभर कर सामने नहीं आते, इसी वजह से लोगों को समय पर “विटामिन डी” की कमी से होने वाले रोगों का पता ही नहीं चल पाता। इसलिए “विटामिन डी” की नियमित जांच और “विटामिन डी” युक्त भोजन लेना बेहद जरूरी है। इस विषय पर हमें आईजीएमसी अस्पताल के डॉक्टर तथा सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रेम मच्छान “विटामिन डी” की कमी के कारण शरीर में उत्पन्न होने वाली बीमारियों व इसके लक्षण व इसकी कमी कैसे पूरी की जा सकती है के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं।

प्रश्न: डॉक्टर साहब सबसे पहले आप यह बताएं कि “विटामिन डी” क्या है?

धूप “विटामिन डी” के लिए बहुत उपयोगी

धूप “विटामिन डी” के लिए बहुत उपयोगी

उत्तर : “विटामिन डी”  एक पोषक तत्व के साथ शरीर में बनने वाला हार्मोन भी है। जो हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमारे शरीर में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट आदि को अवशोषित करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में काफी बीमारियां हो सकती हैं। “विटामिन डी” के दो प्रमुख रूप हैं विटामिन डी2 (अर्गोकेलसीफेरोल) एवं विटामिन डी3 (कोलेकेलसीफेरोल)। इसे शरीर में सक्रिय होने के लिये कम से कम दो हाईड्रॉक्सिलेशन अभिक्रियाएं वांछित होती हैं। शरीर में मिलने वाला कैल्सीट्राईऑल विटामिन डी का सक्रिय रूप होता है। त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो शरीर में “विटामिन डी” निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी पाया जाता है। “विटामिन डी” की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं। छोटे बच्चों में यह स्थिति रिकेट्स कहलाती है और व्यस्कों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं। इसके अलावा “विटामिन डी” कैंसर, क्षय रोग जैसे रोगों से भी बचाव करता है। शरीर की “विटामिन डी” सबसे ज्यादा जरूरत है

प्रश्न : “विटामिन डी” कितने प्रकार का होता है और देश में कितने प्रतिशत लोग इससे ग्रसित हैं?

उत्तर : पूरे देश में करीब 90 प्रतिशत से अधिक लोग “विटामिन डी” की कमी से ग्रस्त हैं। हिमाचल में लोग शरीर को हर वक्त कपड़ों से पूरी तरह ढंक रखते हैं जिससे शरीर को धूप की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती। इस कारण भी ज्यादातर लोगों में “विटामिन डी” की कमी पाई जाती है। “विटामिन डी” दो प्रकार का होता है: विटामिन D2 और विटामिन D3 । विटामिन D2 को अर्गोकेल्सीफेरोल (Ergocalciferol) भी कहते हैं। जबकि विटामिन D3 को कोलकेल्सीफेरोल (Cholecalciferol)  कहा जाता है।

प्रश्न: “विटामिन डी”  की कमी होने पर इसके क्या लक्षण होते हैं?

उत्तर : ज्यादातर लोगों में इसकी कमी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। “विटामिन डी”  की कमी होने पर मांशपेशियों में कमजोरी महसूस होना, हड्डियों में दर्द होना। थकान और कमजोरी महसूस होना। जरुरत से ज्यादा नींद आना। हमेशा डिप्रेशन में होने जैसा महसूस होना। शरीर की तुलना में सिर से अधिक पसीना आना। बार-बार इन्फेक्शन होना। सांस लेने में दिक्कत होना इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

प्रश्न : सर क्या डायबिटीज “विटामिन डी” की कमी के लिए प्रमुख वजह है?

उत्तर : डायबिटीज की बड़‌ी वजह मोटापा है यह तो आप जानते हैं लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि मोटापे के साथ-साथ “विटामिन डी” की कमी भी इस रोग के लिए जिम्‍मेदार प्रमुख कारकों में से एक है। मैं आपको बताना चाहूँगा कि यह दोनों मधुमेह के लिए कैसे जिम्‍मेदार हैं। डायबिटीज केयर जर्नल में प्रकाशित शोध की मानें तो अगर मोटापे और विटामिन डी की समस्या किसी व्यक्ति को एक साथ हो तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को असंतुलित करने वाली इस बीमारी के होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।

प्रश्न : “विटामिन डी” की कमी होने पर भोजन को लेकर भी कोई सुझाव, और ये भी बताएं विटामिन-डी के मुख्य स्रोत क्या-क्या हैं?

उत्तर : “विटामिन डी”  के मुख्य स्रोत हैं दूध, अंडा, मछली, और सूरज (Sun)। हमें दिन भर में जितना “विटामिन डी” चाहिए होता है, उसका 20 फीसदी हिस्‍सा दूध पूरा कर देता है। जबकि अनफॉर्टफाइड डेयरी उत्‍पादों में आमतौर पर विटामिन डी कम मात्रा में पाया जाता है। सूरज, मछली, अंडा और दूध विटामिन डी के उच्‍च स्रोत हैं। अंडों को स्‍वस्‍थ भोजन माना जाता है जो “विटामिन डी” से भरपूर होते हैं। संतरा व संतरे का रस भी “विटामिन डी” से भरपूर होता है।

प्रश्न : माना जाता है कि धूप “विटामिन डी” के लिए बहुत उपयोगी है। क्या किसी भी वक्त धूप सेंकने से “विटामिन डी” की कमी पूरी हो जाती है?

उत्तर : “विटामिन डी” के लिए धूप सेंकना सबसे ज्यादा उपयोगी और महत्वपूर्ण है। सूरज की किरणों में अनेक बीमारियों के कीटाणुओं को

नष्ट करने की शक्ति समाहित होती है। इसके लिए सुबह 11:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे की धूप जरूर सेंके। जिससे मांसपेशियां व हड्डियां मजबूत होंगी तथा साथ ही साथ “विटामिन डी” की कमी से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से भी बचाव होगा। धूप के सेवन से मनुष्य के शरीर को “विटामिन डी” उपलब्ध होती है जो फास्फोरस और कैल्शियम से भरपूर होने के कारण दांतों और हडिड्यों को सुदृढ़ बनाने में सहायक होता है। एक खास बात जो मैं आपको बताना चाहूंगा वो यह है कि कुछ लोग कमरे में बैठकर शीशे से पड़ने वाली धूप लेते हैं वो पर्याप्त नहीं है क्योंकि इसमें अल्ट्रावायलट रेज्स होती हैं वो छन जाती हैं। इसलिए शीशे की धूप न लें। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए धूप का प्रयोग बेहद ज़रूरी है। धूप के संपर्क में आने पर शरीर में “विटामिन डी”  का निर्माण होता है, इसीलिए यह सनशाइन विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। सभी को नियमित रूप से धूप का लेनी चाहिए ।

प्रश्न: डॉक्टर साहब यह बताएं कि धूप कितने समय तक लेनी चाहिए और कितने दिनों या महीनों तक लेना आवश्यक है?

उत्तर : आधा घंटा प्रतिदिन एक सप्ताह तक दोपहर की धूप लेना पर्याप्त है।

प्रश्न : थोड़ा और विस्तार से बताएं कि क्यों जरूरी है विटामिन-डी ?

उत्तर : “विटामिन डी” शरीर, हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है ये मैं पहले भी बता चुका हूँ। जब त्वचा सीधे सूर्य के

संपर्क में आती है तो “विटामिन डी” बनता है और इसलिए सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से शरीर में “विटामिन डी” 3 के लेवल को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

हालाँकि यह विटामिन खाने की कुछ चीज़ों से भी प्राप्त होता है, लेकिन इनमें यह बहुत ही कम मात्रा में होता है। केवल इनसे “विटामिन डी” की जरूरत पूरी नहीं होती। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, क्योंकि इसकी मौजूदगी में शरीर कैल्शियम का उपयोग बेहतर ढंग से कर पाता है। पारंपरिक रूप से “विटामिन डी” की कमी को रिकेट्स नामक बीमारी से जोड़ा जाता है। इस बीमारी में हड्डियों में कैल्शियम ठीक से जमा नहीं हो पाता, जिससे यह नर्म और कमजोर हो जाती हैं। रिकेट्स के मरीजों को फ्रैक्चर आसानी से हो सकता है। “विटामिन डी”   न केवल हड्डियों को मज़बूत बनाती हैं बल्कि यह कई बीमारियों से भी बचाता है।

एक बात और जो मैं कहना चाहूँगा वो यह कि कोई भी व्यक्ति डॉक्टर के परामर्श के बिना कभी भी कोई दवाई अपनी मर्जी से न इस्तेमाल करें।

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