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अयोध्या मामले में SC का ऐतिहासिक फैसला : विवादित जमीन राम मंदिर के लिए, मस्जिद के लिए दूसरी जगह

नई दिल्ली: अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन रामलला की है। कोर्ट ने मंदिर निर्माण का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रस्ट बनाकर सरकार की ओर से मंदिर निर्माण करवाया जाए। इसके लिए तीन महीने में योजना तैयार की जाए। साथ ही कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए कहीं और पांच एकड़ जमीन दे दी जाए। विवादित 2.77 एकड़ जमीन का कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास बना रहेगा

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ा। गोगोई ने बताया कि कोर्ट ने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल स्पेशल लीव पेटिशन को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्यों को महज राय बताना एएसआई के प्रति बहुत अन्याय होगा।

कोर्ट ने कहा, एएसआई यह नहीं बता पाया कि क्या मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि गिराए गए ढांचे के नीचे मंदिर था। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि मुसलमान मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करते थे जो यह संकेत देता है कि उन्होंने यहां कब्जा नहीं खोया है। वहीं, स्थल पर 1856-57 में लोहे की रेलिंग लगाई गई थी जो यह संकेत देते हैं कि हिंदू यहां पूजा करते रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि हिंदू ये स्थापित करने में सफल रहे कि बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था। कोर्ट ने बाबरी विध्वंस पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ था।

कोर्ट ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट में इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी। विवादित स्थल पर एक ढांचा था। दबा हुए स्ट्रक्चर कोई इस्लामिक ढांचा नहीं था। न्यायालय ने कहा, राम जन्मभूमि एक न्याय सम्मत व्यक्ति नहीं। कोर्ट ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं कि मुस्लिमों ने मस्जिद को छोड़ दिया। हिंदू हमेशा यह मानते रहे कि राज का जन्मस्थान मस्जिद के अंदरूनी हिस्से मे है। साफ होता है कि मुस्लिम अंदरूनी हिस्से में जबकि हिंदू बाहरी हिस्से में प्रार्थना करते थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने विवादित ढांचे पर अपना दावा करने की शिया वक्फ बोर्ड की अपील सर्वसम्मति से खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार यह सरकारी जमीन है। उच्चतम न्यायालय ने निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है।

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