शिमला: हिमाचल प्रदेश की 4 हज़ार से ज़्यादा की सेब अर्थव्यवस्था पर संकट आ खड़ा हुआ है। देश की मुद्रास्फीति बढ़ रही है वहीं सेब उत्पादन का लागत मूल्य कम हो रही है। ये आरोप हिमाचल किसान सभा राज्य सचिव राकेश सिंघा ने लगाए है। सेब की कीमतें औंधे मुंह गिरी है जो पिछले लंबे समय में नही हुआ। ये ऐसा समय है जब प्रदेश सरकार प्रदेश में इन्वेस्टर मीट करवा रही है। इसमें सेब की फ़सल को भी तरज़ीह दी जाए।
आज के वक़्त जब अमेरिका से सेब कम आ रहा है जम्मू कश्मीर के हालात से भी हिमाचल के सेब में उछाल आना चाहिए था। उल्टा सेब के दाम गिर गए कहाँ तो सेब की कीमत डेढ़ सौ से दो सौ होना चाहिए था लेकिन आज सेब 25 से 35 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है जो चिंता का विषय है। मौजूद सरकार इस बारे में नही सोच रही है। सरकार को सीए स्टोर पर बल देना चाहिए क्योंकि इससे किसान अपना सेब मार्किट की मांग के आधार पर बेच सके।
बागवानों की लूट का सिलसिला जारी है। एपीएमसी अपनी जिम्मेदारी नही निभा पा रहा है। बागवानों से अनलोडिंग व कॉमिशन के नाम पर लूट की जा रही है। सरकार ने एपीएमसी के अलावा कई कमेटियां बनाई है लेकिन बागवानों को इनका फ़ायदा नही मिल रहा है। सेब ट्रे की कीमतें बढ़ा दी गई है। पैकिंग बागवानों को महँगी पड़ रही है। 2016 में नोटबन्दी का असर आज देखने को मिल रहा है। परिणामस्वरूप देश की कृषि भी अर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है 50 प्रतिशत आढ़ती विना लाइसेंस से काम कर रहे है सेब की ट्रे की कमी है जो कि 9 रुपये में बिक रही है मंत्री जी कहते एपीएमसी में मेरी नही सुनते संजय चौहान ने कहा कि कृषि मंत्री कहते हैं कि मेरा काम ट्रांसफर का ही रह गया और कहा कि अगर सुनवाही नही करेंगे तो एपीएमसी के खिलाफ केस दर्ज करेंगे।