होली का त्यहारर मनाएं पर कोविड-19 एहतियात बरतने में ना करें कोताही : उपायुक्त चंबा

इस कारण है इस बार की “होली” खास….

  • होलिका दहन कब है और क्या है शुभ मुहूर्त समय, जानें पूजा विधि एवं कथा : कालयोगी आचार्य महिन्दर शर्मा

कालयोगी आचार्य महिन्दर शर्मा के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। यह पूरा समय होली के उत्सव का होता है। इस दौरान सभी शुभ कार्य विवाह इत्यादि वर्जित रहते हैं। चैत कृष्ण प्रतिपदा गुरुवार 21 मार्च को मनेगा। 20 मार्च को होलिका दहन होगा। होलिका दहन पर इस बार दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इन संयोगों के बनने से कई अनिष्ट दूर होंगे। लगभग सात वर्ष के बाद देवगुरु बृहस्पति के उच्च प्रभाव में गुरुवार को होली मनेगी। इससे मान-सम्मान व पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी।

इस कारण है इस बार की “होली” खास....

इस कारण है इस बार की “होली” खास….

इस कारण है इस बार की होली खास: इस बार होली उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में मनेगी। जो कि सूर्य का है। आपको बता दें आत्मसम्मान, प्रकाश और उन्नति का कारण माना जाता है। जिसके कारण हर किसी के ऊपर सालभर कृपा बनी रहेगी।

होलिका दहन भी है शुभ नक्षत्र में: इस बार होलिका दहन भी बहुत ही शुभ नक्षत्र में है। इस बार पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में है। जो कि शुक्र का माना जाता है। यह नक्षत्र खुशी, उत्सव, ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन का मुहूर्त सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि ही सबसे शुभ मुहूर्त होती है। भद्रा में होलिका दहन नहीं करते हैं। भद्रा समाप्ति पर ही होलिका दहन करना चाहिए। भद्रा मुख में होलिका दहन किसी भी कीमत पर नहीं हो सकता है।

शुभ मुहूर्त:

  • 20 मार्च को प्रातः 10:45 से रात्रि 08:59 तक भद्रा रहेगी
  • अतः रात्रि 09 बजे के बाद होलिका दहन करना चाहिए

सबसे पहले माता होलिका की विधिवत तथा शास्त्रवत पूजा होती है। भक्त प्रहलाद की कथा होती है। सम्मत में शुद्ध हवन सामग्री भी डाली जाती है। कपूर तथा चंदन की कुछ लकड़ी भी होती है। सब लोग फिर सामूहिक भक्ति गीत गाकर होलिका माता को प्रसन्न करते हैं। इस दिन अपनी किसी एक न एक बुराई को दहन अर्थात समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर सामूहिक फाल्गुन गीत होता है। अबीर तथा गुलाल लगा के एक दूसरे से गले मिलते हैं।

  • होलिका दहन की रात्रि में करें ये काम

आज की रात्रि अपने वजन के बराबर अन्न दान करें। गरीब जनों में वस्त्र तथा भोजन बाटें। निर्धन जन के बच्चों में खिलौने तथा अबीर गुलाल बांटने से कभी धन की कमी नहीं आती तथा अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

 होलिका दहन की रात्रि में श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस रात्रि संकट से परेशान लोग सुंदरकांड का पाठ करें। होलिका दहन की रात्रि में कई तांत्रिक सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती हैं बंगलामुखी अनुष्ठान भी किया जा सकता है। शनि की साढ़ेसाती से या शनि की महादशा से प्रभावित जन शनि के बीज मंत्र का जप करें तथा हनुमान जी की विधिवत पूजा करें।

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