प्रदेश को मॉनसून के दौरान 1217.29 करोड़ रुपये का नुकसान, 264 लोगों की गई जान

  • अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में पूर्व चेतावनी एवं अलर्ट प्रणाली के लिए एनडीएमए द्वारा विकसित पायलट टेस्टिंग ऑफ कॉमन अलर्ट प्लेटफार्म का किया गया प्रशिक्षण
  • राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा ने राज्य में बाढ़ व वर्षा के कारण हुई क्षति पर दी विस्तृत प्रस्तुति
  • पहली बार मंडी जिले के कोटरूपी तथा ओट में भूस्खलन सेंसर किये स्थापित

शिमला: मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां  1 जुलाई से 17 सितंबर, 2018 तक राज्य में मॉनसून के दौरान हुए नुकसान और क्षति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश को वर्तमान मॉनसून के दौरान भारी बर्षा, बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं के कारण 1217.29 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग को वर्षा के कारण सड़कां, पुलों, डंगों और दीवारों को हुई क्षति से सर्वाधिक 735 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि भारी बारिश के साथ-साथ मलबे की अनियोजित डंपिंग भी सड़कों की क्षति का कारण रहा। उन्होंने कहा कि उचित डंपिंग स्थल चिन्हित किए जाने चाहिए और यह भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि मलबे का निपटान चिह्नित स्थलों पर ही किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रभावी क्रॉस नालियां तथा सड़कों के किनारे ड्रेनेज सुविधाएं सुनिश्चित बनाई जानी चाहिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को 328.78 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अनेक मुख्य, मध्यम व लघु पेयजल आपूर्ति और सिंचाई योजनाएं भूस्खलन व भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई। उन्होंने कहा कि कृषि व बागवानी क्षेत्र को 88.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि ऊर्जा क्षेत्र को 24.50 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य की क्षतिग्रस्त अधोसंरचनाओं की तत्काल बहाली व मुरम्मत कार्यों के लिए 229.64 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में  बादल फटने के 33 तथा भूस्खलन के 391 मामले सामने आए, जिनसे सम्पत्ति को भारी नुकसान हुआ। इस अवधि के दौरान कुल 264 लोगों की जाने गईं, जिनमें क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाओं से 199 मौतें शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के नूरपुर में एक एनडीआरएफ की कंपनी तैनात की गई है। इसके अतिरिक्त प्रमुख नदियों के जल स्तर की दैनिक निगरानी भी सुनिश्चित बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने तथा शुरुआती चेतावनी के लिए पहली बार मंडी जिले के कोटरूपी तथा ओट में भूस्खलन सेंसर स्थापित किये गये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करेगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में पूर्व चेतावनी एवं अलर्ट प्रणाली के लिए एनडीएमए द्वारा विकसित पायलट टेस्टिंग ऑफ कॉमन अलर्ट प्लेटफार्म का प्रशिक्षण किया गया।

विशेष सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा ने इस अवसर पर राज्य में बाढ़ व वर्षा के कारण हुई क्षति पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

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