"पॉलीहाऊस": जिसमें वातावरण को काफी हद तक नियंत्रित करने की सुविधाएं उपलब्ध

“पॉलीहाऊस”: जिसमें वातावरण को काफी हद तक नियंत्रित करने की सुविधाएं उपलब्ध

पॉलीहाऊस: यह प्लास्टिक, कीट अवरोधी नाइलोन नेट व जस्तीकृत इस्पात या लकड़ी द्वारा निर्मित एक विशेष संरक्षित संरचना होती है जिसमें वातावरण को काफी हद तक नियंत्रित करने की सुविधाएं उपलब्ध रहती है, पॉलीहाऊस सामान्यत: तीन  प्रकार के होते हैं:-

वातावरण नियंत्रित पॉलीहाऊस: इस प्रकार की संरचना में पॉलीहाऊस के अंदर अधिक तापमान को कूलिंग पैड्स द्वारा कम करने तथा हीटर द्वारा पॉलीहाऊस के कम तापमान को बढ़ाने हेतु दोनों सुविधाएं उपलब्ध रहती है। `लेकिन इस प्रकार की संरक्षित संरचना के निर्माण पर बहुत अधिक खर्चा आता है जो कि 3000-3500 रूपये प्रति वर्गमीटर तक हो सकता है।

आंशिक रूप से वातावरण नियंत्रित पॉलीहाऊस :  इस प्रकार के पॉलीहाऊस में वातावरण को नियंत्रित करने की दो में से एक ही सुविधा लगी रहती है। वह चाहे अधिक तापमान को काम करने हेतु कूलिंग पैड व फैन की सुविधा या फिर पॉलीहाऊस के तापमान को बढ़ाने के लिए हीटर की सुविधा। लेकिन अधिकतर स्थानों के लिए कूलिंग पैड व फैन वाली सुविधा ही अधिक उपयोगी रहती है तथा इस प्रकार के पॉलीहाऊस निर्माण पर लगभग 1800-2500 रूपये प्रति वर्गमीटर का खर्च आ सकता है।

प्राकृति रूप से संवाहित पॉलीहाऊस: इस प्रकार के पॉलीहाऊस में न तो कूलिंग पैड तथा न ही अंदर के तापमान को गर्म करने लिए हीटर लगा होता है। इस प्रकार के पॉलीहाऊस में चारों ओर भूस्तल से लेकर करीब 8 या 9 फुट की ऊंचाई तक कीट अवरोधी नेट लगा होता है, जिसके ऊपर बाहर की ओर प्लास्टिक लगा होता है जिसे पाइपों के द्वारा लपेटकर ऊपर या नीचे करना संभव होता है। गर्मी के दिनों में प्लास्टिक को चारों ओर लपेटकर ऊपर कर दिया जाता है जाकि पॉलीहाऊस के अंदर व बाहर पूर्णयता प्राकृतिक रूप से हावा का आवागमन होता रहे।  इस प्रकार के पॉलीहाऊस पर प्राथमिक तौर पर लगभग 700-1200 रूपये प्रति वर्गमीटर का खर्चा लगता है। इस प्रकार के पॉलीहाऊस में बिजली की कोई आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि इसमें साधारणतया कम दाब वाली सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का प्रयोग  किया जाता है जिसको चलाने हेतु भी बिजली की कोई आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार के  पॉलीहाऊस परिनगरीय क्षेत्र (पेरी अर्बन) में सब्जियों की खेती के लिए अत्यधिक उपयोगी होते हैं। इन तीनों प्रकार के पॉलीहाऊस बनाने के लिए आधारभूत ढांचे की जस्तीकृत इस्पात व एल्यूमिनियम धातुओं का उपयोग होता है तथा ऊपरी छत को पारदर्शी प्लास्टिक जिसकी मोटाई लगभग 180-200 माईक्रोन होती है, से ढका जाता है तथा चारों ओर जमीन की सतह से लेकर करीब 8-9 फुट की ऊंचाई तक कीट अवरोधी 40 मैश नाइलोन नेट से ढका जाता है। ठीक उसी प्रकार पॉलीहाऊस की छत में बने वेन्टीलेटर की जगह पर भी कीट अवरोधी नाइलोन नेट की लगाया जाता है। प्रदेश में उपलब्ध विभिन्न जलवायु वाले क्षेत्र के लिए इस प्रकार के पॉलीहाऊस काफी उपयुक्त है।

पॉलीहाऊस का निर्माण करने से पहले निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें :-

  • इस बात का निर्णय कर लें कि कौन से पौधे इसमें उगाने हैं, वर्ष में पॉलीहाऊस को कब प्रयोग में लाएंगे तथा उत्पादित फसलों या सब्जियों को कहां पर बेचेंगे।
  • यह भी चयन करें कि किस प्रारूप का पॉलीहॉउस निर्माण का एक मुख्य पहलु है। छाया युक्त स्थान की अपेक्षा अच्छी धूप वाले क्षेत्र का चुनाव करें। ठंडे बर्फीले क्षेत्रों में ऐसी जगह का चयन करें जिसमें पॉलीहाऊस के उत्तर की तरफ घर की दीवार हो जोकि  सौर ऊर्जा को दिन में संरक्षित करके रात को निशेषित करें।
  • पॉलीहाऊस कितने क्षेत्र में बनाना है यह इस बात पर निर्भर करेंगे कि उसमें कितनी मात्रा में फसल को उगाना है।
  • ढकने के लिए पैराबैंगनी किरण स्थायीकृत शीट का ही चयन करें।
  • निर्माण सामग्री का चयन करके हूपस बनाएं तथा उचित दूरी सीमेंट तथा रेत का मिश्रण बनाकर दबाकर रिज लाइन के साथ बांध दें।
  •  आखिर में प्रयुक्त होने वाली फ्रेम की हूपस के साथ कस कर बांध दें, तदोपरांत सीमेंट के साथ भूमि में गाड़ दें।
  • इसकी संरचना को परख लें तथा नकोले जोड़ को समतल करें तथा प्लास्टिक शीट से ढंक दें।
  • कवरिंग शीट को कसकर फ्रेम के आखिर में पेच तथा स्ट्रिप से बांध दें ताकि यह हवा से क्षतिग्रस्त न हो।
  • बची हुई शीट को जमीन में दबा दें।
  • पॉलीहाऊस के ऊपर छायादार जाली के सही संचालन के लिए पहली और आखिरी ट्रस पर मोटी प्लास्टिक शीट या रिब्बन का उपयोग करें।
  • सामान्यत: पॉलीहाऊस पूर्व दिशा में बनाएं परंतु अधिक हवा वाले क्षेत्रों में पॉलीहाऊस हवा की दिशा के समानांतर बनाएं।
  • आदर्श पॉलीहाऊस का निर्माण करें जिसमें दोहरा दरवाजा, साइड वैन्टीलेशन, पर्याप्त टॉप वैन्टीलेशन, टपक विधि द्वारा सिंचाई, फॉगर या मिसटर, 50 मैश यू.वी., स्टैब्लारजड छायादार जाले आदि घटक होने आवश्यक हैं। यदि किसान उपरोक्त छ: घटकों को पॉलीहॉऊस निर्माण में सुनिश्चित करें तो अधिकतर समस्याओं का निदान आसानी से किया जा सकता है।

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