हाईपरटेंशन आम समस्या यानि साइलेंट किलर : डा. प्रेम मच्छान
आजकल की भागमभाग और तनाव भरी जिंदगी में लोगों में ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की समस्या पेश आ रही है। जितना घातक हाई ब्लड प्रेशर होता है उतना ही नुकसानदेह लो ब्लड प्रेशर। हम कहीं भी देखें घर हो या बाहर, चिन्ता, परेशानी व गुस्सा हमारे दिल दिमाग व शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित करता है। हृदय शरीर में रक्त को प्रवाहित करता है। स्वच्छ रक्त आर्टरी से शरीर के दूसरे भागों में जाता है और शरीर के दूसरे भागों से दूषित रक्त हृदय में वापस जाता है। ब्लड प्रेशर खून को पम्प करने की इसी प्रक्रिया को कहते हैं। ब्लड प्रेशर कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक नॉर्मल प्रक्रिया है। लेकिन जब किसी कारणवश यह प्रेशर कम या ज़्यादा होता है, तो इसे हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। आज लोगों में हाईपरटेंशन एक बहुत ही आम समस्या है। यह बिना किसी चेतावनी के होती है इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते हैं। हमें ऐसी समस्या में क्या-क्या सावधानी और ध्यान रखना चाहिए हम इसी विषय में आपको इस बार जानकारी देने जा रहे हैं। प्रस्तुत हैं आईजीएमसी अस्पताल एवं चिकित्सालय के मेडिसन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रेम मच्छान से मीना कौंडल की बातचीत के महत्वपूर्ण अंश :
प्रश्र: हाइपरटेंशन की मुख्य वजह क्या हैं?
उत्तर: इसके दो मुख्य कारण हैं शारिरिक और मानसिक। शारिरिक की वजह से जहां खून में कालेस्ट्राल का बढऩा, मोटापा, आनुवांशिक, अधिक मात्रा में मांसाहारी भोजन करना, अधिक मात्रा में तैलीय भोजन करना और शराब पीना है तो वहीं मानसिक में संवेदनशील लोगों में चिंता व डर से हृदय गति बढ़ जाती है, जिससे कि आगे जाकर ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है।, अकारण परेशान होना, जरूरत से ज्यादा काम, परिवार में या कार्यस्थल में तनाव होना भी इसकी एक वजह है।
प्रश्र: डीहाइड्रेशन पर किस प्रकार काबू पाया जा सकता हैं?
उत्तर: खूब पानी पिएं। दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पियें। पानी न पीने से डीहाइड्रेशन हो सकता है। ताजे फल खाएं ताजे फलों में बहुत ज्यादा रस पाया जाता है। ऐसे फल जैसे, सेब, खीरा, ककड़ी आदि खाएं। सेब में 84 प्रतिशत पानी और खीरे में 96 प्रतिशत पानी होता है। शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। बेहतर होगा यदि कैफीन का सेवन बंद कर दें। ज्यादा कॉफी न पियें। अच्छा होगा कि आप इसकी जगह पर गन्ने का रस या कोई अन्य जूस पी लें।
प्रश्र: हाई ब्लड-प्रेशर सबसे घातक बीमारियों में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में हर साल हाई ब्लड-प्रेशर के चलते 70 लाख मौतें होती हैं। दुनिया का लगभग हर तीसरा व्यक्ति इससे प्रभावित है। तो आप बताएं कि हाई ब्लड प्रेशर क्या है? कहा जाता है कि हाई ब्लड-प्रेशर का सीधे तौर पर कोई इलाज नहीं है ऐसे में कैसे इससे बचाव किया जा सकता है?
उत्तर: ऐसा भी नहीं है कि हाई ब्लड-प्रेशर का सीधे तौर पर कोई इलाज नहीं है बल्कि इसमें जानकारी ही बचाव है। अगर आप अपने खान-पान और लाइफस्टाइल पर ध्यान दें तो इस पर काबू पाया जा सकता है। रक्त द्वारा धमनियों पर डाले गए दबाव को ब्लड-प्रेशर या रक्तचाप कहते हैं। हाई ब्लड-प्रेशर किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। यह बीमारी पुरुष व महिला किसी को भी हो सकती है। एक बार अगर आप इस रोग के शिकार हो गए तो इससे निकल पाना मुश्किल होता है लेकिन असंभव नहीं। इसीलिए सावधानी बरतना ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। हाई ब्लड-प्रेशर को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। यह अपने साथ अन्य कई बीमारियां लेकर आता है। जिससे शरीर के अन्य हिस्से भी प्रभावित होते हैं।
प्रश्र: हाई ब्लड-प्रेशर से हमारे शरीर के किन-किन अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है?
उत्तर: आंखों पर प्रभाव, गुर्दे की समस्या, हार्ट अटैक का खतरा और मस्तिष्क पर असर हो सकता है। हाई ब्लड-प्रेशर से आंखों की समस्या हो सकती है। रोगी के आंखों की रोशनी कम होने लगती है उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। इसलिए ब्लड प्रेशर की समस्या में आंखों की नियमित जांच की सलाह दी जाती है।
प्रश्र: हाई ब्लडप्रेशर के कारण क्या हैं?
उत्तर: खासकर उच्च रक्तचाप का पहला मुख्य कारण है। जितनी अधिक आयु होगी, रक्तचाप की चपेट में आने की सम्भावना भी उतनी ही अधिक होगी। बुजुर्गों में उच्च सिस्टोलिक रक्तचाप विकसित होने का जोखिम रहता है। इसका कारण धमनियों में कडक़पन होता है। दूसरा बड़ा कारण आनुवंशिकता को मानते हैं। यदि परिवार में किसी को उच्च कॉलेस्ट्रोल रहने का इतिहास है तो आपको समय पर सावधान हो जाना चाहिये। हो सकता है कि आनुवंशिक कारणों से कम आयु में ही उच्च रक्तचाप चपेट में ले ले। तनाव आधुनिक जीवनशैली का हिस्सा है। पूरे दिन हम तनाव में रहते हैं। यह काम से जुड़ा होता है और रक्तचाप बढ़ाने में मदद करता है। जरूरी है कि हम तनाव की स्थितियों पर नियंत्रण रखें। नियमित रूप से गर्भनिरोधक पिल्स का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है इसलिये इनका सेवन करना हानिकारक है। घंटों एक स्थान पर बैठे न रहें। काम के दौरान बीच-बीच में उठें। अधिक वजन या मोटापा उच्च रक्तचाप का बहुत ही प्रमुख कारण है। इसलिये वजन पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं है कि पतले लोगों का रक्तचाप नहीं बढ़ेगा पर मोटे लोगों में रक्तचाप बढऩे की जोखिम ज्यादा रहती है। अपने खाने में नमक की मात्रा पर ध्यान दें। यदि बिना नमक या कम नमक का आहार गले नहीं उतरे तो सावधान हो जाइये। फास्ट फूड में भी नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिये घर में पका कम नमक का आहार लेने को प्राथमिकता दें। एल्कोहल का सेवन कम से कम करें। रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिये ऐसा करना जरूरी होगा। अक्सर लोग दवायें लेने की आदत बना लेते हैं। थोड़ा सिर दर्द हो या छोटी तकलीफ हो तुरंत ओरल पिल्स ले लेेते हैं। सर्दी या संक्रमण से दूर करने वाली दवायें रक्तचाप बढ़ा सकती हैं इसलिये अत्यधिक जरूरी होने पर ही दवा लें और वह भी चिकित्सकीय परामर्श के साथ। चिकित्सक को अपनी मेडिकल हिस्ट्री जरूरी बतायें।
प्रश्र: हाई ब्लडप्रेशर में किस प्रकार से ध्यान देना आवश्यक है?
उत्तर: भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करें। वजन घटाएं और समय-समय पर अपना वजन मापते रहें। अपने फैमेली डॉक्टर से अपना रक्तचाप नियमित रूप से चैक कराते रहना चाहिए। तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा का उपयोग और यदि पीने की आदत हो, तो बन्द कर दें। शरीर को सुस्ती का घर ना बनने दें फुर्ति पैदा करें। इसके लिए सुबह शाम टहलना आवश्यक है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने की कोशिश करें। संतुलित भोजन लें। फल सब्जियां एवं कम वसा वाली चीजे खाएं। शारीरिक श्रम करें। प्रतिदिन 30 मिनट पैदल चलें। मादक पदार्थों का सेवन न करें। संयमित खान-पान, रहन-सहन के बाद भी बीपी बढ़ जाता है, फिर कुछ देर बाद सामान्य हो जाता है। तला हुआ खाना, घी आदि कम से कम खाएं जिससे वज़न भी नियंत्रित रहेगा। खानपान और दिनचर्या में भी बदलाव आपके जीवन में बेहतर परिणाम दे सकता है।
प्रश्र: लो ब्लड प्रेशर का पता कैसे चलता है, इसके मुख्य कारण और लक्षण क्या हैं?
उत्तर: इसके दो प्रमुख कारण हैं। लेकिन इससे पहले एक बात स्पष्ट करना जरूरी है कि आप जब भी हाई और लो ब्लड प्रैशर की समस्या से ग्रसित हों तो जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर केे संपर्क में रहें। अपनी मर्जी से किसी प्रकार की दवा न लें। साथ ही समय-समय पर अपने ब्लड प्रेशर को लगभग तीन महीने में एक बार जरूर चैक करवाते रहें। क्योंकि हाई और लो ब्लड प्रेशन दोनों ही खतरनाक हो सकते हैं लेकिन अगर सही ढंग से आप डॉक्टर से इलाज करवाएं और सावधानी बरतें तो यह कोई बड़ी समस्या भी नहीं है।
लो ब्लड प्रेशर के कारण आर्थोस्टेटिक हाइपरटेंशन टाइप वन: इसमें मरीज़ को खड़े होने पर चक्कर आ जाते हैं, क्योंकि उसका ब्लड प्रेशर एकदम से 20 प्वाइंट से नीचे आ जाता है। यह काफी हद तक वैस्क्यूलर एवं नर्वस सिस्टम पर आधारित वैरायटी है। हालांकि ऐसा कई बार दवाओं के साइड इफेक्ट से या एलर्जी से भी हो सकता है। और दूसरा हार्ट डिजीज की वजह से ब्लडप्रेशर कम होना हार्ट की गंभीर बीमारी से जुड़ा हो सकता है जिसमें हार्ट के एयॉटिर्क व माइट्रल वॉल्व की सिकुडऩ (स्टिनोसिस) या लीकेज की बीमारी, हार्ट फेल्योर यानी लो पंपिंग कपैसिटी एवं हार्ट की स्पीड की अनियमितता (एट्रियल फिब्रिलेशन या वेंट्रीक्यूलर एब्नॉर्मल बीट्स) प्रमुख हैं।
प्रश्र: लो ब्लड प्रेशर में क्या-क्या सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं?
उत्तर: लो ब्लड प्रेशर की स्थिति वह होती है कि जिसमें रक्तवाहिनियों में खून का दबाव काफी कम हो जाता है। सामान्य रूप से 90/60 एमएम एचजी को लो ब्लड प्रेशर की स्थिति माना जाता है। जब किसी के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है तो उसे निम्न रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यदि ब्लड प्रेशर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। भोजन में जरूरी है कि आप पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाएं। प्रोटीन, विटामिन बी और सी लो ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में मददगार साबित होते हैं। लो ब्लड प्रेशर को दूर करने के लिए ताजे फलों का सेवन करें। दिन में करीब तीन से चार बार जूस का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। जितना संभव हो सके, लो ब्लड प्रेशर के मरीज दूध का सेवन करें। लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए पैदल चलना, साइकिल चलाना जैसी कसरतें फायदेमंद साबित होती हैं। इन सबके अलावा सबसे जरूरी यह है कि व्यक्ति तनाव और काम की अधिकता से बचें। ऐसी समस्या होने पर सबसे पहले तो अपने आपसे कभी दवा न लें सीधे डॉक्टर से परामर्श लें। अपना ब्लड प्रेशर चैक करवाएं और डॉक्टर की सलाह पर ही चलें।