“अनुसंधान विकास और शिक्षा के क्षेत्र में बौद्विक संपदा अधिकार” कार्यशाला आयोजित

"अनुसंधान विकास और शिक्षा के क्षेत्र में बौद्विक संपदा अधिकार" कार्यशाला आयोजित

“अनुसंधान विकास और शिक्षा के क्षेत्र में बौद्विक संपदा अधिकार” कार्यशाला आयोजित

शिमला : हिमाचल प्रदेश पेटेंट सूचना केन्द्र राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद हि.प्र. शिमला एक दिवसीय कार्यशाला जिसका विषय “अनुसंधान विकास और शिक्षा के क्षेत्र में बौद्विक संपदा अधिकार” है का आयोजन 25 नवम्बर  को पंथाघाटी शिमला में किया गया। जिसमें राज्य के विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक/छात्र अनुसंधान और विकास संस्थानों के शोधकर्ताओं नें हिस्सा लिया। हि.प्र. पेटेंट कक्ष राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद में अक्तूबर 1998 को भारत सरकार के राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद द्वारा स्थापित हुआ था। इसका मुख्य उददे्श्य बौद्विक संपदा अधिकार के बारे में जागरुकता और पेटेंट दाखिल करने की विधि से अवगत करना है। पेटेंट केन्द्र ने 6 जी.आई कुल्लू शॉल कांगड़ा, चाय, चम्बा रुमाल, किन्नौरी शॉल, कांगड़ा पेंटिंग, कुल्लू शॉल लोगों को भी पंजीकृत किया है। बौद्विक संपदा के अधिकारों की जागरुकता के लिए 8 इकाईयां हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, डा. वाई. एस. परमार, बागवानी विश्वविद्यालय, नौणी, जे.पी. विश्वविद्यालय, वाघनाघाट, बहारा विश्वविद्यालय, शोघी, इटरनल विश्वविद्यालय, बडु साहिब, चितकारा और शूलिनी विश्वविद्यालय में स्थापित की गई हैं।

तरुण कपूर प्रधान सचिव, पर्या. वि. एवं प्रौ. विभाग, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। और उन्होने उदघाटन भाषण दिया उन्होंने विस्तार से नव परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया तथा अधिकारों के संरक्षण पर प्रकाश डाला प्रारंभिक भाषण अजय कुमार लाल, निदेशक पर्या. वि. एवं प्रौ. विभाग, नें दिया स्वागत भाषण कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सदस्य सचिव एवं परिषद नें दिया। मुख्य भाषण निदेशक एच एफ आर आई शिमला तथा कीनोट भाषण डा. यशवन्त देव ने दिया जोकि भारत सरकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग दिल्ली से हैं। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्राध्यापक/वैज्ञानिकों ने अपनें कार्य की प्रस्तुति दी और विश्वविद्यालयों नें भी इसमें भाग लिया।

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