- परियोजना प्रत्येक 850 किलोवॉट की क्षमता वाली 56 पवन विद्युत जनरेटरों से युक्त
- पीयूष गोयल ने परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग के लिए की एसजेवीएन के प्रयासों की प्रशंसा
- भारत को पूर्ण रूप से पवन विद्युत क्षमता के लिए अभी बहुत कुछ करना है : पीयूष गोयल
- हमें इस विद्युत स्टेशन को समर्पित करते हुए बहुत खुशी है जिसके जरिए हम पवन विद्युत उत्पादन में दे सकेंगे योगदान : आर.एन. मिश्र

“एसजेवीएन” का खीरविरे पवन विद्युत स्टेशन देश को समर्पित
शिमला : केन्द्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के खीरविरे तथा कोंभालने गांवों में अवस्थित

भारत को पूर्ण रूप से पवन विद्युत क्षमता के लिए अभी बहुत कुछ करना है : पीयूष गोयल
एसजेवीएन के खीरविरे पवन विद्युत स्टेशन को आज देश को समर्पित किया। सभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एसजेवीएन वास्तव में राष्ट्रीय एकता का एक उदाहरण है। भारत के सबसे बड़े 1500 मेगावाट की क्षमता वाले जलविद्युत स्टेशन को प्रचालित करने वाली हिमाचल आधारित कंपनी एसजेवीएन ने महाराष्ट्र राज्य में पवन विद्युत स्टेशन को भी स्थापित किया है।
इस अवसर पर विधायक औरंगाबाद अतुल सावे, आईएएस क्लेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट डॉ.निधि पांडे, एसजेवीएन के निदेशक (विद्युत) आर.के. बंसल, परियोजना प्रमुख संजय उप्पल तथा एसजेवीएन से अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। इस 47.6 मेगावाट के पवन विद्युत स्टेशन की सफलतापूर्वक कमीशनिंग भारत की प्रतिष्ठित, बहु राज्य, बहु राष्ट्रीय तथा विद्युत क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी एसजेवीएन लि. ने की है जो भारत सरकार का शेड्यूल– ‘ए’ (श्रेणी-।) मिनी रत्न सीपीएसयू है। परियोजना प्रत्येक 850 किलोवॉट की क्षमता वाली 56 पवन विद्युत जनरेटरों (डब्ल्यूईजी) से युक्त है। परियोजना की सभी 56 मशीनों को दिनांक 20 मई,2014 तक कमीशन किया गया था। परियोजना की लागत 299.61 करोड़ रूपए थी। खीरविरे पवन विद्युत स्टेशन से उत्पादित विद्युत को 13 वर्षों के लिए वैध पीपीए के माध्यम से एमएसईडीसीएल को बेचा जा रहा है। परियोजना कमीशनिंग के बाद अब तक कुल 123 मिलियन यूनिट मूल्यवान ग्रीन विद्युत की आपूर्ति ग्रीड को कर चुकी है। इस अवसर पर केन्द्रीय विद्युत मंत्री पीयूष गोयल ने परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग के लिए एसजेवीएन लि. के प्रयासों की प्रशंसा की तथा कहा कि “चीन, अमेरिका, जर्मनी तथा स्पेन के बाद भारत पांचवा सबसे बड़ा ग्रिड से जुड़ा पवन विद्युत क्षमता वाला देश है। हालांकि भारत को पूर्ण रूप से पवन विद्युत क्षमता के लिए अभी बहुत कुछ करना है। इस विद्युत स्टेशन के साथ हम विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति काफी हद तक पूरा करने के लायक हो जाएंगे।”

एसजेवीएन लि. के अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक आर.एन.मिश्र
एसजेवीएन लि. के अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक आर.एन.मिश्र ने उद्घाटन के दौरान कहा कि “हमें इस विद्युत स्टेशन को समर्पित करते हुए बहुत खुशी है जिसके जरिए हम पवन विद्युत उत्पादन में योगदान दे सकेंगें”। भारत की अग्रणी विद्युत क्षेत्र् कंपनी होने के नाते हमने 47.6 मेगावाट की खीरविरे पवन विद्युत स्टेशन के साथ-साथ जल विद्युत से 1783 करोड़ रूपए के अपेक्षित राजस्व के साथ 8700 मिलियन यूनिट से अधिक विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा है। मिश्र ने आगे बताया कि 31 अगस्त, 2016 को भारत में पवन विद्युत की स्थापित क्षमता 27,675 थी। अभी तक भारत 80 मी. हब ऊंचाई पर उपलब्ध 1,02,788 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता में से केवल 26.92% का ही दोहन कर सका है। इसके अतिरिक्त, सीएसआर दायित्वों के तहत, एसजेवीएन परियोजना क्षेत्र में मैसर्स हैल्पेज इंडिया के माध्यम से एक मोबाईल चिकित्सा ईकाई का भी प्रचालन कर रहा है। परियोजना प्रभावित क्षेत्र के मेधावी विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां भी प्रदान की गई हैं।
- आज देश में विद्युत क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित एवं अग्रणी कंपनी है एसजेवीएन लिमिटेड
एसजेवीएन लि. भारत सरकार की एक शेड्यूल – ‘ए’ (श्रेणी-।) मिनी रत्न सीपीएसयू है। 24 मई,1988 में स्थापित एसजेवीएन लि. आज देश में विद्युत क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित एवं अग्रणी कंपनी है। एकल परियोजना कंपनी से प्रारंभ करके एसजेवीएन ने अपने फलक का विस्तार बहु-राज्य, बहु-राष्ट्रीय कंपनी के रूप में किया है जो देश के विभिन्न राज्यों तथा पड़ोसी देशों नेपाल तथा भूटान में परियोजनाएं कार्यान्वित कर रहा है । एसजेवीएन ने हिमाचल प्रदेश राज्य में देश के सबसे बड़े जल विद्युत स्टेशन नाथपा झाकड़ी जल विद्युत स्टेशन (1500 मेगावाट क्षमता) का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन तथा प्रचालन करके अपनी क्षमता सिद्ध की है। एसजेवीएन ने हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट की रामपुर परियोजना को कमीशन किया है तथा अब निर्माण के विभिन्न चरणों में 8 जल विद्युत परियोजनाएं ( हिमाचल प्रदेश में 2, उत्तराखण्ड में 3, अरूणाचल प्रदेश में 1 तथा विदेश में 2) तथा एक बिहार में सूपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना भी है।