हिमकोस्ट शिमला कर रहा है छह दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन

शिमला: ईआईसीएपी पीसी-हब, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट), शिमला द्वारा 11 से 16 नवंबर, 2025 तक विज्ञान शिक्षण एवं सृजनात्मकता केन्द्र, आनंदपुर, शोघी, शिमला में “आजीविका एवं वनाग्नि प्रबंधन – चीड़ की पत्तियों को अवसरों में बदलना” विषय पर छह दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध चीड़ की पत्तियों का उपयोग पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों जैसे टोकरी, मैट तथा सजावटी वस्तुएँ आदि बनाने में करना सिखाना है। इस पहल का उद्देश्य न केवल वनाग्नि की समस्या को कम करना है, बल्कि महिलाओं को स्वरोजगार और आजीविका के नए अवसर प्रदान करना भी है। इस कार्यशाला में लगभग तीस महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मंत्रालय का यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार की ग्रीन स्किल पहलें और क्षमता निर्माण कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा देशभर में ईआईसीएपी पीसी-हब/आरपी के माध्यम से आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य युवाओं एवं महिलाओं को पर्यावरण-संवेदनशील कौशलों में प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देना है।

ईआईएसीपी पीसी-हब, हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (हिमकॉस्टे), शिमला द्वारा महिलाओं के लिए “आजीविका एवं वनाग्नि प्रबंधन – पाइन की सुइयों को अवसरों में बदलना” विषय पर छह दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन 11 से 16 नवम्बर, 2025 तक विज्ञान शिक्षण एवं सृजनात्मकता केन्द्र, आनंदपुर, शोघी, शिमला में किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा प्रायोजित है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को पहाड़ी क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पाइन की सुइयों का उपयोग कर पर्यावरण अनुकूल उत्पाद जैसे टोकरी, चटाई एवं सजावटी वस्तुएँ आदि बनाने का प्रशिक्षण देना है। यह पहल न केवल वनाग्नि की समस्या को कम करने में सहायक होगी, बल्कि महिलाओं के लिए आत्मरोजगार एवं आजीविका के नए अवसर भी प्रदान करेगी। इस कार्यशाला के दौरान कुल 30 महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
हरित कौशल पहल और मंत्रालय के क्षमता निर्माण कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। ऐसे कार्यक्रम देशभर में ईआईएसीपी पी-हब्स / आरपीज़ के माध्यम से आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य युवाओं एवं महिलाओं को पर्यावरण-संवेदनशील कौशलों में प्रशिक्षित करना तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को साकार करना है।

सम्बंधित समाचार

Comments are closed