पशु पालन विभाग ने योजना का प्रारूप तैयार कर केंद्र को भेजा
शिमला : देश की सीमाओं के प्रहरी के तौर पर चरवाहों की अहम भूमिका है। हमारी सीमाओं की, पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनका योगदान हमेशा अग्रणी रहा है। इसमें गद्दी, गुज्जर आदि मुख्य तौर पर शामिल है। इनके लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है, जिसका नाम *पहल* रखा गया है। इस योजना को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस योजना से चरवाहों को काफी लाभ मिलेगा। पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक शुक्रवार को निदेशालय में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं पशुपालन मंत्री चन्द्र कुमार ने की। बैठक में विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। सभी योजनाओं के नोडल अधिकारियों ने योजनाओं को लेकर प्रस्तुतीकरण भी दिया।
उन्होंने कहा जहां-जहां डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई जा रही है, वहां पर निरंतर दूध का उत्पादन होना चाहिए। इसके साथ ही ऐसी जगह सोसायटी स्थापित हो जहां से दूध एकत्रित करने के लिए आसानी भी हो सके। भविष्य की मांग को देखते हुए इन सोसायटी का गठन किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए है जिन पंचायतों में सोसायटी स्थापित नहीं करना चाहते है, वहां की पंचायत को प्रस्ताव पास करके देना होगा कि पंचायत डायरी सोसायटी स्थापित नहीं करना चाहती है। यह प्रस्ताव सभी पंचायत सदस्यों की मौजूदगी में होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए है सोसायटी का पंजीकरण निर्धारित समय 15 अक्टूबर 2025 तक करें। इसमें देरी होने पर संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
पशु चिकित्सकों को फील्ड में उतरने के निर्देश
उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के स्टाफ को फील्ड में उतरना होगा। चिकित्सक फील्ड में पशु पालकों से निरंतर वार्ता करें। घर द्वार पर ही किसानों के पशुओं को स्वास्थ्य देखभाल में फीडबैक ले। अस्पताल में ओपीडी की संख्या काफी कम हो रही है। जो चिकित्सक फील्ड में नहीं जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही भी अमल में लाई जाएगी। असल में किसानों को पशुओं को अस्पताल लाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में 44 मोबाइल वेटनरी यूनिट से पशुपालकों को लाभ दिया रहा है। रोजाना औसतन प्रदेश भर में 5.36 केस का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कहा कि आत्मनिर्भर हिमाचल और किसानों की आय दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य है। पशुधन होगा तो कृषि हो पाएगी। दोनों एक दूसरे के पूरक है। उन्होंने प्रदेश के पशु अस्पतालों में सभी दवाइयों की उपलब्धता शीघ्र मुहैया करवाने के निर्देश दिए है। प्रदेश में टैगिंग और बिना टैगिंग के पशुओं का इलाज करवाने के लिए फील्ड स्टाफ कार्य करे। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया है कि विभाग के अंदर स्टडी ग्रुप बनाया जाए, जिसका काम विभाग की क्रियान्वयन को बेहतरी के लिए सुझाव एवं योजना बनाना होगा। इसमें विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालन विभाग के ढांचे का पुनर्गठन किया जाएगा। इसके तहत लोगों की सुविधा के हिसाब से आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ किया जाएगा। अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी। वहीं अत्याधुनिक सुविधा भी मुहैया करवाई जाएंगी। प्रदेश में लाइवस्टॉक सेंसस के तहत 25 सितंबर 2025 तक 3517937 जनसंख्या है। प्रदेश में पशुओं के लिए वैक्सीन 100 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।
डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी
विभाग की ओर से पहले चरण में 533 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया गया है। जहां पर प्रतिदिन 200 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है । इनमें अभी तक 331 डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी का गठन किया जा चुका है । दूसरे चरण में 518 ग्राम पंचायतें जहां पर 100 से 200 लीटर के आसपास रोजाना दूध उत्पादन है। वहां पर इन सोसायटी का गठन किया जाएगा। हिमफैड की ओर से 108 नई डायरी कोऑपरेटिव सोसायटी से दूध की खरीद की जा रही है । ये करीब 30, 475 लीटर प्रतिदिन एकत्रित किया जा रहा है।
दूध प्रोत्साहन योजना 4 अक्टूबर को होगी शुरू
किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए पात्र गैर-सरकारी डेयरी सहकारी समितियों को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों के लिए दूध प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत दूध उत्पादकों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से 3 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह योजना 4 अक्टूबर, 2025 को प्रदेश में लांच की जाएगी। इसमें 8 हज़ार सदस्य जमी 4 सोसायटी के है, इन्हें लाभ मिलेगा। यह कदम डेयरी किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा और दूध उत्पादन को बढ़ावा देगा।
पहल (PEHEL) योजना जल्द होगी शुरू