8 राज्‍यों की 50000 हैक्‍टेयर भूमि को है अगले तीन वर्षों में जैविक खेती में बदलना : राधा मोहन सिंह

  • केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने विभिन्‍न जैविक उत्‍पादों को बेचे जाने के लिए दो स्टोरों का किया उदघाटन

 

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहाँ विभिन्‍न जैविक उत्‍पादों को बेचे जाने के लिए दो स्टोरों का उदघाटन किया। सिंह ने इस अवसर पर ध्यान दिलाया कि भारत सरकार ने उत्‍तर पूर्वी क्षेत्र के लिए जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन परियोजना का शुभारंभ जनवरी, 2016 को किया था। इस परियोजना के अर्न्‍तगत उत्‍तर पूर्व के सभी 8 राज्‍यों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन राज्‍यों की 50000 हैक्‍टेयर भूमि को अगले तीन वर्षों में जैविक खेती में बदलना है। साथ ही कृषि मंत्रालय ने एक अन्‍य परियोजना परम्‍परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को भी पूरे भारतवर्ष में 2015 से क्रियान्‍वित किया है। इस परियोजना के अंतर्गत पूरे देश में अगले तीन वर्षों में 10000 कलस्‍टर का निर्माण कर दो लाख हैक्‍टेयर क्षेत्रफल को जेविक खेती के रूप में विकसित करना है।

कृषि मंत्री ने जानकारी दी की जैविक खेती के विभिन्‍न उत्‍पादों को राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बेचा जायेगा। इसी क्रम में दो स्‍टोर के माध्‍यम से विभिन्‍न जैविक उत्‍पादों को बेचे जाने की शुरूआत की गयी है। इन उत्‍पदों में उत्‍तर पूर्वी जैविक उत्‍पादों के साथ-साथ उत्‍तराखण्‍ड़, हिमाचल प्रदेश एवं अन्‍य प्रदेशों के जैविक उत्‍पादों की बिक्री भी की जायेगी। दूसरे स्टोर से जैविक कैफेटेरिया की सुविधा उपलब्‍ध की जायेगी जिससे सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को दोपहर का खाना उपलब्‍ध होगा।

सिंह ने जानकारी दी कि इस कार्य को करने के लिए सिमफेड़ (एसआईएमएफईडी), गंगटोक, सिक्‍किम सरकार को अधिकृत किया गया है यदि यह कार्य सफल रहा तो अगली योजना में इस प्रकार के स्‍टोर दिल्‍ली के अन्‍य परिसरों में भी खोले जायेंगे साथ ही माल के अन्‍दर भी इस प्रकार की सुविधा सिमफेड़ अथवा अन्‍य विश्‍वसनीय एजेंसी के माध्‍यम से विकसित की जायेगी ताकि हमारे देश के जैविक कृषकों को उनके उत्‍पादों का उचित मूल्‍य प्राप्‍त हो सके तथा समाज के अन्‍दर जैविक उत्‍पादों को बढ़ावा मिल सके क्‍योंकि जैविक उत्‍पाद ही हमारे स्‍वास्‍थ्‍य को बनाये रख सकते है साथ ही हमारी धरती माता के स्‍वास्‍थ्‍य एवं पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित रख सकते हैं। भविष्‍य की कृषि जैविक खेती पर ही निर्भर होगी और किसानों का भविष्‍य भी जैविक खेती से ही चमकेगा।

 

 

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