7 जून से 12 जून तक बैंकों में सार्वजनिक लेन-देन प्रातः 10 बजे से 2 बजे तक होगा : ए.के. गुप्ता

24-25 मार्च को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल

 नई दिल्ली: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने 23 मार्च की मध्यरात्रि से 25 मार्च की मध्यरात्रि तक अखिल भारतीय बैंक हड़ताल का ऐलान किया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस एक संयुक्त निकाय है जिसमें 9 बैंक यूनियन शामिल हैं। ये यूनियन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक, विदेशी बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के 8 लाख से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फैडरेशन, नैशनल कन्फैडरेशन ऑफ बैंक यूनियन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक इम्प्लाइज फैडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नैशनल बैंक इम्प्लाइज फैडरेशन, इंडियन नैशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस, नैशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नैशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स यूनियन शामिल हैं। जो इस हड़ताल का समर्थन करेंगी।

नौकरियों में बढ़ोतरी और नियमितीकरण – बैंकिंग क्षेत्र में सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती हो और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जाए।

सप्ताह में 5 दिन कार्य प्रणाली लागू हो – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बीमा कंपनियों में पहले से लागू पाँच दिवसीय कार्य सप्ताह को बैंकों में भी लागू किया जाए।

सरकारी हस्तक्षेप बंद हो – सरकारी नीतियों द्वारा बैंकों में अनुचित हस्तक्षेप को रोका जाए।

पीएलआई और प्रदर्शन समीक्षा नीति वापस ली जाए – हाल ही में जारी परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और समीक्षा प्रणाली को तत्काल रद्द किया जाए, क्योंकि यह कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा के खिलाफ है।

कर्मचारियों पर हो रहे हमले रोके जाएं – बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों को असामाजिक तत्वों से सुरक्षा दी जाए।

रिक्त पदों को भरा जाए – सार्वजनिक बैंकों में खाली पड़े श्रमिक और अधिकारी निदेशक पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।

ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाई जाए – ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन कर सीमा 25 लाख तक की जाए और इसे कर मुक्त किया जाए।

आउटसोर्सिंग पर रोक – बैंकिंग क्षेत्र में स्थायी नौकरियों का आउटसोर्सिंग पूरी तरह से बंद किया जाए।

आईडीबीआई बैंक में सरकारी हिस्सेदारी बनाए रखी जाए – सरकार की न्यूनतम 51% हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।

बैंकों में कर्मचारियों की भारी कमी

बैंकों में स्टाफ की कमी के कारण ग्राहक सेवा प्रभावित हो रही है और कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्यभार बढ़ रहा है।

पिछले एक दशक में कर्मचारियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।

2013 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 8,56,450 कर्मचारी थे, जो 2024 में घटकर 7,03,139 रह गए। अधिकारियों की संख्या – 2013 में 3,98,801, अब घटकर 2,46,965 रह गई (-1,51,836 की कमी)। सब-स्टाफ की संख्या – 2013 में 1,53,628, अब 94,348 (-59,280 की कमी)।

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