बिलासपुर: प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने ग्राम पंचायत सियूं में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के पंचायत सियूं के अंतर्गत कसारू में 300 करोड़ रूपए की लागत से हिमाचल प्रदेश की पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रगति पर है और शीघ्र ही निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। धर्माणी ने कहा कि डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना से क्षेत्र के युवाओं को विश्व स्तरीय, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्राप्त होगी। यह पहल राज्य में शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पारंपरिक विषयों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, डेटा साइंस, सेमीकंडक्टर, मशीन लर्निंग और उभरती प्रौद्योगिकियों पर आधारित उद्योग-केंद्रित पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि डिजिटल लर्निंग मोड और वर्चुअल लैब्स की सहायता से विद्यार्थी अपनी गति से सीख सकेंगे, जिससे शिक्षा अधिक लचीली, सुलभ और किफायती बनेगी। ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों को अब बड़े शहरों में जाए बिना ही रोजगारोन्मुख शिक्षा प्राप्त होगी। इससे क्षेत्र के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलेंगे और यह परियोजना घुमारवीं क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
*****धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार क्रांतिकारी और गुणवत्तापूर्ण सुधार कर रही है। सरकार का लक्ष्य नए स्कूल खोलने के बजाय मौजूदा शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से राज्य के 100 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध करने जा रही है, जिनकी सूची जारी कर दी गई है।उन्होंने बताया कि जिला बिलासपुर में 6 स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ा जाएगा, जिनमें से घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के भराड़ी, हटवाड़ और घुमारवीं के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि चौथा सीबीएसई स्कूल कपहाड़ा में खोला जाए। धर्माणी ने कहा कि मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ऐसी सभी विधवाओं, तलाकशुदा, निराश्रित और दिव्यांग माता-पिता के 27 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों की शिक्षा पर होने वाला समस्त व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पात्र बच्चों के आरडी खातों में 18 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह एक हजार रूपए की राशि जमा करवाई जाएगी, ताकि उनकी शिक्षा में कोई आर्थिक बाधा न आए। इसके अतिरिक्त, सरकार ने वृद्धावस्था, विधवा, एकल नारी, दिव्यांग और कुष्ठ रोगी पेंशन योजनाओं के तहत 40 हजार नए पात्र लाभार्थियों को शामिल करने का निर्णय लिया है।
****मंत्री धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक आदर्श अस्पताल स्थापित करने जा रही है, जहां कम से कम 6 विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि सरकार गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है, ताकि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें।












