मुख्य सचिव द्वारा मानसून के दृष्टिगत समयबद्ध तैयरियां करने के निर्देश

  • उपायुक्तों को ब्राडॅबैण्ड सुविधा सहित नियत्रंण कक्ष स्थापित करने के निर्देश

 शिमला: मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने कहा कि इस वर्षा ऋतु के दौरान राज्य में अच्छी वर्षा का पूर्वानुमान है जो राज्य सहित किसान समुदाय में खुशहाली लाएगा, लेकिन अत्यधिक जल प्रवाह, आकस्मिक बाढ़ तथा भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रदेश के सभी उपायुक्तों, संबंधित विभागों व हितधारकों से आगामी वर्षा ऋतु के दौरान संभावित आपदा जोखिमों का सामना करने तथा इन्हें कम करने के लिए पूरी तरह तैयार व सजग रहने के निर्देश दिये।

फारका आज यहां इस वर्षा ऋतु के दौरान आवश्यक ऐतिहाति तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य वर्षा ऋतु के दौरान भू-स्खलन के लिये संवेदनशील हैं, इसके मद्देनजर जान व माल के नुकसान को कम करने के उद्देश्य से आपदा प्रबन्धन एहतियाती उपाय, बचाव, आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने की नीति पर आधारित होना चाहिए।

फारका ने बाढ़ व भू-स्खलन की अधिक आशंकाओं वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा कहा कि ऐसे स्थलों की सूची जिला स्तर पर तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि समय रहते नदियों व बाढ़ की आशंका वाले स्थलों के किनारे अस्थाई रूप से बसी प्रवासी मजदूरों की कालोनियों को खाली कर इन्हें अन्यत्र सुरक्षित स्थानांे पर स्थानांतरित की जाएं। उन्होंने पंचायत स्तर पर नदियों व नालों के किनारे मलवा व कूड़ा-कचरा फैंकने पर भी निगरानी रखने तथा समय रहते इसे हटाने के निर्देश दिए, ताकि पानी का बहाव अवरूद्ध न हो।

मुख्य सचिव ने आपदाओं से निपटने के लिए ऐतिहाती कदम उठाने पर बल देते हुए कहा कि लाईन विभागों एवं समस्त हितधारकों को समय पर मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा से निपटने के लिए प्रभावी संचार व सूचना संप्रेषण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा सभी विभागों आपदा के दौरान हर समय बेहतर सम्पर्क बनाए रखना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, स्थानीय, जिला, पा्रदेशिक तथा राष्ट्रीय स्तर पर एजेंसियों में आपसी ताल-मेल होना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं से शीघ्रता से निपटा जा सके। उन्होंने सतलुज, व्यास, रावी तथा अन्य नदियों में चेतावनी प्रणाली को सुदृ़ढ़ करने पर भी बल दिया। उन्होंने जिला मुख्यालय में लैंड लाईन दूरभाष व ब्रॉड़बैंड सुविधा सहित नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के भी निर्देश दिए। हालांकि, कुछ जिलों में इन्हें पहले ही स्थापित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पुलिस, गृह रक्षा तथा नागरिक सुरक्षा विभागों द्वारा प्रदेश में त्वरित रिसपांस दलों का गठन पहले ही किया जा चुका है ताकि किसी भी आपदा से तत्काल निपटा जा सके। उन्होंने उपायुक्तों से संबंधित जिलांे में जिला आपदा रिसपांस दल गठित करने के भी निर्देश दिए और कहा कि इस कार्य से जुड़े सभी लोगों को प्रशिक्षण तथा दक्षता निर्माण का प्रशिक्षण का प्रबन्ध किया जाना चाहिए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को पूरे प्रदेश तथा राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर स्थापित जल निकासी को दुरूस्त करने के भी निर्देश दिए।

फारका ने समय रहते आवश्यक वस्तुओं तथा स्वच्छ पेयजल का भण्डारण सुनिश्चित बनाने पर भी बल दिया ताकि आपदा की स्थिति में लोगों को सभी आवश्यक वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकें। उन्होंने जल जनित बीमारियों से निपटने के लिए भी तैयार रहने के निर्देश दिए और कहा कि आवश्यक दवाईयों व जीवन रक्षक यंत्रों की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाया जाए।

मुख्य सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्त को संबंधित विभागों व हितधारकों के साथ समय-समय पर बैठकें आयेजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा के समय स्थानीय श्रम शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। ऐसे में विभिन्न स्तरों पर स्थानीय दलों का गठन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए तथा इनकी एक डायरेक्ट्री तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नुकसान से संबंधित रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के पास निर्धारित प्रपत्र पर सही नाम व पद के पूर्ण ब्यौरे सहित समय-समय पर प्रस्तुत की जाए और इस प्रकार की रिपोर्ट पटवार वृत स्तर पर भी तैयार की जाएगी।

 

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