किसानों को कृषि उद्योगों के मुनाफे को समान रूप से साझा करना चाहिए-वीपी
जब किसान खर्च करता है, तब अर्थव्यवस्था अपने आप संचालित होती है-वीपी
उपराष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र की मुख्य चुनौतियों-खराब मौसम, अप्रत्याशित बाजार की स्थितियों- से निजात दिलाने की आवश्यकता को रेखांकित किया
किसी भी रूप में कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली कोई भी आर्थिक सहायता सीधे किसानों तक पहुंचनी चाहिए-वीपी
केंद्र सरकार ने हल्दी बोर्ड बनाकर हल्दी किसानों को राहत दी है-वीपी
उपराष्ट्रपति ने भारत को दुनिया का सबसे आकांक्षी देश होने की संज्ञ दी और कहा “यह दिल मांगे मोर”
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि किसानों के मुद्दों का समय पर समाधान अत्यन्त आवश्यक है और इस बात पर बल दिया कि देश किसानों की चिंताओं को कम प्राथमिकता देना गवारा नहीं कर सकता है। आज धारवाड़ में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के अमृत महोत्सव और पूर्व छात्र मिलन समारोह के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन देते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि, “किसानों की समस्या पर तत्काल राष्ट्रीय ध्यान देने की आवश्यकता है। किसानों को आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता है। हम इस देश में, जो आगे बढ़ रहा है और जिसका विकास रोका नहीं जा सकता है और इसका इतना विकास पहले कभी नहीं हुआ है, किसानों की चिंताओं को कम प्राथमिका नहीं दी जा सकती। समय सभी मुद्दों के समाधान का सार है। लेकिन मैं कहूंगा कि जब किसानों की समस्याओं का समाधान खोजने की बात आती है, तब समय की कीमत अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। सरकार काम कर रही है। हम चाहते हैं कि सभी लोग एक-दूसरे के साथ समन्वय बनाकर काम करें और समाधान खोजने के लिए एक सकारात्मक सोच के साथ एकत्रित हों।‘‘
देश की अर्थव्यवस्था पर कृषि क्षेत्र के व्यापक प्रभाव पर रोशनी डालते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “कृषि आधारित उद्योग, कृषि उपज आधारित उद्योग, कपड़ा, खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल और कई अन्य। वे समृद्ध हो रहे हैं, वे लाभ कमा रहे हैं। हमारे किसानों को लाभ को समान रूप से साझा करना चाहिए। इन संस्थानों को अपने सीएसआर फंड को किसान के कल्याण के लिए, कृषि क्षेत्र के अनुसंधान के लिए समर्पित करना चाहिए। उन्हें इस दिशा में उदारता से सोचना चाहिए, क्योंकि कृषि उपज उनकी जीवन रेखा है और ये दिल की धड़कन किसानों द्वारा नियंत्रित होती है। हमें तीन काम करने हैं: पहला, हमारे किसानों को खुश रखें। दूसरा, हमारे किसानों को खुश रखें। और तीसरा, हमारे किसानों को किसी भी कीमत पर खुश रखें।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जब किसान आर्थिक रूप से ठीक होता है, तब अर्थव्यवस्था अपने आप आगे बढ़ती है, क्योंकि किसान के खर्च करने की क्षमता यही है और इसलिए, हम एक और सकारात्मक प्रभाव देखेंगे। अगर कृषि क्षेत्र जीवंत, समृद्ध, स्नेहित, जिसका ध्यान रखा जा रहा है, तो कृषि क्षेत्र में कोई गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां नहीं होंगी। हमें किसानों पर उसी तरह ध्यान देना चाहिए, जैसे हम आईसीयू में अपने मरीजों पर देते हैं।”
खराब मौसम और अप्रत्याशित बाजार स्थितियों जैसे मुख्य तनावों से किसानों को राहत दिलाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि, “कृषि क्षेत्र को मुख्य तनावों से मुक्त करने और उनका विश्लेषण करने का समय आ गया है। सरकार बहुत कुछ कर रही है, लेकिन किसान खराब मौसम, अप्रत्याशित बाजार स्थितियों पर निर्भर है। अगर कमी है, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है। अगर बहुत कुछ है, तो उसे नुकसान उठाना पड़ता है। और इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए वे तरीके तलाश करने होंगे जिससे हमारे किसान अच्छा आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखें।”
कृषि क्षेत्र की सभी तरह की सब्सिडी को सीधे किसानों तक पहुंचाने की वकालत करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि, “मैं चाहता हूं और दृढ़ता से इसकी सराहना करता हूं कि कृषि क्षेत्र को किसी भी रूप में दी जाने वाली कोई भी सब्सिडी, चाहे वह उर्वरक हो या अन्य, सीधे किसानों तक पहुंचनी चाहिए। किसान को ही फैसला करने दें, यहां तक कि उर्वरक सब्सिडी जो बहुत बड़ी है… कृषि विज्ञान के अर्थशास्त्रियों को यह सोचना चाहिए कि अगर यह सहायता सीधे किसानों तक पहुंचेगी, तो इससे किसान रासायनिक उर्वरकों के विकल्प की ओर अग्रसर होगा। किसान इस धन का उपयोग जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए कर सकते हैं।”
हल्दी बोर्ड के गठन के लिए सरकार की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा, “जब मैंने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से एक घोषणा सुनी तो मुझे बहुत खुशी हुई। हल्दी बोर्ड, राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड, हल्दी के लिए एक बहुत बड़ा कदम है। पांच साल में उत्पादन दोगुना हो जाएगा। निर्यात बाजार बनाने के लिए एक सकारात्मक रूप में सरकार द्वारा हस्तक्षेप किया जाएगा। किसानों को लाभ होगा। किसान उसमें भी मूल्य जोड़ेंगे… केंद्र सरकार ने हल्दी बोर्ड बनाकर हल्दी किसानों को राहत दी है। क्या उपलब्धि है। मैं सरकार से दृढ़ता से आग्रह करता हूं कि ऐसे और बोर्ड बनाए जाएं, ताकि हर कृषि-उपज को मूल्य संवर्धन और विशेष उपचार मिल सके।”