शिमला IGMC में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू; कैंसर मरीजों को होगा फायदा
शिमला IGMC में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू; कैंसर मरीजों को होगा फायदा
शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला में सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पेट के कैंसर का सफलतापूर्वक लेप्रोस्कोपी तकनीक से उपचार किया है। तीनों मरीज स्वस्थ है। वहीं अब जल्द सभी को छुट्टी दे दी जाएगी।
शिमला के आईजीएमसी प्राचार्य डॉ. सीता ठाकुर, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव, सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. यूके चंदेल ने मीडिया के समक्ष यह जानकारी दी। मंगलवार को आईजीएमसी सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. यूके चंदेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अस्पताल में कैंसर से संबंधित बड़े ऑप्रेशन लैप्रोस्कोपी से हो रहे हैं। हाल ही में आईजीएमसी सर्जरी के डॉक्टरों ने बड़ी आंत, फूड पाइप और गैस्ट्रो से संबंधित ऑप्रेशन लैप्रो तकनीक से किए हैं। ये सभी ऑप्रेशन सफल रहे और मरीज कुछ ही घंटों में स्वस्थ हो गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीजीआई से पहले 1993 में लैप्रोस्कोपी से सर्जरी शुरू हुई थी। उस समय पीजीआई में भी ये सर्जरी नहीं होती थी। अब आईजीएमसी में इस आधुनिक तकनीक के साथ और ज्यादा ऑप्रेशन हो रहे हैं। ऐसे में इसका फायदा मरीजों को हो रहा है। बीते कुछ साल पहले आईजीएमसी में पहली बार आहार नली का ऑप्रेशन हाइटैक लैप्रोस्कोपिक तकनीक से किया गया था। बड़े शहरों में इस ऑप्रेशन पर चार से पांच लाख रुपए तक खर्च आता है, लेकिन आईजीएमसी में यह सर्जरी नि:शुल्क की गई थी। इस तकनीक से बिना चीर-फाड़ किए 74 वर्ष के बुजुर्ग मरीज का सफल ऑप्रेशन किया गया।
सर्जरी विभाग के HOD डॉ. यूके चंदेल ने बताया कि वे पहले केवल ओपन सर्जरी के माध्यम से मरीजों का उपचार करते थे जबकि अब भोजन नली के कैंसर के लिए, छाती के हिस्से की सर्जरी लेप्रोस्कोपी के माध्यम से की गई है। पेट और मलाशय के कैंसर के लिए पूरी सर्जरी लेप्रोस्कोपी के माध्यम से की गई है। ऐसी उन्नत सर्जरी आईजीएमसी में नियमित रूप से नहीं की जाती है और यह पहली बार है कि भोजन नली के कैंसर की सर्जरी लेप्रोस्कोपी का उपयोग करके की गई है।
वहीं IGMC शिमला की प्रिंसिपल डॉ. सीता का कहना है कि एडवांस सर्जरी की ओर IGMC बढ़ रहा है। नर्सिंग स्टाफ, ऑपरेशन थिएटर सहायकों और अन्य सहायक कर्मचारियों के महत्वपूर्ण समर्थन के कारण इसे अंजाम दे पाए है। IGMC में अधिकांश खर्च हिमकेयर कार्ड के अंतर्गत कवर किए जाते हैं, जिससे गरीब मरीजों को लाभ हो रहा है।