‘तनाव प्रबंधन’ पर दयानन्द पब्लिक स्कूल शिमला में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
‘तनाव प्रबंधन’ पर दयानन्द पब्लिक स्कूल शिमला में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
कार्यशाला में अध्यापकों की रोजमर्रा के जीवन में आने वाले तनाव व उसके निदान पर की गई परिचर्चा
कार्यशाला में स्कूल प्रधानाचार्या अनुपम और सोनाली सतपथी उप प्रधानाचार्या सेंट बिर्स इंटरनेशनल स्कूल बद्दी बतौर संसाधन व्यक्ति रहीं उपस्थित
शिमला: सीबीएसई ‘उत्कृष्टता का केंद्र’ पंचकुला द्वारा दयानन्द पब्लिक स्कूल शिमला में ‘तनाव प्रबंधन’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। तनाव जीवन का एक सामान्य हिस्सा है जो या तो हमें सीखने और बढ़ने में मदद कर सकता है या हमें महत्वपूर्ण समस्याएं पैदा कर सकता है। कार्यशाला में अध्यापकों की रोजमर्रा के जीवन में आने वाले तनाव व उसके निदान पर परिचर्चा की गई। कार्यशाला में विद्यालय प्रधानाचार्या अनुपम और सोनाली सतपथी उप प्रधानाचार्या सेंट बिर्स इंटरनेशनल स्कूल बद्दी बतौर संसाधन व्यक्ति उपस्थित रहीं। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और डीएवी गान से किया गया। संसाधन व्यक्तियों को पुष्प देकर सम्मानित किया गया। अनुपम द्वारा कार्यशाला की संक्षिप्त जानकारी दी गई। तत्पश्चात सोनाली सतपथी द्वारा कार्यशाला को प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला को आठ सत्रों में आयोजित किया गया।
प्रथम/द्वितीय सत्र को सोनाली सतपति द्वारा लिया गया जिसमें अध्यापकों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जानकारी दी गई। तनाव के प्रकारों को परिभाषित किया गया। अध्यापकों, छात्रों, अभिभावकों के तनाव को परिभाषित किया गया। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में विभिन्न प्रकार के तनाव से ग्रस्त रहता है, व्यक्तिगत, शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक। कार्यशाला में अध्यापकों ने एक ओर जहाँ अपने अनुभवों को भी साँझा किया वहीं दूसरी ओर तनाव को दूर करने के प्रयासों को भी व्यक्त किया। तीसरे सत्र को प्रधानाचार्या अनुपम द्वारा लिया गया जिसमें तनाव के मिथकों पर प्रस्तुति दी गई। अत्यधिक या दीर्घकालिक तनाव के प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं, जिसका हमारे करियर और रिश्तों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है, यही कारण है कि जब यह सामने आए तो इससे निपटना महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, तनाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकता है। तनाव हमेशा बुरा नहीं होता, तनाव परिस्थितियों पर निर्भर करता है। तनाव में सही राह खोजना उसे सकारात्मक या नकारात्मक बनाता है। तनाव के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए अध्यापकों के समूह बनाकर तनाव से सम्बंधित गतिविधि की गई। अध्यापकों द्वारा उत्साहित मन से सहभागिता दी गई। चतुर्थ सत्र में तनाव के स्त्रोतों को परिभाषित किया गया। जिसमें सामुहिक गतिविधि के माध्यम से अध्यापकों द्वारा अपनी प्रतिक्रिया दी गई। पंचम सत्र में सोनाली सतपची द्वारा ‘तनाव प्रतिक्रिया और उसके प्रभाव को डिकोड करना’ पर प्रस्तुति दी गई। तनाव जीवन में चुनौतियों या बदलावों के प्रति शरीर की शारीरिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया है। यह जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है। तनाव चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया है, और यह जीवन का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है। यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के रूप में प्रकट हो सकता है। तनाव सीमित मात्रा में फायदेमंद हो सकता है, लेकिन बहुत अधिक तनाव आपके शरीर और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। शरीर की तनाव प्रतिक्रिया, जिसे “लड़ाई-या- भागो” प्रतिक्रिया के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक अलार्म सिस्टम है जो लोगों को तनावपूर्ण स्थितियों से निपटने में मदद करता है। जब मस्तिष्क किसी खतरे को महसूस करता है, तो हाइपोथैलेमस एड्रेनल ग्रंथियों को एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन जारी करने के लिए प्रेरित करता है। सत्र छः, सात आठ में प्रधानाचार्या अनुपम द्वारा तनाव प्रबंधन के तरीकों को प्रस्तुत किया गया जिसमें मुख्यतः किन बातों पर हमें दृढ़ रहना है पर प्रस्तुति दी गई शारीरिक गतिविधि, समय प्रबंधन, अपने आप को प्रतिबंधित करना, संतुलित आहार, नित्य व्यायाम, ध्यान पूर्ण निंदा लेना, सकारात्मक बातें करना, किताबें पढ़ें और म्यूज़िक सुनें। तनाव को समझने और तनाव को दूर करने के लिए अनेक चलचित्र भी प्रस्तुत किए गए। तनाव के कारण शरीर में आने वाले विकारों को बताया गया। अध्यापकों ने कार्यशाला में आंनद लिया।