सुधीर शर्मा ने शिमला को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल करने का किया आग्रह

शिमला: प्रदेश सरकार ने केन्द्र से आग्रह किया है कि शिमला शहर को अम्रुत योजना के साथ.साथ स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत भी शामिल किया जाए। इसके अलावा राज्य में धर्मशाला को भी अम्रुत योजना के अन्तर्गत शामिल करने का अनुरोध किया है। शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू के साथ एक बैठक के दौरान यह मांग उठाई। उन्होंने प्रदेश में विकास से जुड़े अन्य कई प्रमुख मामलों पर भी केन्द्रीय मंत्री से चर्चा की।

उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से कहा कि शिमला को अम्रुत योजना में शामिल किया गया है लेकिन प्रदेश की राजधानी और एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पर्यटक गंतव्य होने के कारण इसे स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत भी शामिल करने की आवश्यकता है ताकि शहर का और विकास हो सके। उन्होंने आग्रह किया कि राज्य का सबसे बड़ा शहर होने तथा इसके ऐतिहासिक एवं धरोहर दर्जें को ध्यान में रखते हुए शिमला को अतिरिक्त तौर पर स्मार्ट सिटी मिशन में भी शामिल किया जाए।

सुधीर शर्मा ने कहा कि धर्मशाला को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शामिल किया गया है और उन्होंने मांग की कि इस शहर को अम्रुत मिशन में भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस संदर्भ में प्रस्ताव भेजा गयाक है। भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत चयनित अधिकांश शहरों को अम्रुत योजना में भी रखा हैए इसलिए प्रदेश के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए धर्मशाला को भी इस योजना में शामिल किया जाए।

उन्होंने कुल्लू.मनाली और मंडी, सुंदरनगर जैसे छोटे कस्बों को भी सामूहिक रूप से अम्रुत योजना में शामिल करने की भी मांग उठाई। सुधीर शर्मा ने धर्मशाला मल निकासी योजना के लिए धनराशि आवंटित करने का मामला भी उठाया। उन्होंने अवगत करवाया कि धर्मशाला नगर निगम ने धर्मशाला शहर के शेष बचे क्षेत्रों को सीवरेज सुविधा प्रदान करने के लिए 101.36 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पहले ही तैयार कर ली है।

राज्य की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए सहयोग देने पर केन्द्रीय मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत विशेष श्रेणी राज्य हिमाचल प्रदेश को वित्तीय सहायता बढ़ाई जाए तथा केन्द्रीय सहायता का आवंट 90:10 के आधार पर किया जाए। नायडू ने आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिकए सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

 

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