नई दिल्ली : लंबे समय से लटका रियल एस्टेट रेगुलेटरी बिल आखिरकार राज्यसभा में पास हो गया है। बिल में घर खरीदारों के हितों का ध्यान रखा गया है। इस बिल के पास होने के बाद बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लगेगी। इसके अलावा बिल में रियल एस्टेट रेगुलेटर बनाने का प्रावधान है। जिससे प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद आसानी से सुलझ पाएंगे। इस बिल के मुताबिक डेवलपर्स को जुटाई गई 50 फीसदी रकम को एस्क्रो खाते में रखना होगा। ग्राहकों से जुटाई रकम को कंस्ट्रक्शन कॉस्ट के लिए रखना होगा। जारी प्रोजेक्ट्स भी इस रियल एस्टेट बिल के दायरे में शामिल होगा।
बिल में घर खरीदारों के हितों का ध्यान रखा गया है। इस बिल के पास होने के बाद बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लगेगी। इसके अलावा बिल में रियल एस्टेट रेगुलेटर बनाने का प्रावधान है।
बिल के कानून बनने के बाद अब फ्लैट खरीदारों को निम्नलिखित फायदे होंगेः-
- हर राज्य में रियल एस्टेट रेग्युलर नियुक्त होंगे, जो सभी प्रोजेक्ट की निगरानी करेंगे और ग्राहकों की शिकायत सुनेंगे।
- बिल्डर प्रोजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं बल्कि कॉरपेट एरिया पर कर पाएगा। पजेशन देने के तीन महीने के अंदर बिल्डिंग को आरडब्ल्यूए को हैंडओवर करनी होगी।
- पजेशन में देरी या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर डेवलपर को ब्याज और जुर्माना देना होगा। -ग्राहकों से वसूले गए पैसे को 15 दिनों के भीतर बैंक में जमा करना होगा। इस पैसे को एस्क्रो अमाउंट के रूप में रखा जाएगा जिसका 70 फीसदी सिर्फ उसी प्रोजेक्ट पर खर्च हो सकेगा।
- प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डरों को उससे संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी।
- प्रोजेक्ट एरिया न्यूनतम 500 वर्ग मीटर रखा गया है। यानी, आठ फ्लैट का प्रोजेक्ट भी इस बिल के दायरे में आएगा।
- प्रोजेक्ट में बदलाव के लिए 66 फीसदी ग्राहकों की इजाजत जरूरी होगी।
- कॉन्ट्रैक्ट में होगा बदलाव, बदलेंगी शर्तें
रियल एस्टेट बिल के आने से पहले बिल्डर्स की कोशिश रहेगी कि वह ग्राहकों के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट्स में हर उस चीज को बदल दें, ताकि मामला रेग्युलेटर तक न पहुंचे। जाहिर तौर पर इस क्रम में शर्तें बदलेंगी और इस दिशा में पारदर्शिता बढ़ेगी। इसका लाभ सीधे तौर पर ग्राहक को मिलने वाला है।
- बिल्डर्स के लिए भी लाभप्रद
अब तक रियल एस्टेट बाजार में कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं होने के कारण बिल्डर्स की मनमानी जगजाहिर है. लेकिन यह भी सच है कि रियल एस्टेट बिल के आने से बिल्डर्स में भी बाजार के नियमों को लेकर स्पष्टता आएगी। सीधे शब्दों में कहें तो वह क्या करना है और क्या नहीं करना है यह जान लेंगे। हां, इस कारण उन्हें अपने पूरे बिजनेस मॉडल को फिर से तैयार करना होगा।
- मकानों की ऑफलोडिंग पर रहेगा जोर
बिल्डर्स की पहली कोशिश रहेगी कि वो पहले से बने हुए मकानों को जल्दी से जल्दी बेच दें। यानी मकानों की ऑफलोडिंग शुरू होगी। बाजार में बने हुए मकानों की संख्या बढ़ेगी और ज्यादा मकान होने की वजह से अभी मकान खरीदने का मन बना रहे ग्राहकों को लाभ मिलेगा।
- मंदी का दौर, घटेगी कीमतें
अगले छह महीने में बाजार में अधिक से अधिक मकान बेचने पर जोर रहेगा। यह मंदी का दौर है इस कारण मकान की कीमतों में बेतहाशा कमी देखने को मिल सकती है। यानी पास में पैसा है तो मकान खरीदने का इससे बेहतर समय नहीं मिलने वाला।
- जहां देर हो चुकी है, वहां पोजेशन पर जोर
यह समय उन लोगों के लिए भी लाभप्रद होने वाला है, जिन्हें समय से पोजेशन नहीं मिला है। क्योंकि बिल्डर्स यही चाहेंगे कि रेग्युलेटर के आने से पहले ऐसे सारे मामले निपटा दिए जाएं और कानूनी पचरों में फंसने से बचा जाए।
रियल इस्टेट बिल के पारित होने पर संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है। इस बिल के पास हो जाने के बाद खरीदारों को काफी मदद मिलेगी जिसका असर लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था में दिखेगा।
- बिल में खास क्या है
- बिल में आम जनता को ध्यान में रखते हुए लगभग सारे पहलुओं डालने की कोशिश की गई है।
- पहले 1000 स्क्वायर फ़ीट वाले प्रोजेक्ट ही नियम के दायरे में आते थे मगर अब सिर्फ इस पर ही नहीं बल्कि 500 स्क्वायर फ़ीट के साथ 8 फ्लैट वाले जितने भी प्रोजेक्ट को भी रेग्युलेटरी अथॉरिटी के साथ रजिस्टर कराना होगा।
- अगर किसी ने रजिस्टर नहीं किया वह अपने प्रोजेक्ट को लॉन्च नहीं कर पाएगा। अगर नहीं मन गया तो उस प्रोजेक्ट के करता धर्ता को जेल भी होगी।
- बिल के मुताबिक अपने प्रोजेक्ट के हिसाब से 70 प्रतिशत राशि एक अलग अकाउंट में जमा करना पड़ेगा।
- यह कानून सिर्फ हाउसिंग के लिए नहीं है बल्कि इसके साथ कमर्शियल प्रोजेक्ट्स भी इसमें आते हैं।
- इस बिल के लागू होने से बिल्डर काफी मुश्किल में फास्ट नज़र आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ यह बिल खरीदारों के लिए बहुत अच्छा है। इस बिल से बिल्डर किसी को धोखा नहीं दें पाएंगे।