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हिम धरोहर व इतिहास (Page 2)

महाभारत के इतिहास से जुड़ा खेल, नृत्य व नाट्य का सम्मिश्रण ठोडा

हिमाचल: महाभारत के इतिहास से जुड़ा “ठोडा” खेल

कौरवों व पांडवों की यादें पर्वतीय क्षेत्रों में अभी तक रची-बसी दुनिया में तीरंदाजी की कितनी ही शैलियां हैं मगर हिमाचल व उत्तराखंड की पर्वतावलियों के बाशिंदों की यह तीरकमानी अद्भुत व निराली...

हिमाचल की बोलियां : चार कोस पर बदले पाणी, आठ कोस पर बदले वाणी

लाहुल-स्पीति की संस्कृति, रहन सहन व धर्म ….

लाहुल-स्पीति में बौद्ध धर्म का इतिहास यहां के लोगों का रहन-सहन और यहां के लोगों का धर्म भारत में भोट बौद्ध संस्कृति को सीमावर्ती बौद्धों ने ही कर रखा है सुरक्षित लाहुल स्पीति, लद्दाख, किन्नौर,...

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा कल से, ना होगा विधिवत शुभारंभ और ना ही समापन

देवी-देवताओं के महासंगम का गवाह : कुल्लू दशहरा

कुल्लू के दशहरे का अपना इतिहास, पृष्ठभूमि व सांस्कृतिक परम्परा कुल्लू में दशहरे का शुभारंभ 17वीं शताब्दी में हुआ देश भर में मनाया जाने वाला दशहरा पर्व जहां आसुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों की...

"श्री रघुनाथ" मन्दिर कुल्लू का इतिहास

“श्री रघुनाथ” मन्दिर कुल्लू का इतिहास

श्री रघुनाथ मन्दिर मंदिर की विशेषता, भगवान रघुनाथ जी के विषय में जानकारी आज भी जगतसिंह के वंशज का बड़ा सुपुत्र श्री रघुनाथ जी का छड़ीदार हिमाचल देवभूमि है। यहां पर अनेकों देवी-देवताओं का वास...

हिमाचल के प्राचीन "प्रजातंत्र"

हिमाचल के प्राचीन “प्रजातंत्र”

जनपदों का आविर्भाव वैदिकयुग के अंत में हुआ प्रतीत होता है। जन अपने को किसी विशेष ऋषि की संतान मानते थे, वहीं गोत्र कहलाता था। प्रत्येक जन में अनेक कुटुंब होते थे और विभिन्न कुटुंबों के समुदाय...

आधुनिकता भरे माहौल में आज भी परंपरागत गहनों को सजीव रखे ... किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार

श्रृंगार और परिधान “किन्नौर” की परंपरा के विशेष परिचायक

आधुनिकता भरे माहौल में आज भी परंपरागत गहनों को सजीव रखे … किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार सिर से पांव तक गहनों से लदी किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार इनकी संस्कृति की सजीवता का प्रतीक  हिमाचल के...

हिमाचल : पर्यटन को विकसित करने के लिए 1900 करोड़ स्वीकृत, स्थानीय युवाओं के लिए बढ़ेंगे रोज़गार के अवसर

हिमाचल: ऐतिहासिक, पारम्परिक व सांस्कृतिक पहचान दर्शाती चौपाल की “वेशभूषा”

देश की बात हो या प्रदेश की उसकी जीवन शैली की पहचान वहां के रहने वाले लोगों, वेशभूषा, खानपान व आभूषणों से होती है। हांलाकि काफी समय से हमारे कई पारम्परिक परिधान और आभूषण लुप्त होते जा रहे हैं।...