सोलन: कृषि तकनीक को बढ़ाने के नौणी विवि., हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस में समझौता

खेती प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम विकसित करने की दिशा में करगें कार्य

सोलन : डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने हिमाचल प्रदेश एवं समान भौगोलिक क्षेत्रों में खेती के ज्ञान और विकसित तकनीकों को बढ़ाने के लिए रोहड़ू स्तिथ हिमगिरी एग्री सॉल्यूशंस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। कृषक समुदायों के हित में और दोनों संगठनों के संस्थागत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सहयोग बनाने के लिए विश्वविद्यालय में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह ने बताया कि इस समझौते के माध्यम से दोनों पक्ष अनुसंधान, शिक्षा और जैविक और प्राकृतिक कृषि उत्पादों, फल और सब्जी आधारित मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्माण में किसानों के कौशल उन्नयन के लिए साथ मिलकर काम करेगें। विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. संजीव चौहान और कंपनी के निदेशक जतिंदर सिंह ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभाग अध्यक्ष डॉ. एनएस ठाकुर, कुलपति के विशेष कार्य सचिव डॉ. सुधीर वर्मा और हिमगिरी के निदेशक जोगिंदर सिंह उपस्थित रहे।

प्रो. चंदेल ने कहा कि राज्य के भीतर और समान भौगोलिक क्षेत्रों में ज्ञान और विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने और किसानों के खेतों तक अनुसंधान का विस्तार करने की गुंजाइश है। इस एमओयू के तहत, दोनों पक्ष अकादमिक, तकनीकी और विस्तार ज्ञान को साझा करने के लिए कार्य करेगें। हिमगिरी, विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकों को भी अपनाएगी।

हिमगिरी सेब की खेती और बाग प्रबंधन में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक एड-टेक प्लेटफॉर्म ‘खेतियारी’ भी चलाता है। दोनों पक्ष इस मंच के माध्यम से कृषि प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और सामग्री के विकास के लिए आगे सहयोग करेंगे। यह कंपनी विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए प्रशिक्षण और इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करेगा और कंपनी और इसके नेटवर्क की सुविधाओं पर शोध अध्ययन करने के लिए छात्रों की मेजबानी करेगा।

इसके अलावा, सहयोग का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र उत्पाद विकास और जैविक और प्राकृतिक कृषि उपज के प्रसंस्करण में होगा। विश्वविद्यालय हिमीगिरी का मार्गदर्शन करेगा और प्राकृतिक कृषि उपज से उत्पाद श्रृंखला विकसित करेगा जिसके लिए विश्वविद्यालय की प्रसंस्करण सुविधाओं का भी उपयोग होगा।

समझौता ज्ञापन विश्वविद्यालय की पहुंच को मजबूत करने और आगे बढ़ाने और किसानों के साथ अपनी पैठ बढ़ाने का एक मंच होगा। विश्वविद्यालय के छात्रों को कंपनी के खेतों पर शोध परीक्षण करने और उन्हें इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने का अवसर भी मिलेगा।

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