नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जम्मू और कश्मीर के लिए 80 हजार करोड़ रूपए के पैकेज की घोषणा की। श्रीनगर में शेर ए कश्मीर स्टेडियम में अपने संबोधन में नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कश्मीरियत, जम्हूरियत, इंसानियत के संदेश का स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने भारत की सूफी परंपरा का जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत कश्मीरियत के बिना पूर्ण नहीं है’। उन्होंने राज्य के लोगों की जम्हूरियत में उनका भरोसा जताने पर सराहना की और कहा कि जम्मू और कश्मीर की प्रगति इंसानियत पर आधारित होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लिए काम किया है और इसलिए यह अनिवार्य है कि विकास देश के सभी हिस्सों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर राज्य को एक बार फिर से उन दिनों की ओर लौटना चाहिए जब भारत के सभी हिस्सों के लोग राज्य का भ्रमण करने के लिए पैसों की बचत करते थे। उन्होंने कहा कि पर्यटन के अलावा पशमीना और केसर जैसे क्षेत्रों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने 2001 में गुजरात में आए भूकंप के बाद पुनर्निमाण के अपने अनुभव का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले वर्ष बाढ़ के कारण जम्मू और कश्मीर राज्य को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था, पर उन्होंने लोगों के बीच जज्बा देखा था और उन्हें भरोसा था कि राज्य जल्द ही कठिनाइयों से उबर जाएगा। उन्होंने स्मरण किया कि किसी प्रकार बाढ़ के तुरंत बाद वह जम्मू-कश्मीर आए थे और अपनी पिछली दिवाली राज्य में ही मनाई थी। उन्होंने यह भी स्मरण किया कि कैसे उनकी मां ने पिछले वर्ष जम्मू और कश्मीर में बाढ़ राहत के लिए उन्हें 5,000 रुपए दिए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी हाल तक भारत में निराशा का माहौल था जो पिछले 17 महीनों से समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत को अब विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था माना जाता है।
प्रधानमंत्री ने जिक्र किया कि जम्मू-कश्मीर, जो युवा क्रिकेटर परवेज रसूल का घर है, में एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयोजित किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के शीर्ष बल्लेबाज राज्य में बने बल्लों का उपयोग करते हैं। इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री के जम्मू और कश्मीर के लिए विकास पैकेज के प्रमुख बिन्दु
- बाढ़ राहत पुनर्निमाण एवं बाढ़ प्रबंधन-7854 करोड़
इसमें ध्वस्त मकानों के पुनर्निमाण एवं बुनियादी ढांचे के पुनर्गठन के लिए लोगों की मदद के लिए ; व्यापारियों एवं छोटे व्यावसायियों की आजीविका को बहाल करने के लिए ; झेलम नदी एवं उसकी सहायक नदियों के लिए व्यापक बाढ़ प्रबंधन योजना के लिए ; एवं झेलम तवी बाढ़ पुनर्गठन परियोजना के लिए मौद्रिक सहायता शामिल है।
- सड़क एवं राजमार्ग परियोजनाएं- 42611 करोड़ रुपए
इसमें जोजिला दर्रा का निर्माण ; जम्मू एवं श्रीनगर में सेमी रिंग रोड ; बेहतर संपर्क के लिए भारत माला के तहत परियोजनाएं ; एवं महत्वपूर्ण राजमार्गों के उन्नयन और राज्य में अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
- बिजली, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा-11708 करोड़ रूपए
इसमें बिजली बुनियादी ढांचा एवं वितरण प्रणालियों ; सौर ऊर्जा ; लघु पन-बिजली परियोजनाओं का संवर्द्धन शामिल है।
- स्वास्थ्य- 4900 करोड़ रुपए
इसमें राज्य के राजधानी नगरों में एम्स जैसे दो संस्थानों का निर्माण, अस्पतालों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी ढांचे के सृजन के लिए समर्थन शामिल है।
- मानव संसाधन विकास, कौशल विकास एवं खेल – 2600 करोड़ रुपए
इसमें जम्मू में आईआईटी एवं आईआईएम की स्थापना ; अगले पांच वर्षों के दौरान एक लाख युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए हिमायत योजना के तहत प्रयासों में तेजी, एवं खेल बुनियादी ढांचे का संवर्द्धन शामिल है।
- कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण –529 करोड़
इसमें बागवानी एवं शीत भंडारण सुविधाओं के सृजन के लिए समर्थन शामिल है।
- पर्यटन- 2241 करोड़ रुपए
इसमें नई परियोजनाओं और पर्यटन परिपथों और 50 पर्यटन गांवों की स्थापना शामिल है।
- शहरी विकास-2312 करोड़ रुपए
इसमें स्मार्ट सिटी एवं स्वच्छ भारत अभियानों के तहत ; एवं जम्मू एवं कश्मीर शहरों में बुनियादी ढांचे के लिए राशि शामिल है।
- सुरक्षा एवं विस्थापित लोगों के कल्याण- 5263 करोड़ रुपए
इसमें कश्मीरी प्रवासियों के लिए रोजगार, छंब एवं पीओके के परिवारों के पुनर्वास, मकानों के निर्माण एवं पांच इंडिया रिजर्व बटालियनों की स्थापना के लिए राशि शामिल है। इंडिया रिजर्व बटालियन जम्मू और कश्मीर के युवकों के लिए 4 हजार रोजगारों का सृजन करेंगे।
- पशमीना संवर्द्धन परियोजना- 50 करोड़ रुपए
- कुल पैकेज राशि- 80,068 करोड़ रुपए
यह राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत 837 करोड़ रुपए और पिछले वर्ष की बाढ़ के बाद राज्य को दिए गए एक हजार करोड़ रुपए समेत पहले प्रतिबद्ध राशियों के अतिरिक्त है।