राज्यपाल ने रा.व.मा.पाठशाला बल्देयां के बच्चों से किया संवाद; बोले- देश की आजादी और स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के नाम तो विद्यार्थी जानते थे, लेकिन नहीं पढ़ी उनकी जीवनी 

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कक्षा के सभी 41 विद्यार्थियों को महापुरूषों की पुस्तकें की भेंट

शिमला : राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज शिमला के निकट मशोबरा विकास खंड के अन्तर्गत बल्देयां स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला का दौरा किया। उन्होंने स्कूल की नौंवीं कक्षा के विद्यार्थियों से संवाद किया।

राज्यपाल ने प्रदेश में नई पहल की है। वह किसी भी सरकारी स्कूल में जाकर विद्यार्थियों से बातचीत करते हैं और उन्हें पुस्तकें भेंट कर पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। गत दिनों उन्होंने सोलन के राजकीय दलीप वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का दौरा कर वहां भी नौंवी कक्षा के विद्यार्थियों से संवाद किया था।

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर आज प्रातः 11 बजे स्कूल पहुंचे। उन्होंने केवल कक्षा अध्यापक की उपस्थिति में विद्यार्थियों से बातचीत की। उन्होंने बच्चों से सामान्य प्रश्न किए, जो उनकी पढ़ाई की आदत से जुड़े थे। 41 विद्यार्थियों की कक्षा में दो-तीन बच्चों को छोड़कर पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकें पढ़ने का शौक न होने पर राज्यपाल ने चिंता जाहिर की। देश की आजादी और स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के नाम तो विद्यार्थी जानते थे, लेकिन उनकी जीवनी किसी ने नहीं पढ़ी।

राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकें हमारी दोस्त, चिंतक और मार्गदर्शक होती हैं। उन्होंने कहा कि घर पर अच्छी पुस्तकें रहेंगी तो पढ़ने की आदत बनेगी। उन्होंने कहा कि अकसर अभिभावक कहते हैं कि उनके बच्चे मोबाईल व टेलीविजन देखते हैं लेकिन कितने अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छी पुस्तकें लाते हैं। पुस्तकों का चयन भी अभिभावकों को ही करना है। उन्होंने कहा कि समाज की अधिकांश समस्याएं पढ़ाई की आदत न होने से है।

राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कक्षा के सभी 41 विद्यार्थियों को महापुरूषों की पुस्तकें भेंट की। उन्होंने विद्यार्थियों से आश्वासन लिया कि वे इन पुस्तकों को पढ़ेंगे और इस पर अपनी प्रतिक्रिया के रूप में उन्हें 15 दिनों में पत्र लिखेंगेे।  उन्होंने कहा कि विद्याथियों को पढ़ने के प्रति प्रोत्साहित करने का यह छोटा सा प्रयास है, जिसे वह भविष्य में भी जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल के पुस्तकालय के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने के लिए पुस्तकें दी जानी चाहिए।

इसके उपरान्त, राज्यपाल ने स्कूल के अध्यापकों से भी बातचीत की और स्कूल परिसर में पौधारोपण भी किया।

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