हिमाचल: विधानसभा में उठा करुणामूलक आश्रितों की नौकरी का मुद्दा

हिमाचल: प्रदेश विधानसभा मॉनसून सत्र के पांचवें दिन सदन में करुणामूलक आश्रितों को एकमुश्त नौकरी देने का मामला उठा। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, विधायक प्रकाश राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, पवन कुमार काजल, रामलाल ठाकुर ने सरकार से पूछा कि करुणामूलक आश्रितों को सरकार कब तक नौकरी दे देगी? साथ ही भर्तियों में 5% आरक्षण को बढ़ाने और एकमुश्त नौकरी देने को लेकर सरकार क्या कदम उठा रही है?  मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदन को आश्वस्त किया कि आने वाले समय में सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करेगी जो करुणामूलक मामलों से संबंधित सभी विषयों का निपटारा करेगी।यह कमेटी जल्द प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपे, इसके लिए भी निर्देश दिए जाएंगे। वर्तमान में करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए मानवीय आधार 2779 आवेदन लंबित हैं।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य सदस्यों द्वारा प्रश्न पूछा गया कि प्रदेश में करुणामूलक आधार पर नौकरी के लिए भारी संख्या में आवेदन लंबित हैं और ये लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला प्रदेश हाइकोर्ट में भी लगा था। उस समय हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि पेंशन को कुल आय में नहीं जोड़ा जाएगा। लेकिन, इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया।सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार अब पेंशन को भी कुल आय में जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले करुणामूलक आश्रितों को नौकरी के लिए कुल आय कम थी। लेकिन, प्रदेश सरकार ने इसे दो बार बढ़ाकर 2.5 लाख किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले को हमारी सरकार ने गंभीरता से लिया है। सरकार ने 7 मार्च 2019 को संशोधित नीति को लागू किया है। पहले करुणामूलक के लिए कर्मचारी की आयु की लिमिट 50 वर्ष रखी गई थी। इसमें मानवीय दृष्टिकोण नहीं था। इसलिए हमने संशोधन किया कि यदि अंतिम दिन भी किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिजन भी करुणामूलक आधार पर नौकरी के पात्र होंगे। दूसरा मुद्दा आय सीमा का था, प्रदेश सरकार ने संशोधन कर आय सीमा 2.5 लाख किया है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2019 तक 4 हजार 40 मामले लंबित थे और यह संख्या घटकर 2779 पेंडिंग एप्लीकेशन ही बची हैं। जहां तक करुणामूलक कोटा कुल रिक्तियों के 5 प्रतिशत से अधिक करने का सवाल है तो यह पूर्व की सरकारों द्वारा निर्धारित किया गया है। इसपर रामलाल ठाकुर ने पूछा कि कितने लोग करुणामूलक आधार पर पात्र थे। लेकिन, उम्र अधिक हो जाने के कारण नौकरी नहीं मिली। मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि 5 प्रतिशत कोटा पहले से चला आ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अति निर्धन लोगों के लिए ही यह प्रावधान है।

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सूक्खू ने पूछा कि शिमला-मटौर फोरलेन परियोजना 4 लेन होगी या कुछ जगह टू लेन प्रस्तावित है?

जवाब में मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि सड़क की कुल 233 किलोमीटर लंबाई है। सड़क को 6 पैकेज में बांटा गया हैभंगवार से कांगड़ा 4 लेन,जवालामुखी से भंगवार और हमीरपुर से ज्वालामुखी,भगेड़ से हमीरपुर 2 लेन, जबकि शालाघाट इसे नौणी चौक बिलासपुर और शिमला से शालाघाट बाकी डीपीआर तैयार की जा रही है, जिसे लेन से 4 लेन के रूप में अंतिम रूप दिया जाना शेष है। सरकार ने मामले को केंद्र सरकार के साथ पूरी जोर से रखा है और सड़क को 4 लेन ही करने की मांग की,लेकिन 4 लेन के कुछ पैरामीटर होते हैंजैसे कितना ट्रैफिक फॉलो इस सड़क में होगा। जिसको लेकर विशेषज्ञ ने स्टडी किया है और तय किया गया है। जिस भाग में ट्रैफिक ज्यादा है, वंहा फोरलेन, जबकि कम ट्रैफिक वाली जगह में टू लेन रखा जाएटेंडर प्रक्रिया इसमे पूरी की जा चुकी है।

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