अभिभावक बच्चों के व्यवहार पर रखें ध्यान....

अभिभावक बच्चों के व्यवहार पर रखें नजर…

लड़कीआजकल बच्चों में सीखने और अनुसरण करने की जिज्ञासा ज्यादा होती है। बच्चे माता-पिता के व्यवहार अनुसार ही आचरण करते हैं कहते हैं कि छोटे बच्चों का मन बहुत कोमल होता है वे अपने आस-पास के वातावरण व माता-पिता के व्यवहार के अनुसार ही आचरण करते हैं। यदि माता-पिता किसी भी कारण से बच्चों के सामने झूठ बोलें तो बालकों में भी झूठ बोलने की गंदी आदत पड़ सकती है। यह एक ऐसी बुरी आदत है जो उनके भावी जीवन के लिए हानिप्रद सिद्ध होगी। आजकल बच्चे छोटी आयु से ही झूठ बोलने लगते हैं। प्राय: माता-पिता द्वारा मिलने वाली प्रशंसा का लालच उन्हें झूठ बोलने पर विवश कर देता है। एक चार वर्षीय बालक को सिखाया जाता है कि किसी को मारना बुरी बात है। कई बार कठोर अनुशासन में पले बच्चे संवेगात्मक रूप से अस्थिर होने के कारण झूठ बोलने लगते हैं। कई बार बालक भय के कारण झूठ बोलता है उसे यही भय सताता रहता है कि सच बोल देने घर या स्कूल में पिटाई हो सकती है। इसी पिटाई का भय उन्हें लगातार झूठ बोलने के लिए विवश कर देता है।

 बुरी आदत से बच्चों को बचाएं

  • बच्चा चाहे छोटा ही क्यों न हो, यदि वह झूठ बोलता है या चुगली करता तो आप सबसे पहले सावधान हो जाएं और उसे सच बोलने को कहें। छोटे बच्चों को उपदेशपरक कहानियां भी सुनाई जा सकती हैं।
  • बच्चे की गलती पर उसे प्यार से समझाएं।
  • अपने बच्चे की  तुलना कभी भी किसी दुसरे बच्चों से न करें।
  • अच्छे काम के लिए बच्चे की तारीफ करें।
  • बच्चे की हर बात को ध्यान से सुनें।
  • आप स्वयं असत्यवादन से बचें क्योंकि बच्चा आपसे ही अच्छा-बुरा, ऊंच-नीच सीखता है।
  •  अगर बच्चा झूठ बोलकर बाहर कहीं अपना काम निकाल आया है तो उसकी पीठ थपथपाने की बजाए अपनी नाराजगी व्यक्त करें। याद रखें, आपके प्रत्येक मनोभाव पर बच्चे की नजर है।
  • यदि बच्चा किसी सहपाठी, मित्र या अध्यापक के विषय में कोई बात बताता है तो एकदम उत्तेजित न हों। हो सकता है वह झूठ बोलकर अपना उल्लू सीधा करना चाहता हो। अत: सच्चाई जाने बिना कोई कदम न उठाएं।
  • यदि वह आपसे कोई चुगली करता है तो परनिंदा का रस लेने की बजाए उसे वहीं डपट दें और स्वयं भी इस लत से बाज आएं।
  • अपनी वाणी पर भी अंकुश रखें। यदि पापा-मम्मी अपनी मित्रमंडली में दूसरों की चुगली में मगन हैं तो वे बच्चों को ऐसा करने से नहीं रोक सकते।boy
  • अपने स्वार्थ के लिए कभी भी बच्चों से झूठ न कहलवाएं। किसी आगंतुक या अनचाहे फोन आने पर प्राय: बच्चों से ही कहलवाया जाता है कि कह दो पापा-मम्मी घर पर नहीं हैं।
  • कक्षा में किया जाने वाला कार्य तथा गृहकार्य बच्चे के सुगम व नीरस होना चाहिए ताकि उसे पढ़ाई से बचने के लिए झूठ न बोलना पड़े।
  • उसकी संगति पर ध्यान दें, यदि वह चालबाज और मक्कार बच्चों के साथ रहेगा तो उसे आसानी से झूठ बोलने की आदत पड़ जाएगी।
  • घर में ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चे को अभिव्यक्ति का पूरा अवसर मिले। यदि पांच-छ: वर्ष का बालक अकारण झूठ बोले तो जान लें कि उसे अभिव्यक्ति का पूरा अवसर मिल रहा।
  • यदि बच्चा आपके अनुशासन को बार-बार तोड़ कर बुरी आदतें अपनाता है तो उसे डांटे। ज्यादा लाड़-प्यार व दुलार उसके भविष्य के लिए घातक होगा।
  • यदि कोई बच्चा झूठ बोलता पकड़ा जाए तो उसे चेतावनी दे कर छोड़ दें परन्तु उस पर नजर अवश्य रखें।
  • बच्चे को निर्भय भाव से सच बोलने को कहें। आपका आचरण ऐसा हो कि वह कोई भी सच्ची बात बेझिझक कह सके।
  • यदि बच्चा सच्चाई के पथ पर चलने का प्रयास करे तो उसे पुरस्कार आदि देकर प्रोत्साहित अवश्य करें।

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