रीना ठाकुर/शिमला: प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के कार्यों की प्रगति समीक्षा तथा निवेश पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक की मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां अध्यक्षता की। बैठक में प्रधान सचिव बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा प्रबोध सक्सेना, एसजेवीएनएल के चैयरमेन एवं महा प्रबन्धक नन्द लाल शर्मा, ऊर्जा निदेशक मानसी सहाय तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में विद्यमान विपुल जल विद्युत क्षमता के तीव्र दोहन के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है तथा इस क्षेत्र में निजी निवेश को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र विकास का ईंजन होता है और इसके दोहन से रोज़गार के अवसर भी सृजित होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन को तेज करने के प्रयास जारी हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य धीमा पड़ा हुआ था।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अगस्त माह में एसजेवीएनएल को आवंटित पांच जल विद्युत परियोजनाओं पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि इन परियोजनाओं पर शीघ्र कार्य आरम्भ किया जा सके। इन परियोजनाओं में लुहरी चरण-1 (210 मैगावाट), सुन्नी डेम (382 मैगावाट), धौलासिद्ध (66 मैगावाट), लुहरी चरण-2 (172 मैगावाट) तथा जांगी थोपन (780 मैगावाट) शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पांचों परियोजनाओं में 15 हजार करोड़ रुपये के निवेश तथा आठ हजार लोगों को रोज़गार देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि चनाब नदी पर तीन हजार मैगावाट जल विद्युत क्षमता के दोहन की संभावनाएं हैं परन्तु यहां आवंटित पांच जल विद्युत परियोजनाओं को रद्द कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को रियायतें उपलब्ध करवाने के उपरान्त इन परियोजनाओं को पुनः आवंटित करने की संभावनाओं की तलाश की जाएंगी।