हिमाचल में भाजपा शानदार जीत की तरफ आगे बढ़ रही है वहीं देश में भाजपा जीत की ओर अग्रसर होती नजर आ रही है। कांग्रेस को इस वक्त बड़ा झटका लगा है। एक्जिट पोल को हालांकि विपक्ष ने पूरी तरह नकार दिया था, लेकिन वास्तविकता सामने आते-आते साफ हो गया कि विपक्ष का मोदी की सुनामी के आगे टिक पाना इतना आसान नहीं।
- भाजपा को मिल रही शानदार जीत पर हर तरफ भाजपा के कार्यकर्ताओं का नाच गाने का दौर शुरू
देश भर भाजपा को मिल रही शानदार जीत में हिमाचल ने 70 प्रतिशत मत लेकर एक रिकॉर्ड कायम किया तो वहीं जीत के बाद कार्यकर्ताओं में जश्न का दौर शुरू हो गया। हर तरफ ढोल की थाप पर भाजपा के कार्यकर्ताओं का नाच गाने का दौर शुरू हो गया है।
- मोदी लहर के आगे नहीं टिक पाया विपक्ष का कोई भी मुद्दा
अब तक के मिले रुझानों के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA 300 सीटों के आंकड़े को पार करता नजर आ रहा है। ऐसे में साफ है कि विपक्ष का कोई भी मुद्दा मोदी लहर के आगे टिक नहीं पाया। हालांकि कांग्रेस का मोदी पर जुबानी हमला काफी होता रहा। 2014 की तरह इस बार भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा शानदार जीत की ओर बढ़ रही है और उसे अपने दम पर स्पष्ट बहुमत मिल सकता है। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, हिमाचल और बंगाल जैसे राज्यों में भी मोदी मैजिक देखा जा रहा है।
- एक तरफ जनता के सामने मोदी जैसा करिश्माई नेतृत्व था, तो वहीं विपक्ष की तरफ से असमंजस वाली स्थिति बनी रही
- लोगों को भी यह समझ नहीं आया कि मोदी नहीं तो आखिर कौन?
वहीं मोदी के पक्ष में मिले अपार जनसमर्थन का ही नतीजा है कि वह निर्विवाद रूप से 39 दलों के समर्थन वाले NDA में सबसे बड़े नेता के तौर पर बने हुए हैं। करीब डेढ़ महीने तक चले चुनाव में एक तरफ जनता के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा करिश्माई नेतृत्व था तो वहीं विपक्ष की तरफ से असमंजस वाली स्थिति बनी रही। लोगों को भी यह समझ नहीं आया कि मोदी नहीं तो आखिर कौन? ऐसे में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, चंद्रबाबू नायडू आदि विपक्षी नेताओं के पक्ष में वोटर्स एकमत नहीं हो सके। शायद विपक्ष की इसी कमजोरी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद और भी बढ़ता चला गया।
- मोदी की सुनामी ने विपक्ष की सभी ‘दीवारों‘ को कर दिया धराशायी
2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्र की राजनीति में आए थे, चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के पक्ष में सियासी लहर देखी गई और नतीजा भी वैसा ही रहा। इस बार ऐंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर और तमाम मसलों पर विपक्षी हमलों के मद्देनजर ऐसा माना जा रहा था कि नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर मिल सकती है। हालांकि मोदी की रैलियों में मोदी का मैजिक दिखता गया और तो वहीं विपक्ष अपने ही अस्तित्व को लेकर संघर्ष करता दिखा। सात चरणों के चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल ने साफ कह दिया कि मोदी की सुनामी ने विपक्ष की सभी ‘दीवारों‘ को धराशायी कर दिया है। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी जनता को यह समझाने में कामयाब रहे कि बीजेपी ही आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस पर काम करते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे सकती है। अंतरिक्ष में स्ट्राइक करने जैसे बड़े फैसले लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को यह भरोसा दिया कि वह बड़े से बड़े फैसले ले सकते हैं। इस दौरान उज्जवला योजना, सबको बिजली, किसानों की दोगुना आय, धारा 35ए जैसे संकल्प-पत्र के मुद्दों पर भी बीजेपी अपनी बात समझाने में कामयाब रही। वहीं, कांग्रेस ने जब राजद्रोह कानून को खत्म और अफस्पा को कमजोर करने की बात कही तो बीजेपी ने उस पर करारा हमला किया।
- अपने आपमें उलझी कांग्रेस पूरी तरह एकजुट नहीं हो पाई, नतीजे सामने
2014 में नरेंद्र मोदी हिंदी भाषी राज्यों में जाति के आधार पर पार्टियों को मिलने वाले वोटों को साधने में कामयाब रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपने पांच साल के विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा बल्कि वह कांग्रेस और यूपी में ‘बुआ-बबुआ‘ के गठजोड़ पर भी हमले करते दिखे। उनके सियासी हमलों का असर यह होता था कि विपक्षी दल अगले एक-दो दिनों तक खुद को डिफेंड करते ही दिखते थे। वंशवाद, भ्रष्टाचार, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा कुछ प्रमुख मुद्दे थे, जिन पर नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर लगातार हमले किए। हालांकि विपक्ष ने अपनी ओर से मोदी मैजिक को नाकाम करने की कोशिश भले ही जी-तोड़ कोशिश की लेकिन कहीं न कहीं अपने आपमें उलझी कांग्रेस पूरी तरह एकजुट नहीं हो पाई, परिणाम सामने आ रहे हैं।
- कांग्रेस ने इतनी बड़ी हार की कभी भी उम्मीद नहीं की होगी
लोकसभा चुनाव काउंटिंग में जैसे-जैसे रुझान सामने आते गए, वैसे-वैसे कहीं लोगों में उत्साह, तो कहीं मायूसी नजर आई। भाजपा को बहुमत मिलना लगभग तय हो गया वैसे ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया। हर जगह मोदी के मुखौटा लगाकर कार्यकर्ता नाचते-गाते नजर आए। बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा जीत का जश्न मनाया जा रहा है तो वहीं कांग्रेस खेमा में उत्साह की कमी धीरे-धीरे कम होती दिखाई दे रही है। हालांकि यह साफ कि कांग्रेस ने इतनी बड़ी हार की कभी भी उम्मीद नहीं की होगी क्योंकि देश में भाजपा और कांग्रेस में अक्सर कड़ी टक्कर दिखने को मिलती रही है। लेकिन मोदी की 2014 पहले लहर, उसके बाद अब 2019 में मोदी की सुनामी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है।