“मधु विकास” योजना राज्य में मधुमक्खी पालन को करेगी प्रोत्साहित

“मधु विकास” योजना राज्य में मधुमक्खी पालन को करेगी प्रोत्साहित

  • राज्य में फलोत्पादन को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खियों द्वारा पॉलीनेशन की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण
  • 25 नए मधुमक्खी पालकों के लिए प्रति वर्ष 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर किया जाएगा आयोजित

प्रदेश में मधुमक्खी पालन न केवल मधु उत्पादन में वृद्धि के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि मधुमक्खियों द्वारा निभाई जाने वाली जैविक तथा आर्थिक भूमिका की दृष्टि से भी आवश्यक है। राज्य में फलोत्पादन को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खियों द्वारा पॉलीनेशन अर्थात परागन की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। प्रदेश सरकार ने मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री मधु विकास योजनाआरम्भ की है। इस योजना के तहत प्रदेश में सभी वर्गों के मूल हिमाचली किसानों विशेषकर महिला व शारीरिक रूप से अक्षम किसानों को सहायता प्रदान की जाएगी।

योजना में मधुमक्खी गृहों के साथ मधुमक्खी वंशों की खरीद पर अधिकतम 50 वंशों के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अंतर्गत मधुमक्खी पालकों को 50 मधुमक्खी वंश प्रति लाभार्थी को 2000 रुपये प्रति मधुमक्खी वंश की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 1600 रुपये प्रति मधुमक्खी वंश प्रदान की जाएगी। कैल, चीड़, आम तथा भारतीय मानक ब्यूरो से मान्यता प्राप्त लकड़ियों द्वारा बनाए गए मधुमक्खी गृहों पर 50 मधुमक्खी गृह प्रति लाभार्थी को 2000 रुपये प्रति मधुमक्खी वंश की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 1600 रुपये प्रति मधुमक्खी गृह प्रदान की जाएगी। इस योजना के तहत मधुमक्खी पालन की सामग्री व उपकरणों पर एक सेट प्रति लाभार्थी को 20000 रुपये प्रति इकाई की लागत पर 80 प्रतिशत लागत राशि अर्थात 16000 रुपये प्रति मधुमक्खी वंश प्रदान की जाएगी। प्रत्येक जिले में 300 मधुमक्खी वंश वाले एक मधुमक्खी पालक को तीन लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। परिवहन उपदान के रुप में प्रवास अनुदान के तौर पर अंतरराज्यीय प्रवास के लिए 10000 रुपये प्रति वर्ष की लागत पर 5000 रुपये की राशि 100 मधुमक्खी वंश प्रति लाभार्थी को प्रति यात्रा प्रति वर्ष भी प्रदान की जाएगी।

दिवारों पर व मधुमक्खी गृहों में एपिस सेरेना मधुमक्खी वंशों के पालन के लिए मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहन के रूप में अधिकतम 5 मधुमक्खी गृहों की लागत का 100 प्रतिशत अर्थात 1000 रुपये की राशि प्रति मधुमक्खी गृह प्रदान की जाएगी। 25 नए मधुमक्खी पालकों के लिए प्रति वर्ष 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसके तहत 400 रुपये की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी। 20 व्यावसायिक मधुमक्खी पालकों के लिए खेतों व मधुमक्खी शालाओं में प्रति वर्ष सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसके तहत 1000 रुपये की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त 20 मधुमक्खी पालकों के लिए प्रख्यात देशी व विदेशी संस्थानों में 15 दिनों का ज्ञानात्मक भ्रमण भी आयोजित किया जाएगा, जिसके तहत 7000 रुपये की राशि प्रति दिन प्रति मधुमक्खी पालक को प्रदान की जाएगी। मधु प्रक्रमण इकाई स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट की लागत का 100 प्रतिशत अर्थात 50 लाख रुपये की राशि प्रति इकाई प्रदान की जाएगी।

दो बीघा भूमि पर मधुमक्खी वनस्पति रोपण के लिए मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहन के रूप में लागत का 50 प्रतिशत अर्थात अधिकतम 3500 रुपये की राशि प्रति मधुमक्खी पालक प्रति इकाई प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, बागवानी मिशन के तहत प्रदेश में मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी वंशों के उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 5 लाख रूपये (अधिकतम 2000 मौन वंश प्रति वर्ष के उत्पादन पर) प्रदान करने का प्रावधान है। मधुमक्खी वंश के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 700 रूपये प्रति मधुमक्खी वंश (अधिकतम 50 मधुमक्खी वंश प्रति बागवान) प्रदान करने का प्रावधान है। मधुमक्खी गृह के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 800 रूपये प्रति मधुमक्खी गृह (अधिकतम 50 मधुमक्खी गृह प्रति बागवान) प्रदान करने का प्रावधान है। शहद एक्सट्रेक्टर, फूड ग्रेड कन्टेनर इत्यादि के लिए 50 प्रतिशत अनुदान जिसमें 7000 रूपये प्रति सैट प्रदान करने का प्रावधान है।

 

 

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