- उत्पादन लागत और बिजली कैलाश को कम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा कार्य
- कंपनी के पास अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की विशाल परियोजनाएं, एसजेवीएन अभूतपूर्व उन्नति के पथ पर तेजी से अग्रसर
शिमला: भारत सरकार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अधीन एसजेवीएन की स्थापना 24 मई,1988 में हुई। एसजेवीएन एक मिनी रत्नः ‘श्रेणी-I तथा शेड्यूल ‘ए’ सीपीएसई है और आज की तिथि में सूचीबद्ध कंपनी है जिसमें भारत सरकार की 63.79%, हिमाचल प्रदेश सरकार की 26.85% तथा आम जनता की 9.37% शेयरधारिता है। शिमला में आज प्रेसवार्ता के दौरान एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि निगम ने पूरे देश सहित नेपाल व भूटान में 5000 मेगावाट का बिजली दोहन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए करीब ढाई हजार के प्रोजेक्ट की फॉरेस्ट क्लीयरेंस और पर्यावरण मंजूरी मिल चुकी है। इस दिशा में कार्य तेज गति से किया जा रहा है। पन विद्युत परियोजना के साथ एसजेवीएन अब सौर ऊर्जा विंड ऊर्जा और थर्मल पावर के क्षेत्र में भी कार्य कर रही है और यह 5000 का लक्ष्य इन सभी क्षेत्रों के लिए निर्धारित है। उत्पादन लागत और बिजली कैलाश को कम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।

कंपनी के पास अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की विशाल परियोजनाएं, एसजेवीएन अभूतपूर्व उन्नति के पथ पर तेजी से अग्रसर
एसजेवीएन हिमाचल प्रदेश में एकल परियोजना 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन, जो वर्ष 2003-04 में कमीशन किया गया, से शुरूआत कर अब विभिन्न राज्यों में पांच परियोजनाएं परिचालित कर रहा है। जिसमें हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट रामपुर जलविद्युत स्टेशन, महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट खिरवीरे पवन विद्युत स्टेशन, गुजरात में 5.6 मेगावाट चारंका सौर विद्युत स्टेशन तथा गुजरात में 50 मेगावाट साडला पवन विद्युत परियोजना में 38 मेगावाट (प्रत्येक 2 मेगावाट क्षमता की 19 उत्पादन इकाईयां) शामिल हैं। एसजेवीएन पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और गुजरात में विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है। कंपनी की वर्तमान स्थापित क्षमता 2003.2 मेगावाट (1912 मेगावाट जलविद्युत + 85.6 मेगावाट पवन विद्युत + 5.6 मेगावाट सौर विद्युत) से युक्त है। एसजेवीएन नेपाल और भारत के बीच बिजली के कारोबार के लिए 400 केवी ट्रांसमिशन लाईन (86 कि.मी.) के प्रचालन के साथ विद्युत ट्रांसमिशन में भी उतर गया है।
नन्द लाल शर्मा ने कहा कि गत तीन दशकों की अपनी यात्रा के दौरान एसजेवीएन ने अपने फलक का विस्तार करते हुए स्वयं को एक पूर्णतः विविधीकृत अंतर्राष्ट्रीय विद्युत क्षेत्र कंपनी के रूप में विकसित कर लिया है जो विद्युत ट्रांसमिशन लाईनों के जरिए बिजली की निकासी के अलावा सभी प्रकार के पारंपरिक एवं अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से बिजली पैदा कर सकने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में कंपनी विकास की विभिन्न अवस्थाओं में विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर रही है जिनकी कुल स्थापित क्षमता 4018 मेगावाट है। एसजेवीएन ने सांगठनिक रूप से विस्तार और विविधीकरण करके अपना आधार एकल परियोजना से बहु-परियोजना कर लिया है और एकल राज्य से अपनी उपस्थिति अखिल भारतीय करके पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। कंपनी के पास अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की विशाल परियोजनाएं है और अभूतपूर्व उन्नति के पथ पर तेजी से अग्रसर है।
एसजेवीएन ने वर्ष 2022-23 तक 5000 मेगावाट, वर्ष 2030 तक 12000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट की स्थापित क्षमता के लक्ष्य से युक्त आंतरिक उन्नति के लक्ष्य परिकल्पित किए है।
- कंपनी की वित्तीय स्थिति और निष्पादन निरंतर रूप से मजबूत
उन्होंने बताया कि वर्तमान में कंपनी की अभिदत्त और अधिकृत शेयर पूंजी क्रमशः 3,929.80 करोड़ रुपए तथा 7,000 करोड़ रुपए है। वर्तमान नेटवर्थ 10,694.71 करोड़ रुपए है। कंपनी की वित्तीय स्थिति और निष्पादन निरंतर रूप से मजबूत बना हुआ है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रचालनगत आय 2230 करोड़ रुपए तथा कर उपरांत लाभ 1225 करोड़ रुपए है।
30 वर्षों के अपने अस्तित्व में एसजेवीएन ने एक एकल परियोजना के निर्माणार्थ गठित विशेष उद्देश्य इकाई से अपना कायाकल्प करके स्वयं को एक विविधीकृत विद्युत कंपनी के रूप में स्थापित कर लिया है जिसकी मौजूदगी भारत के साथ-साथ इसके पड़ोसी देशों में भी है। एसजेवीएन ने हमेशा अपने विज़न को पूरा करने की कोशिश की है जो यह है कि एसजेवीएन भारतीय विद्युत क्षेत्र की सर्वोत्तम कंपनी बने जिसकी किफायती और सततशील बिजली का उत्पादन करने के लिए विश्वभर में प्रशंसा हो।