“स्कैब” रोग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में किसानों एवं बागवानों को बागवानी विभाग की सलाह....

विदेशों से सेब के पौधे खरीद मामले की जांच शुरू

  • न्यूजीलैंड के कंसल्टेंट पर खर्च दिए 100 करोड़

शिमला: बागवानी क्षेत्र में सबसे बड़े विकास प्रोजेक्ट के तहत विदेशों से सेब के पौधे खरीद मामले की जांच शुरू हो चुकी है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में इटली से आयात किए सेब के लाखों पौधों की जांच खुलने लगी है। इसके मद्देनजर बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सेब के प्लांट्स आयात करने वाले विदेशी कंसल्टेंट को तलब किया है। न्यूजीलैंड की एजेंसी ने ही भारतीय मूल के कई लोगों को कंसल्टेंसी का काम दिया गया है, जिस पर 100 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं।  बुधवार को प्रदेश सचिवालय में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने न्यूजीलैंड की एजेंसी और उसके कंसल्टेंटों को 7 अगस्त को शिमला में तलब करने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सेब के पौधों के आयात को लेकर जो भी अनियमितताएं हुई हैं इसके लिए पूर्व के बागवानी अफसरों सहित कंसल्टेंसी की जवाबदेही होगी।

मंत्री की माने तो हिमाचल के लिए ऐसे प्लांट्स आयात हुए जो प्लांटेशन के लायक नहीं हैं। जिस मौसम में सेब के पौधे लगाए जाते हैं उस समय पर बागवानों को नहीं दिया गया। बताया गया कि आईपीएच की 47 सौ करोड़ की परियोजना पर मात्र 10 करोड़ कंसल्टेंसी पर खर्च हो रहे हैं, जबकि बागवानी विकास परियोजना के तहत 1145 करोड़ के लिए 100 करोड़ खर्च किए गए। उल्लेखनीय है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में इटली से सेब के 7 लाख 55 हजार 250 पौधे 400 रुपये प्रति पौधा  से आयात किया गया। जिस पर 32 करोड़ रूपये खर्च किए गए। वह भी गलत समय में प्लांट बांटने का काम किया। सेब के इन पौधों पर भी प्रदेश सरकार अब 16 करोड़ के घाटे के साथ बागवानों को 59 प्रतिशत सब्सिडी देने का निर्णय लिया है।

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