- जांच ब्यूरो ने उच्च न्यायालय के 31 मई, 2005 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने यूरोप में रह रहे उद्योगपति हिन्दुजा बंधुओं और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सारे आरोप निरस्त कर दिये थे।
नई दिल्ली : केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील 64 करोड़ रुपये के बहुचर्चित बोफोर्स तोप सौदा दलाली कांड में आरोपियों के खिलाफ सारे आरोप निरस्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2005 के फैसले को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जांच ब्यूरो ने उच्च न्यायालय के 31 मई, 2005 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने यूरोप में रह रहे उद्योगपति हिन्दुजा बंधुओं और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सारे आरोप निरस्त कर दिये थे।
- सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए दस्तावेज
जांच ब्यूरो द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देना काफी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि हाल ही में अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 12 साल बाद अपील दायर नहीं करने की सलाह दी थी। वहीं, सूत्रों ने बताया कि विचार विमर्श के बाद विधि अधिकारी अपील दायर करने के पक्ष में हो गए, क्योंकि सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिये कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य उनके सामने रखे थे।
- 64 करोड़ रुपये का बोफोर्स घोटाला
राजनीतिक दृष्टि से संवदेनशील 64 करोड़ रुपए के बोफोर्स तोप सौदा मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे भाजपा के नेता ने 30 जनवरी को अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से आग्रह किया था, कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। शीर्ष अदालत में इस मामले में दो फरवरी को सुनवाई होनी है. अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल को भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने लिखे पत्र में आरोप लगाया कि ‘इस मामले में कोई जवाब दाखिल नहीं करने का ‘एक गलत और प्रायोजित निर्णय लिया गया है।
- अग्रवाल ने सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव
अग्रवाल ने रायबरेली से कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। अग्रवाल का यह पत्र महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अटॉर्नी जनरल, जिन्होंने सीबीआई को अपील नहीं दायर करने की सलाह दी थी, ने 12 साल से लंबित आपराधिक अपील में प्रतिवादी के रूप में एजेन्सी द्वारा अपना रुख रखे जाने की हिमायत की थी। वेणुगोपाल की राय थी कि जांच एजेन्सी को शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं करनी चाहिए क्योंकि 12 साल बीच चुके हैं और अब कोई भी याचिका दायर होने की स्थिति में उसके अत्यधिक विलंब के आधार पर खारिज होने की संभावना है।
- अग्रवाल ने अटॉर्नी जनरल को लिखा खत
हालांकि, अग्रवाल ने अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि ऐसा लगा था कि उनके मामले में जवाब दाखिल नहीं करने का फैसला निचले स्तर पर लिया गया है और ‘यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय में बोफोर्स मामला ठहर नहीं सके।’ उन्होंने पत्र में आगे लिखा है, ‘मैं आपसे स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यह संभव है कि कुछ अधिकारियों ने आरोपी व्यक्तियों के साथ सांठगांठ कर ली हो और वे इस मामले को पटरी से उतारने पर तुले हों।’ भाजपा नेता ने आगे लिखा, ‘इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने और इस मामले को पटरी से उतारने के लिए आरोपी व्यक्तियों के साथ सांठगांठ करने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है।’
(इनपुट : भाषा)