फीचर
महिला सशक्तीकरण में सबल बना राजमिस्त्री कार्य
महिला सशक्तीकरण का मूल उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों व उनके सम्मान की रक्षा करते हुए उन्हें स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनाना है। ऐसा ही भागीरथ प्रयास जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे ‘पहल’ कार्यक्रम के तहत किया गया। जिसके द्वारा न केवल महिलाओं की सहभागिता समाज की मुख्य धारा के प्रति सुनिश्चित की गई बल्कि महिलाओं को उनकी आर्थिकी के सुदृढीकरण के प्रति भी सजगता प्रदान की गई। जिला शिमला के विकास खंड चौपाल के दूरदराज क्षेत्र कुपवी की पिछड़ी पंचायत जुण्डू शिलाल और कंडा बनाह में स्वच्छता अभियान के तहत मंद गति से चल रहे शौचालय निर्माण के कार्यो में तेजी लाने के लिए ये प्रयोग अमल में लाया गया। इसके लिए महिलाओं को कौशल विकास में पारंगत कर महिला सशक्तीकरण के माध्यम से उनके आर्थिक जीवन को उन्नत किया गया।
श्लाह पंचायत की सीता देवी, कमला देवी, रेखा, रीना देवी, सुनिता, सुमति देवी, रीना देवी, वीरमा देवी, कमला देवी, बिंदी देवी 10 महिलाओं को पहल कार्यक्रम के तहत महिला सशक्तीकरण व स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत राज मिस्त्री का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के शुरूआती दिनों में महिलाओं द्वारा इन पुरूष प्रधान कार्य के प्रति उदासीनता दिखाई गई लेकिन कुछ दिनों बाद जब प्रशिक्षु व अन्य लोगों से इनके कार्यो को सराहना मिली तो इनमें नए उत्साह का संचार हुआ।
दस दिवसीय प्रशिक्षण काल के दौरान इन्होंने राज मिस्त्री के कार्य की प्राथमिकताओं को बारीकी से समझना शुरू किया। प्रशिक्षण के उपरांत इन्होंने क्षेत्र में ठंडे पड़े शौचालय निर्माण के कार्य में हाथ बंटवाना आरम्भ किया। इनकी प्रतिबद्धता और कार्यक्षमता ने क्षेत्रवासियों को न केवल अचंम्भित किया बल्कि शौचालय निर्माण के कार्य की पूर्ति के लिए प्रेरित भी किया। फलस्वरूप सभी ने मिलकर जूडु शिलाल पंचायत में लक्ष्य की पूर्ति के लिए छूटे 133 व कंडाबनाह पंचायत में 118 शौचालय का निर्माण किया गया और खुला शौच मुक्त राज्य घोषित होने की कड़ी में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दिया।
आज ये महिलाएं पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर राजमिस्त्री के कार्य को दक्षता के साथ कर रही हैं। गांव के अन्य घरों में भी मांग के अनुरूप ये महिलाएं अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इनकी इन सेवाओं के एवज में इन्हें धनराशि प्राप्त होती है जिससे इनके परिवार के साथ साथ इनकी व्यक्तिगत आय में भी बढ़ोतरी हुई है।
आज ये महिलाएं अपने इसी कार्य के बल पर औसतन पांच-छः हजार रूपए की राशि प्रति महिला प्रति माह घर-बैठे कमाने में सक्षम हो सकी है। इनके इसी आत्मबल को देखते हुए उपायुक्त शिमला रोहन चंद ठाकुर ने इस क्षेत्र में महिला मंडल भवन के निर्माण के लिए धन उपलब्ध करवाया। इन महिलाओं का कथन है कि महिला मंडल के भवन निर्माण की सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद किसी प्रशिक्षत व्यक्ति की देख-रेख में महिला मंडल भवन का निर्माण कार्य भी इन्हीं महिलाओं द्वारा स्वयं किया जाएगा। आज इन महिलाओं में नया विश्वास व आत्मनिर्भरता की चमक है। भविष्य के प्रति नई सोच लिए ये महिलाएं महिला सशक्तीकरण की अनूठी मिसाल है।