धनतेरस को संध्या समय अवश्य करें दीपदान : आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा

धनतेरस पर महालक्ष्मी कुबेर पूजा का शुभ मुहूर्त व धनतरेस पर पूजा की विधि

धनतेरस का पर्व 28 अक्तूबर के दिन

धनतेरस का पर्व 10 नवंबर के दिन

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी का शुभ मुहूर्त आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।  धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

धनतरेस पर पूजा की विधि: लकड़ी के पट्टे पर रोली का स्वास्तिक बनाकर इसके ऊपर एक तेल का दिया जलाएं। दिये के आस-पास तीन बार गंगा जल छिड़कें और दिये को किसी चीज से ढक दें। दीपक पर रोली और चावल का तिलक भी लगाएं। साथ ही मिठाई का भोग लगाएं। फिर रुपये चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें। ध्यान रहे इस दिये को अपने घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रख दें।

इस दिन क्या-क्या खरीदें : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदना शुभ होता है। सोने और चांदी की चीजें खरीदने से घर में लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं और घर में सुख समृद्धि और धन की कमी नहीं होती।

इस दिन घरों में देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए भजन भी गाए जाते हैं। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। यहां तक कि धातु से आने वाली तरंगे भी थेराप्यूटिक प्रभाव पैदा करती है।

कुछ लोग इस दिन इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, वॉशिंग मशीन और मोबाइल लेना भी पसंद करते हैं। आप भी उपरोक्त बताई गई धनतेरस की पूजा विधि अपनाकर और सोने—चांदी की चीजें खरीदकर अपनी किस्मत चमका सकते हैं।

 इस दिन नए कपड़े पहनने से पूर्व उन पर हल्दी या केसर के छींटे दें।

धनतेरस पर महालक्ष्मी कुबेर पूजा का शुभ मुहूर्त व धनतरेस पर पूजा की विधि

धनतेरस पर महालक्ष्मी कुबेर पूजा का शुभ मुहूर्त व धनतरेस पर पूजा की विधि

 नई कार या वाहन खरीदने पर उसके बोनट पर कुमकुम व घी के मिश्रण से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं ,नारियल पर रोली से ओम् बना कर वाहन के आगे फोड़ें और प्रसाद बांट दें। एक नींबू को अगले टायर से कुचल कर वाहन पीछे हटा लें।

 नई या पुरानी इलैक्ट्रॉनिक आइटम पर नींबू घुमा के वीरान जगह फेंकें या निचोड़ के फ्लश में डाल दें।

 धनतेरस को संध्या समय दीपदान अवश्य करना चाहिए।

क्यों मनाया जाता है “धनतेरस पूजा”

प्राचीन मान्यताओ के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरी हाथो में कलश लेकर प्रकट हुए थे । भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु का एक स्वरुप है और देवताओ के चिकित्सक भी है । ऐसा मानना है की अगर धनतेरश की पूजा शुभ मुहूर्त में और पूर्ण विधि विधान से किया जाये तो आपका धन वैभव 13 गुणा बढ़ जाता है और आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है । इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. भगवान धन्वंतरी के हाथो में कलश है इसलिए इस दिन बर्तन या चांदी, सोना खरीदना शुभ माना जाता है।

इस दिन सर्वप्रथम नहाकर साफ वस्त्र धारण करें तद्पश्चात शुभ मुहूर्त में भगवान धन्वन्तरि, माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्ति या फोटो साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं । अब एक कलश में 5 सुपारी, 1 चांदी का सिक्का, दुर्बा घास , हल्दी का टुकड़ा, सम्भव हो तो 13 रत्न, कलश के ऊपर एक प्लेट में चावल रखे और उस पर एक श्रीफल रखे इस प्रकार से कलश स्थापना के बाद कलश की पंचोपचार पूजा करे दीप दान के बाद भोग या नैवेद्य भी अर्पित करे और उसके बाद सर्वप्रथम भगवान धन्वन्तरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके पश्चात पूजन स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धन्वन्तरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवैद्य लगाएं। (अगर चांदी का पात्र उपलब्ध न हो तो अन्य पात्र में भी नैवेद्य लगा सकते हैं।) तत्पश्चात पुन: आचमन के लिए जल छोड़े। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वन्तरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वन्तरि को अर्पित करें।

रोग नाश करने के लिए कामना करे और इस मंत्र का जाप करें-

ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।
उसके बाद भगवान कुबेर का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
अंत में धन वैभव और सर्व रोग निवारणी माँ लक्ष्मी का जाप इस मंत्र से करे :
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
इस तरह पूजा विधि सम्पूर्ण करने के बाद सबकी आरती करे और यमराज को दीपदान करे और घर के मुख्य द्वार से दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये । 

धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।  

धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *