नई दिल्ली: मोदी सरकार की जन-धन योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जीरो बैलेंस पर जन-धन खाता खोल सकता है, इसलिए करोड़ों की संख्या में लोगों ने इसमें अपने खाते भी खुलवा लिए। अब ये ही खाते बैंकों के लिए नई मुसीबत बनते जा रहे हैं। वैसे तो खाताधारक खुद अपने बैंक खातों में पैसा जमा करते हैं, लेकिन एक अंग्रेजी अखबार में खुलासा हुआ है कि इस योजना के तहत बैकों में खुलने वाले खातों में एक भी पैसे नही जमा हो रहे हैं। ऐसे में जीरो बैलेंस खातों की संख्या घटाने के लिए बैंक खुद ही लोगों के जन-धन खातों(एकाउंट) में पैसा जमा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘जनधन योजना’ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मोदी के जनधन योजना के तहत खुले करोड़ों खातों में खुद बैंक कर्मचारी पैसा जमा करने में लगे हैं। जबकि इसके लिए सरकार ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया है। यह योजना बैंकों के लिए परेशानी बनती जा रही है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक जब 6 राज्यों के 25 से ज्यादा गांवों में जाकर खाताधारक और बैंककर्मियों से पड़ताल की तो पता चला कि बैंककर्मी ही इन खातों में पैसा जमा कर रहे हैं। जांच में यह बात सामने आयी कि बैंककर्मियों पर जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या कम दिखाने का दबाव होता है, इसलिए वो खातों में पैसा जमा कर रहे हैं। सामान्य तौर पर जीरो बैलेंस खाते का मतलब यह होता है कि उसे कोई भी इस्तेमाल नहीं कर रहा है लिहाजा उसे बंद करने का दबाव बढ़ जाता है इससे बचने के लिए उस खाते में 1 रुपए जमा करना ही सबसे आसान रास्ता नजर आता है।
कर्मचारियों के भत्तों से जमा हो रहा है पैसा :
प्राप्त जानकारी के अनुसार इन एकाउंट्स को एक्टिव रखने के लिए कर्मचारियों के यात्रा एवं मनोरंजन भत्ते, कैंटीन सब्सिडी, ऑफिस रखरखाव, डिमांड ड्राफ्ट और ऑनलाइन ट्रांसफर से मिलने वाली फीस से ही इन खातों में पैसा जमा किया जा रहा है। बैंक कर्मियों का तो ये तक कहना है कि वो इन खातों को चलाने के लिए अपनी जेब से पैसा जमा कर रहे हैं।
कुछ अहम बातें खुलासे से जुड़ी:
- सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार, 18 सरकारी बैंक और उनकी 16 क्षेत्रीय शाखाओं में ऐसे 1.05 करोड़ जन धन योजना वाले खाते हैं, जिनमें एक-एक रुपया जमा है।
- कुछ खाते ऐसे भी पाए गये हैं, जिनमें 2 से 5 या फिर 10 रुपये भी जमा हुए हैं। ये पैसे भी खाताधारकों ने जमा नहीं किए। यह भी पढ़ें: मप्र में जन-धन योजना में 75 लाख खाते खुले
- 20 बैंकों के ब्रांच मैनेजरों ने ये स्वीकार किया है कि उन पर जनधन योजना के तहत खुले जीरो बैलेंस खातों का आंकड़ा कम करने का दबाव है।
- आंकड़ों को मुताबिक जीरो बैलेंस अकाउंट्स में तेजी से कमी आई है। सितंबर 2014 में ऐसे खातों की 76 फीसदी थी, जो अगस्त 2015 में सिर्फ 46 फीसदी रह गयी।
- 31 अगस्त 2016 तक इस योजना के तहत खुले ऐसे खाते सिर्फ 24.35% मिले, जिनमें एक भी रुपया नहीं था।
- बैंक अधिकारियों ने माना कि इन खातों को चालू रखने के लिए उन्होंने अपनी जेब से पैसे जमा किए हैं।
- बहुत सारे खाताधारकों ने अपनी पासबुक में देखा कि खाते में एक रुपया जमा है तो वो भी हैरान थे। उन्होंने पता ही नहीं चला कि एक रुपया उनके खाते में किसने जमा कराया।
- बता दें कि एक रुपये बैलेंस वाले खातों में सबसे ऊपर पंजाब नेशनल बैंक है। पीएनबी में 1.36 करोड़ जनधन खाते हैं, जिनमें से 39.57 का बैलेंस एक रुपया है।
- 31 अगस्त, 2016 तक जनधन खातों में कुल 42094 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं।
न्यूज सोर्स- इंडियन एक्सप्रेस