पौंग के विस्थापितों को स्थापित करने के लिए हों साझा प्रयास – अनुराग ठाकुर
पौंग के विस्थापितों को स्थापित करने के लिए हों साझा प्रयास – अनुराग ठाकुर
हिमाचल :: पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज लोकसभा में आज शून्य काल में लोक महत्व के मुद्दे पर हिमाचल के जिला कांगड़ा के पौंग डैम/ महाराणा प्रताप सागर के विस्थापितों का विषय उठाया व पौंग डैम विस्थापितों के शीघ्र पुनर्वास हेतु जलशक्ति मंत्रालय व गृह मंत्रालय के नेतृत्व में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल व राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश सरकारों के बीच समिति के गठन की मांग की है। सदन में श्री अनुराग सिंह ठाकुर के वक्तव को कांगड़ा सांसद श्री राजीव भारद्वाज जी का समर्थन मिला।
सदन में ज़ीरो आवर के दौरान, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने ब्यास नदी पर पोंग डैम (महाराणा प्रताप सागर) के बनने से विस्थापित हुए परिवारों की लंबे समय से चली आ रही शिकायत उठाई। यह बताते हुए कि विस्थापन पचास साल से भी ज़्यादा पुराना है और पुनर्वास का असली वादा भी काफी हद तक पूरा नहीं हुआ है, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्र सरकार से दखल देने और राहत और पुनर्वास के उपायों को तेज़ी से लागू करने की अपील की। सदन में पेश किए गए मुख्य तथ्य और सुझाव आधिकारिक तथ्यों और हाल के निरीक्षण के नतीजों पर आधारित हैं।
संसद में पौंग डैम के विस्थापितों की पीड़ा उठाते हुए श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “मैं देवभूमि हिमाचल से आता हूँ, और पहाड़ के लोगों ने अपना पानी, जवानी और कुर्बानी देश के नाम करने में कभी कमी नहीं छोड़ी है।
आज से 50 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हिमाचल के कांगड़ा में पौंग डैम बनाने के लिए 339 गाँवों के 20,772 परिवारों के विस्थापितों को राजस्थान में ज़मीन के आवंटन का वायदा अभी भी अधूरा है। आख़िर इन परिवारों का क्या कसूर है?
अनुराग सिंह ठाकुर ने सदन को याद दिलाया कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले के 339 गांवों के लगभग 20,772 परिवार पोंग डैम प्रोजेक्ट के बाद बेघर हो गए थे और उन्हें 1970 के मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग और राजस्थान कॉलोनाइज़ेशन रूल्स, 1972 के तहत राजस्थान के इरिगेटेड कमांड एरिया में रिहैबिलिटेशन का वादा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के कई दखल (1996 के फैसले सहित) और दिसंबर 2024 की इंस्पेक्शन रिपोर्ट के बावजूद, पौंग डैम के विस्थापितों का पुनर्वास अधूरा है और 6,700 से ज़्यादा परिवार अभी भी ज़मीन अलॉटमेंट का इंतज़ार कर रहे हैं, जबकि कई दूसरे लोग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, ज़मीन पर कब्ज़े और प्रोसेस से जुड़ी रुकावटों का सामना कर रहे हैं।
अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, “जिन परिवारों से ज़मीन और एक नई शुरुआत का वादा किया गया था, उनके लिए पचास साल बहुत लंबा समय है। रिहैबिलिटेशन कोई पॉलिटिकल नारा नहीं है, यह बेघर हुए लोगों की मदद करने की नैतिक ज़िम्मेदारी है। सेंटर को एक्टिव और मदद करने वाली भूमिका निभानी चाहिए ताकि इन परिवारों को आखिरकार वह ज़मीन, सर्विस और इज्ज़त मिल सके जिसका वादा किया गया था। मेरा सदन से निवेदन है कि विस्थापित लोगों से किए गए वादों का सम्मान किया जाए”
अपने वक्तव के दौरान अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्र सरकार से कंस्ट्रक्टिव, कोऑपरेटिव एक्शन लेने की अपील की और सरकार से समय पर समाधान और फेडरल सहयोग की भावना से तुरंत फैसलों को तेज़ी से पूरा करने के लिए डैम विस्थापितों के शीघ्र पुनर्वास हेतु जलशक्ति मंत्रालय व गृह मंत्रालय के नेतृत्व में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल व राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश सरकारों के बीच समिति के गठन की मांग की है। पेंडिंग अलॉटमेंट को मॉनिटर करने और क्लियर करने के लिए सेंट्रल हाई-पावर कमेटी को फिर से मज़बूत करने, अलॉट किए गए इलाकों में ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़क, पानी, बिजली, स्कूल और हेल्थ फैसिलिटी) के लिए बजट का अलॉटमेंट आसान बनाने और बेघर हुए लोगों के लिए डोमिसाइल सर्टिफिकेट और किसान क्रेडिट कार्ड के प्रोसेस को आसान बनाने की मांग की है।