शिमला : शिमला से जारी बयान में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री के बेतुके बयान पर टिप्पणी करते हुए ने कहा कि आपदा की वजह से हजारों घर नष्ट हो गए हैं। लोगों के जीवन भर की कमाई चली गई है। हजारों लोगों के सिर पर छत नहीं है। बेघर लोग सरकार की तरफ आशा की नजरों से देख रहे हैं। सर्दियों सिर पर हैं और लोगों के रहने का ठिकाना नहीं है। प्रदेश के लोगों को राहत पहुंचाने की बजाय मुख्यमंत्री और उनके मंत्री मसखरी कर रहे हैं। आपदा से गहरे जख्म सरकार की कारगुज़ारी से लोगों को पहुंच रहा है। आपदा में ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी मदद करने की परंपरा रही है। यह सरकार आपदा प्रभावितों के मामले में भी संवेदनहीन है। केंद्र सरकार द्वारा पिछले ढाई सालों में आपदा के लिए भेजी गई 5500 करोड रुपए की धनराशि का दसवां हिस्सा भी हिमाचल प्रदेश सरकार आपदा प्रभावितों पर खर्च नहीं कर पाई। वर्ष 2025 की आपदा को 3 महीने से ज्यादा का समय बीत गया। सरकार द्वारा राहत पैकेज की घोषणा को अभी 2 महीने से ज्यादा का समय बीत गया। 10 जुलाई को मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के लोगों को घर बनाने के लिए 7 लाख रुपए मिलेंगे। एक भी आपदा प्रभावित को सरकार की तरफ से राहत पैकेज का एक भी पैसा नहीं मिला है। हर बात पर सुक्खू सरकार केंद्र सरकार पर दोष नहीं डाल सकती। केंद्र सरकार नियमों के अनुसार हिमाचल प्रदेश को लगातार आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। नुकसान को देखते हुए आपदा राहत राशि में पहले भी बढ़ोतरी की गई इस बार भी 1500 करोड के पैकेज की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा की गई है। लेकिन मुख्यमंत्री यह समझ लें कि वह पैसा सरकार चलाने की बजाय आपदा प्रभावितों को राहत देने के लिए ही मिलेगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्र द्वारा जो भी प्रॉमिस किया जाता है वह निस्संदेह पूरा होता है। केंद्र द्वारा जारी शत प्रतिशत राज्यों को मिलता है। पहले भी मिलते आया है आगे भी मिलेगा। प्रधानमंत्री का स्पेशल पैकेज मोदी की गारंटी है। मोदी की गारंटी का मतलब उसके पूरा होने की गारंटी होता है। हिमाचल प्रदेश के हिस्से की पाई- पाई हिमाचल प्रदेश को मिलेगी। सरकार उसके लिए जो प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं सिर्फ उसका पालन करें। पहले भीं केंद्र सरकार द्वारा जो कहा गया वह दिया गया। हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा भी नरेंद्र मोदी की सरकार ने ही दिया जिसे यूपीए सरकार ने छीन लिया था। विशेष दर्जे के कारण हीआज हिमाचल प्रदेश को किसी भी परियोजना के खर्च का 40% के बजाय 10% की हिस्सेदारी ही देनी पड़ती है 90% खर्च अकेले केंद्र की मोदी सरकार ही वहन करती है। आज हिमाचल प्रदेश में एक्सटर्नल फंडेड जितने भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसका 90% भुगतान केंद्र सरकार द्वारा ही दिया जा रहा है। इसके बाद भी हर दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र सरकार और पूर्व की भाजपा सरकार को कोसना सरकार के लिए शर्म की बात है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र अपना काम कर रही है लेकिन सवाल यह है कि आपदा जैसी भयावह स्थिति में राज्य सरकार क्या कर रही है? क्या आपदा से त्रस्त लोगों की मदद करने का काम राज्य की सरकार का नहीं है? क्या राज्य सरकार अपने संसाधनों से आपदा प्रभावितों की कोई मदद नहीं करेगा? क्या प्रदेश के मुखिया सिर्फ केंद्र सरकार के ऊपर सारा दोष मढ़कर आपदा प्रभावितों को ऐसे ही सर्दी में ठिठुरने के लिए छोड़ देंगे। क्या केंद्र द्वारा भेजा गया आपदा राहत का पैसा मुख्यमंत्री सरकार प्रदेश चलाने में ही खर्च करेंगे। इसी विधानसभा सत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार द्वारा बताया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा 2023 से अब तक आपदा राहत के लिए लगभग 5500 करोड रुपए दे चुकी है। उसके बाद भी 207 करोड रुपए से ज्यादा की धनराशि एनडीआरएफ व अन्य मदों में हिमाचल में फिर से आई है। सरकार ने विधानसभा में बताया है कि सरकार द्वारा 300 करोड रुपए से कम धनराशि अब तक आपदा प्रभावितों को दी गई है। सभी आंकड़े सरकारी हैं। इसे झूठ बोलने में अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर चुकी सुक्खू सरकार ने सामने रखें हैं। इसलिए मुख्यमंत्री का पूरा प्रचार तंत्र और मित्र मंडली चाहकर भी आंकड़ों को झुठला नहीं पाएगी। तो मुख्यमंत्री से प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि केंद्र द्वारा अब तक भेजे गए आपदा राहत की धनराशि प्रदेशवासियों को क्यों नहीं मिली? केंद्र द्वारा भेजी गई धनराशि कहां खर्च हुई? क्या मुख्यमंत्री राज्य के संसाधनों से आपदा प्रभावित लोगों को राहत देंगे या नहीं? जिस व्यक्ति के सिर पर छत नहीं होती है उसके लिए एक-एक पल भारी होता है। लेकिन इस सरकार ने 3 महीने का वक्त ऐसे ही गुजार दिया। सर्दियों में ऐसे लोगों का क्या होगा उनके बारे में एक बार भी नहीं सोचा।
बस के ड्राइवर और कंडक्टर को ही बलि का बकरा बना रही है सरकार
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री एचआरटीसी की अनियमितताओं को लेकर मंत्री और प्रबंधन को दोष देते हैं। लेकिन प्रबंधन किसी भी अनियमितता के लिए सिर्फ ड्राइवर और कंडक्टर को बलि का बकरा बनाते हैं। कोई राहुल गांधी का वीडियो चला दे तो ड्राइवर कंडक्टर पर कार्रवाई होती है, बस को यात्री धक्का मार कर बस अड्डा पहुंचाते हैं तो भी और यदि बस में कोई सीट टूटी हो तब भी वीडियो वायरल होने पर यह सरकार ड्राइवर और कंडक्टर पर ही कार्रवाई करती है। क्या एचआरटीसी में सभी अनियमितता के लिए सिर्फ और सिर्फ ड्राइवर और कंडक्टर ही दोषी हैं? सरकार लोगों की आंखों में धूल झोंकने के बजाय अपनी जिम्मेदारी समझे तो सरकार और प्रदेश के लिए बेहतर होगा।











