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सोलन: नौणी में उप राष्ट्रपति ने किया संवाद

सोलन: सोलन के नौणी स्थित बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में युवा कृषि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और संकल्प विषय पर आयोजित कार्यक्रम में शनिवार को उप राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों व वैज्ञानिकों से संवाद किया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन में कहा कि “आजकल जब हम Artificial Intelligence की चर्चा करते हैं, तो युवा पीढ़ी भाग्यशाली है क्योंकि वे Agriculture Intelligence से Artificial Intelligence की यात्रा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि “Artificial Intelligence, Agriculture Intelligence ही वो माध्यम है जो ग्रामीण व्यवस्था के अंदर क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।”

हिमाचल प्रदेश के सोलन में डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में विकसित भारत के मार्ग पर चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा कि “विकसित भारत का रास्ता एही तरीके से जाएगा — किसान के खेत से। और वो तभी होगा, जब किसान का आप हाथ पकड़ेंगे।” उन्होंने किसानों को केवल अन्नदाता ही नहीं बल्कि भाग्य विधाता बताया।

एक्सपोर्ट की मानसिकता पर चिंता व्यक्त करते हुए  धनखड़ ने कहा, “मुझे बड़ी परेशानी होती है जब लोग कहते हैं — ‘यह export माल है, यह export के लिए है।’ भाई, क्यों? सबसे अच्छा तो हमको खाना है, सबसे अच्छा तो हमको पहनना है।” उन्होंने गर्व से बताया कि आज दुनिया की बड़ी संस्थाओं में भारतीय नेतृत्व कर रहे हैं और विशेष रूप से महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से अनुरोध किया कि वर्तमान में मिलने वाली 6,000 रुपये की राशि में मुद्रास्फीति के अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “यदि अगर सहायता सीधी किसान को मिलती है। जो भी कृषि क्षेत्र को अप्रत्यक्ष वित्तीय सहायता को मिल रही है वो यदि अगर सीधी किसान परिवारों को मिलती है तो हर किसान परिवार मेरा आँकलन है और मेरा आँकलन अध्ययन के पश्चात है जहाँ 6000 रुपये PM किसान निधि के मिल रहे हैं उसमें 30,000 रुपये सालाना जुड़ेंगे।”

प्रत्यक्ष सब्सिडी के फायदों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “यदि फर्टिलाइजर सब्सिडी सीधे किसानों को मिले तो किसान तय करेगा कि मैं वो फर्टिलाइजर खरीदूँ या पशुधन कर कर गोबर की खाद का उपयोग करूँ। किसान सोचेगा मैं ऑर्गैनिक कृषि करूँ, नैचुरलफ़ार्मिंग करूँ, किसान स्वयं इसका निर्धारण स्करे”

कार्यक्रम में ग्रामीण उद्यमिता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ” कृषक समुदाय के ग्रामीण लड़के और लड़कियों को उद्यमी, कृषि उद्यमी बनने के लिए यहां प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उनकी फौज खड़ी होनी चाहिए।” उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां किसान परिवारों की औसत आमदनी आम परिवारों से अधिक है और इसका कारण यह है कि सरकारी मदद सीधे किसानों को मिलती है।

मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा, “आज के दिन ग्रामीण व्यवस्था की ओर ध्यान देना पड़ेगा। गाँव में सब्ज़ी शहर से आती है, फल शहर से आते हैं — यह कैसे हम देश में बर्दाश्त कर सकते हैं कि टमाटर ज़्यादा हो गया तो टमाटर सड़कों पर जाएगा?” उन्होंने खेत पर ही मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश वीर भूमि भी है, गहराई में जाओगे तो वीर भूमि क्यो है? क्योंकि भारतीय सेना की जनसंख्या के आधार पर सबसे ज़्यादा अलंकरण इस प्रदेश को मिले। कारगिल के सफलतम युद्ध में जब हमने दुश्मन पाकिस्तान को लोहे के चने चबवाए और शांति का पाठ पढ़ाया उसमें हिमाचल प्रदेश के सपूतो को सर्वोच्च बलिदान के लिए सर्वोच्च अलंकरण दिया गया। यह वो भूमी है।

निश्चित रूप से, मुझे भारतीय सेना के पराक्रम पर गर्व होना चाहिए आप सबके साथ। ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता ने देश को एक नया आयाम दिया। अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार, उनके सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश में, आतंकी ठिकानों पर ‘जैश-ए-मोहम्मद’ और ‘लश्कर-ए-तैयबा’ के ठिकानों पर — बहावलपुर और मुरीदके में, हमारे आकाश ने, हमारी ब्रह्मोस ने; हमारे आकाश ने बचाया, ब्रह्मोस ने पराक्रम किया। ब्रह्मोस ने प्रतिघात किया। Terror dense were destroyed. और यह पहला मौका है कि कोई सबूत नहीं माँग रहा है। सबूत दिया, पर दुश्मन ने अपनी करारी हार का। ताबूत के साथ आतंकी दिखे, वर्दी में सेना दिखी, और नेता दिखे, और जनाज़ा कब्रिस्तान गया। यह भारतीय सेवा का गौरव है।

इस पुण्य भूमि से ज़्यादा कोई नहीं जानता कि हम दुनिया में शांति के दूत हैं, हज़ारो साल की संस्कृति में भारत ने कभी भी दूसरे पर आक्रमण नहीं किया, किसी की भूमि पर कब्जा नहीं किया। जो आ गया उसको समाहित किया पर ऐसा हम नहीं कर सकते की हमारी जो मूल आधार हैं, identity है उसको सुरक्षित करना हमारा धर्म है।

इस कार्यक्रम के अवसर पर सांसद सुरेश कुमार कश्यप, हिमाचल प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

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