सरकार प्रदेश में तलाश रही है कॉफी की खेती की संभावनाएं : बाल्दी

  • 10वां सांख्यिकीय दिवस आयोजित

शिमला : भारत सरकार के निर्देशानुसार आज पी.सी. महालानोबिस की 123वीं जयंती पर उनके द्वारा सांख्यिकी क्षेत्र में दिए गए योगदान को मान्यता देने के उददेश्य से आज यहां 10वां सांख्यिकी दिवस आयोजित किया गया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त एवं आर्थिकी एवं सांख्यिकी) डा. श्रीकांत बाल्दी ने इस अवसर पर प्रदेश सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा प्रकाशित प्रकाशन (एग्रीकल्चर, फार्मर वैल्फेयर-हि.प्र.) का विमोचन किया। इस रिपोर्ट में प्रदेश में कृषि व बागवानी क्षेत्र से सम्बन्धित हुए विकास एवं उपलब्धियों का बहुमूल्य डाटा उपलब्ध है।

डा. बाल्दी ने उपलब्धियों बारे जानकारी देते हुए कहा कि लगभग 10 प्रतिशत फसल क्षेत्र सब्जी उत्पादन के तहत है और प्रदेश सरकार गैर मौसमी सब्जियों की खेती के तहत 4000 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र लाने के प्रति वचनबद्ध है। 100 करोड़ रुपये की डा. वाई.एस. परमार किसान स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 8.3 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में 4700 पॉली हाउस निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को बागवानी तकनीकी मिशन के अन्तगर्त इनके निर्माण के लिए 85 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जा रहा है और इससे 20 हजार लोगों को रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में कॉफी की खेती की संभावनाएं को तलाश रही है, इसके लिए भारत सरकार के काफी बोर्ड ने कांगड़ा, मंडी, ऊना तथा बिलासपुर जिलों में पहले ही सर्वेक्षण करवाया है। मेंदली, फतहपुर, अणु, बड़शाली, जुखाला, टूटू, टापरी तथा शिलाई में किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य उपलब्ध करवाने के उददेश्य से विपणन यार्डों का निर्माण प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सभी सब्जियों व फलों पर लगने वाली विपणन शुल्क में छूट देने का भी निर्णय लिया है और सेब, नाशपाती, चैरी, अखरोट, स्ट्राबेरी की सुधरी किस्मों का आयात कर इसे किसानों में वितरित किया जा रहा है। फलों, विशेषकर सेब को ओलों से बचाने के लिए सरकार द्वारा एंटी हेलनेटों पर दिए जाने वाले उपदान को बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया गया है।

डा. बाल्दी ने कहा कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना में विस्तार कर इसके तहत फलों की फसलों को भी लाया गया है। सरकार द्वारा अनुकूलित वातावरण भंडार का निर्माण कर कोल्ड चेन नेटवर्क सृजित किया जा रहा है और फल उत्पादन क्षेत्रों में स्वचालित पैकिंग एवं ग्रेडिंग इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। भेड़ों की नस्ल सुधार, ऊन की विभिन्न किस्मों के प्रापण मूल्य में बढ़ौतरी की गई है और चारागाह परमिट प्रदान करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। नये एकीकृत जलागम प्रबन्धन कार्यक्रम को आरम्भ किया गया है, ताकि पानी का सही उपयोग व कृषि उत्पादन के लिए भूमि का संरक्षण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि मुख्य सिंचाई परियोजनाएं शाहनहर व सिधाता का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, जिससे 20 हजार हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है। उन्होंने कहा कि विधायक निधि के तहत दी जाने वाली राशि को 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 70 लाख रुपये किया गया है जिसमें से 20 लाख रुपये तक की राशि लघु सिंचाई योजना कार्य और कमांड क्षेत्र विकास पर खर्च करने का प्रावधान किया गया है।

प्रदेश सरकार ने राजीव गांधी सिंचाई योजना को आरम्भ किया है, जिसके अन्तर्गत 8500 हैक्टेयर क्षेत्र को ड्रिप स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के अन्तर्गत लाकर 14 हजार किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। उठाऊ सिंचाई योजनाओं/बोरवैल स्थापित करने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा केंचुआ खाद इकाइयां स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।

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