आजकल सेब बागीचों में हार्टीकलचरल मिनरल तेल या ट्री स्प्रे ऑयल का छिडक़ाव सभी दृष्टिकोण से हानिकारक : बागवानी विशेषज्ञ एस.पी. भारद्वाज

मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक किया जा सकता है सेब की विभिन्न वैरायटी के पौधो का रोपण

बर्फबारी से सेब की फसल के लिए अवशयक चिल्लिंग आवर्स पूरे होने की संभावना बढ़ी, पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर प्राप्त किए जा सकते है पौधे

मण्डी: लंबे ड्राई स्पेल के चलते, जो बागवान अपने बगीचों में फलदार पौधों का रोपण नहीं कर पाए हैे, उनके लिए यह बारिश व हिमपात वरदान से कम नहीं है। बागवान अब अपने बगीचों में विभिन्न प्रकार के पलदार पौधों का रोपण कर सकते है। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार पौध रोपण के लिए मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक फलदार पौधे रोपित करने के लिए उचित समय है।

विषय विशेषज्ञ उद्यान डाॅ. जगदीश चंद वर्मा ने बागवानों को बगीचों में पलदार पौधे रोपित करने की सलाह देते हुए बताया कि शीतोष्ण फल अभी सुप्त अवस्था में होते है इसलिए मार्च माह के दूसरे सप्ताह तक उनका पौधरोपण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि लंबे अन्तराल के बाद प्रदेश भर में बारिश व हिमपात होने से बागवानों के चेहरे खिल उठे है। सूखे के कारण बागवान पौधारोपण जैसे कार्य नहीं कर पा रहे थे। बागवानों को सेब में चिल्लिंग आवर्स पूरे होने की चिंता सता रही थी। उन्होंने बताया कि इस बारिश व हिमपात के हाने के बाद अब सेब की फसल के लिए अवशयक में चिल्लिंग आवर्स पूरे होने की संभावना बढ़ गई है।

गौरतलब है कि सेब की फसल के लिए चिल्लिंग आवर्स लगभग 800 से 1200 घंटे में पूरे होते है और उसके लिए लगभग 7 डिग्री से कम तापमान की आवश्यकता रहती है। बर्फवारी होने से अब जिसकी संभावना बन रही है। उन्होंने बताया कि ड्राई स्पेल के बावजूद भी क्षेत्र के बागवानों को अब तक लगभग 5 हजार सेब के पौधे उपलब्ध करवाए जा चुके है। उन्होंने बताया कि विभाग का प्रयास है कि बागवानों को उनकी मांग के अनुसार विभिन्न वैरायटी के फलदार पौधे उपलब्ध करवाए जाए जिसके लिए बागवान विभाग के पास अपनी डिमांड देकर भी पौधे प्राप्त कर सकता है।

उद्यान विकास अधिकारी चमेली नेगी ने बताया कि गत कुछ वर्षों से करसोग के निचले क्षेत्रों में बागवान सेब की उन्नत किस्मों का रोपण कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे है। इन क्षेत्रों में अधिकतर बागवान क्लोबल रूट स्टाॅक पर उच्च घनत्व पर बागवानी कर रहे है। जल्दी तैयार होने वाली सेब की हाई कलर स्ट्रेंन किस्में व गाला किस्में लगाकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है।

उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि वह केवल पंजीकृत पौधशाला से ही पौधों को खरीदें और अपने पास उपलब्ध संसाधनों व क्षेत्र की उंचाई को मध्यनजर रखते हुए क्लोबल रूट स्टाॅक और अन्य किस्मों का चयन करे।

विषय विशेषज्ञ उद्यान डाॅ. जगदीश वर्मा ने बताया कि बागवानों की मांग को देखते हुए उनकी सुविधा हेतू बागवानी विभाग करसोग द्वारा क्षेत्र के बागवानों को सेब की उन्नत किस्म की पौध सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसका वितरण चुराग स्थित विभाग के कार्यालय से पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जा रहा है।

सम्बंधित समाचार

Comments are closed