राज्यपाल ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की

शिमला: सामाजिक भेदभाव का मुकाबला करने में डॉ. अंबेडकर के समानता, भाईचारे व एकता के सिद्धांत महत्त्वपूर्ण: राज्यपाल
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज यहां चौड़ा मैदान स्थित अंबेडकर चौक, में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती के अवसर पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने लोगों को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए निर्बाध रूप से काम किया और अपना जीवन गरीबों, शोषितों और दलितों की भलाई के लिए समर्पित किया। उन्होंने विशेष रूप से सामाजिक भेदभाव का मुकाबला करने में डॉ. अंबेडकर के समानता, भाईचारे और एकता के दृष्टिकोण के प्रचार के महत्त्व को रेखांकित किया।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल (डॉ.) धनी राम शांडिल, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, उपायुक्त अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी, नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री, पार्षदगण, बाबा साहेब अंबेडकर वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों सहित अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।

सोलन: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज सोलन के कला केंद्र में सामाजिक दलित पीड़ित उत्थान संस्थान द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर की जयंती राष्ट्र के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता थे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक दस्तावेज के माध्यम से न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा कि सब कुछ बदल सकता है, लेकिन भारतीय संविधान की प्रस्तावना अपरिवर्तित रहेगी।
 शुक्ल ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन संदेश प्रत्येक समुदाय या वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जो गरीबों और दलितों के अधिकारों और उत्थान के लिए सदैव समर्पित रहे। शिक्षा, संघर्ष और एकता के लिए उनका आह्वान आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि शिक्षित होकर ही हम संघर्ष के लिए तैयार हो सकते हैं और संघर्ष से ही समाज में बदलाव आ सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि अपने शुरुआती जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करने और संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद भी डॉ. अंबेडकर को लगातार प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनकी दृढ़ता ने उन्हें संसद तक पहुंचाया और सामाजिक न्याय के मसीहा के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज किया। डॉ. अंबेडकर के विचारों की सार्वभौमिकता पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर दो महान व्यक्त्वि हैं जिनके विचारों का अध्ययन और सम्मान न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में किया जाता है।
 शुक्ल ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के लोगों से हिमाचल को सुंदर और नशामुक्त राज्य बनाने का आग्रह किया। उन्होंने महिलाओं से मादक द्रव्यों के सेवन के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने की अपील की ताकि जमीनी स्तर पर नशे की मांग को शून्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर हम वास्तव में भारतीय संविधान और डॉ. अंबेडकर की विरासत का सम्मान करना चाहते हैं, तो हमें नशामुक्ति के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना होगा।
राज्यपाल ने बाबा साहेब से जुड़े पांच तीर्थ स्थलों ‘पंचतीर्थ’ का विकास कर डॉ. अंबेडकर की विरासत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। इससे उनकी स्मृति को संरक्षित किया जा सकेगा और भावी पीढ़ियां भी प्रेरित होंगी।
राज्यपाल ने समाज के लिए अनुकरणीय सेवा प्रदान करने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने भारतीय संविधान में प्रतिबिंबित डॉ. अंबेडकर के ज्ञान, शोध और अनुभव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण को अपनाकर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने दलित अधिकारों और सामाजिक उत्थान के लिए डॉ. अंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी विस्तार से बताया।
पूर्व मंत्री राजीव सैजल ने भी समारोह को संबोधित किया।
इससे पूर्व, सामाजिक दलित पीड़ित उत्थान संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप ने राज्यपाल का स्वागत और सम्मान किया।
नगर निगम सोलन की महापौर ऊषा शर्मा, राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा, विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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