भारत ने किया ई-वीज़ा शक्ति का विस्तार

…ई टूरिस्ट वीजा से हुई विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी

‘सरकार के दो वर्ष’

 

  • लेख
  • मंजरी चतुर्वेदी*
  • पर्यटन की हिस्सेदारी को बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख एजेंडों में से एक
  • विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी सरकार तमाम कोशिशें
  • सरकार बुनियादी ढांचे को सुधारने से लेकर पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं की बेहतरी पर दे रही है जोर

पर्यटन के क्षेत्र में विकास और देश की जीडीपी में पर्यटन की हिस्सेदारी को बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इसके लिए केंद्र सरकार जहां एक ओर घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है तो दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। इसके तहत सरकार बुनियादी ढांचे को सुधारने से लेकर पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं की बेहतरी पर जोर दे रही है। केंद्र सरकार पर्यटन के नक्शे पर भारत का नाम प्रमुखता से उभारना चाहती है, इसी के मद्देनजर वह विदेशी पर्यटकों को भारत बुलाने पर खासा ध्यान दे रही है।

इसके तहत जहां एक ओर भारत सरकार ने ई टूरिस्ट वीजा का शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों के लिए स्पेशल हेल्पलाइन से लेकर टूरिस्ट किट व मोबाइल सिम तक तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने नंवबर 2014 को भारत में ई टूरिस्ट वीजा की शुरुआत की थी। इसके लिए पर्यटन मंत्रालय ने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया था।

ई टूरिस्ट वीजा योजना के शुरू में 43 देशों को ये सुविधा दी गई थी, लेकिन 2016 आते- आते यह सुविधा 150 देशों तक पहुंच चुकी हैं। जिसमें दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देश तक सब शामिल हैं। गौरतलब है कि इस समय देश के 16 महत्वपूर्ण एयरपोर्ट पर यह सुविधा काम करने लगी है। इन महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरू, तिरुअनंतपुरम, गोवा, कोच्चि, वाराणसी, गया, अहमदाबाद, अमृतसर, तिरुचिरापल्ली, जयपुर और लखनऊ शामिल हैं।

विदेशी पर्यटकों की आवक को लेकर की जा रही कोशिशों का असर अब दिखने लगा है। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो देश में ई टूरिस्ट सुविधा लागू होने के बाद विदेशी पर्यटकों की आवक बढ़ी है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक ट्रैवल एंड टूरिस्ट इंडेक्स में भारत की स्थिति पहले से मजबूत हुई है। जहां यह पहले 65वें पायदान पर था, वहीं ताजा आंकड़ों के मुताबिक 12 पायदान आगे बढ़कर अब 53 पायदान पर आ गया है। गौरतलब है कि जनवरी से दिसंबर तक साल 2015 में जहां विदेशी पर्यटकों की तादाद 80.2 लाख रही, जबकि जनवरी से दिसंबर तक साल 2014 में यह तादाद 76.8 लाख थी। एक साल में इस आंकड़े में 4.4 फीसदी की बढोतरी देखी गई। इस साल भी इसमें भरपूर बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। साल 2016 की जनवरी में भी ट्रेंड लगातार जारी है। इस साल जनवरी में जहां 8.4 लाख लोग आए, वहीं जनवरी 2015 में विदेशी पर्यटकों की आवक 7.9 लाख थी। इस तादाद में तकरीबन 6.8 फीसदी का इजाफा देखा गया।

विदेशी पर्यटकों की आवक का एक बडा़ असर देश की विदेशी मुद्रा की आय में बढ़ोतरी के तौर पर भी दिखा। सरकारी आंकड़ें के मुताबिक, विदेशी पर्यटकों के जरिए साल 2013 में जहां 1,07,671 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आय हुई, वहीं साल 2014 में यह बढ़कर 1,23,320 करोड़ रुपये हुई, जबकि साल 2015 में यह राशि 1,35,193 करोड़ रुपये हो गई। विदेशी पर्यटकों की आवक में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी ई टूरिस्ट वीजा के तहत हुई है। जनवरी से दिसंबर तक साल 2015 में ई टूरिस्ट वीजा पर 4,45,300 पर्यटक दिल्ली पहुंचे, वहीं दूसरी ओर इसी अवधि में साल 2014 में यह संख्या 39,046 थी। इस दृष्टि से यही बढ़ोतरी लगभग 1040 फीसदी रही। साल 2016 के जनवरी-फरवरी में ई टूरिस्ट वीजा के जरिए 2,05,372 पर्यटक पहुंचे, जबकि इसी अवधि में साल 2015 में यह तादाद 50,008 थी। इस लिहाज में यह वृद्धि तकरीबन 310 फीसदी रही। साल 2015 में ई टूरिस्ट के जरिए भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में सबसे ज्यादा तादाद यूके, अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, चीन, दक्षिण कोरिया और चीन की रही।

ई टूरिस्ट वीजा के जरिए भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए भारत सरकार ने एक स्वागत पुस्तिका या वेलकम बुकलेट की सुविधा देना भी शुरू किया है, जिसमें विदेशी पर्यटकों को एयरपोर्ट पर उतरते ही एक बुकलेट दी जाती है, जिसमें पर्यटन अधिकारियों के संपर्क नबर, ईमेल आई डी जैसी तमाम जानकारी के साथ-साथ यहां ‘क्या करें’ और ‘क्या न करें’ की एक लिस्ट भी रहती है। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर की जानकारी भी होती है। पर्यटन मंत्रालय ने विदेशी पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक टूरिस्ट हेल्प लाइन सेवा भी शुरू की है, जिसमें फिलाहल बारह विदेशी भाषाओं के माध्यम से जानकारी उपलब्ध है।

यहां जानना रोचक होगा कि पर्यटन मंत्रालय विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग जरूरतों और रुचियों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन की सुविधाओं और योजनाओं पर काम करना शुरू किया है; मसलन धार्मिक पर्यटन, मेडिकल पर्यटन, एडवेंचर व रोमांचक पर्यटन के अलावा, सामान्य पर्यटन तो है ही। भारत कई धर्मों का एक संगम है; इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने धार्मिक पर्यटन का बढ़ावा दिया है। एनडीए सरकार द्वारा शुरू किए गए बुद्ध सर्किट, रामायण सर्किट और कृष्ण सर्किट इसी मकसद से आगे बढ़ाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चीन, जापान, कोरिया, हांगकांग सहित तमाम पूर्वोतर एशियाई देशों में बड़ी तादाद में बौद्ध रह रहे हैं। इन सब देशों के लिए भारत एक बेहद सम्मानित और पावन स्थान के तौर पर देखा जाता है; इसी के मद्देनजर भारत सरकार देश में बुद्ध सर्किट को लेकर काफी गंभीरता से काम कर रही है। भारत बु़द्ध सर्किट को लेकर सिर्फ देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अपने पड़ोसी देशों मसलन, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों के साथ मिलकर भी एक ग्रेटर बुद्ध सर्किट की दिशा में आगे बढ़ने की योजना बना रही है।

वहीं दूसरी ओर भारत ने मेडिकल और वेलनेस पर्यटन की दिशा में भी काफी कदम आगे बढ़ाया है। इसी के मद्देनजर पर्यटन मंत्रालय ने देश में मेडिकल एंड वेलनेस टूरिजम प्रमोशन बोर्ड बनाया है। इसका मकसद देश व दुनिया के तमाम रोगियों को भारत में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है। उल्लेखनीय है कि भारत के मेडिकल सुविधाओं, क्वालिटी और डॉक्टरों व हॉस्पिटल्स के स्तर को देखते हुए अब पूरी दुनिया से लोग भारत इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें पूर्वोतर व पश्चिमी एशियाई देशों के अलावा, यूरोप व लैटिन अमेरिकी देशों के लोग शामिल हैं। दरअसल, पर्यटन से जुड़े नियोजकों का मानना है कि इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशी अपने शिड्यूल में थोड़ा समय घूमने फिरने के लिए भी रखते हैं। दूसरी ओर अब वेलनेस भी लोगों के बीच एक बड़ा ट्रेंड हो गया है। दुनिया में अब तमाम लोग योग व नेचुरल थेरेपी, स्पा आदि के जरिए अपनी सेहत को ठीक रखने पर जोर देने लगे हैं। इसे देखते हुए केरल, सहित देश के तमाम हिस्सों में नेचुरोपैथी व योग जैसी चीजों के लिए बड़ी तादाद में विदेशी भारत आ रहे हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार इस क्षेत्रों को संगठित करने की कोशिश में लगी है।

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