मुख्यमंत्री ने किया 58 करोड़ के राज्य डाटा केन्द्र का लोकार्पण

  • यह देश का पहला ‘हरित’ डाटा केन्द्र होगा
  • शिमला शहर के लिए मोबाइल पार्किंग ऐप का शुभारम्भ
  • लोक मित्र केन्द्रों के माध्यम से 101 ई-गर्वेंनस सेवाएं आरम्भ करने के निर्देश

 

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज शिमला के समीप मैहली में राज्य डाटा केन्द्र (एसडीसी) तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के नये भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने शिमला शहर के लिए मोबाईल पार्किंग ऐप का भी शुभारम्भ किया, जिसे शीघ्र ही राज्य के अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर वन मंत्री -ठाकुर सिंह भरमौरी, विधायक अनिरूद्ध सिंह, महापौर संजय चौहान, उप महापौर टिकेन्द्र पंवर, हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा, मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल, शहरी विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा, सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक संदीप कुमार, नगर निगम शिमला के आयुक्त पंकज राय तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

एसडीसी के निर्माण पर 58 करोड़ रुपये तथा विभाग के नये भवन के निर्माण पर 8.66 करोड़ रुपये की लागत आई है। मुख्यमंत्री ने ई-जिला परियोजना के अन्तर्गत राजस्व व कल्याण सेवाओं की प्रस्तुति भी देखी, जिसमें विभिन्न विभागों का डाटा बेस संकलित किया गया है। इस अवसर पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश का अपना डाटा केन्द्र होना गौरव की बात है, जो देश में पहला ‘हरित’ डाटा केन्द्र है क्योंकि ऊर्जा उपयोग क्षमता को बढ़ाकर यह ऊर्जा खपत को कम करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीकी से लोगों के बीच संवाद क्रांति आई है और विश्वभर में व्यापारिक आदान-प्रदान इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी विभागों को नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए सूचना एवं तकनीकी का बेहतर उपयोग करना चाहिए।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि यह डाटा केन्द्र सभी सरकारी विभागों को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सृजित आम सूचना तकनीक बुनियादी सुविधाओं का उपयोग करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस सेवा का उपयोग करने वाले विभागों को अब सर्वर, डाटा बेस इत्यादि की खरीद पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी तथा एसडीसी द्वारा यह ऐप सेवा निःशुल्क प्रदान की जाएगी। क्षेत्रीय कार्यालयों तक विभागीय ऐप की पहुंच के लिए हिमस्वान सम्पर्क प्रदान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को अपने स्तर पर अधोसंरचना विकसित करने के बजाए एसडीसी ई-गवर्नेंस ऐप का प्रयोग करने को कहा। वीरभद्र सिंह ने कहा कि सभी विभागों को अपने डाटा-बेस का सत्यापन तथा डिजिटाइजेशन के लिए सत्त प्रयास करने चाहिए ताकि इसके माध्यम से सभी प्रकार के दस्तावेज एवं प्रमाण पत्र तैयार किए जा सकें और इससे दो तरह के अभिलेखों के रख-रखाव की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। उन्होंने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए लोकमित्र केन्द्रों के माध्यम से 101 ई-गवर्नेंस सेवाएं आरम्भ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अभी तक एसडीसी में 115 तहसीलों व उप-तहसीलों का भू-अभिलेख स्थानान्तरित किया जा चुका है, और इसे ऑफ-लाईन इंतकाल डाटा को संकलित करने के लिए उपयोगी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि संभवतः हिमाचल प्रदेश शीघ्र ही सही मायनों में ऑनलाइन भू-अभिलेख उपलब्ध करवाने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। उन्होंने अत्याधुनिक डाटा केन्द्र तथा पार्किंग ऐप विकसित करने के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की।

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विद्या स्टोक्स ने कहा कि राज्य के लोगों को उनके घरद्वार के समीप आईसीटी पहल के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाकर उनके जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने में प्रदेश अग्रणी बन कर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग सॉफ्टवेयर तथा एप्लिकेशन को विकसित करने तथा कार्यान्वित करने के निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि 10 राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्राप्त करना व अन्य अनेक क्षेत्रों में पहचान स्थापित करना राज्य के लिये गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि राज्य ने कम लागत व नागरिक मित्र ढंग से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। स्टोक्स ने कहा कि पंचायत स्तर पर स्थापित 2000 से अधिक लोक मित्र केन्द्रों के माध्यम से नागरिकों को एक छत के नीचे विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाओं का लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि 70 लाख लोगों के आधार नम्बर सृजित किए जा रहे हैं और इस दिशा में राज्य ने देश में अग्रणी स्थान बरकरार रखा है।

इससे पूर्व, अतिरिक्त मुख्य सचिव (आईटी) संजीव गुप्ता ने अपनी प्रस्तुति के दौरान अवगत करवाया कि राज्य में लोक मित्र केन्द्रों से माध्यम से विभिन्न प्रकार की 58 सरकारी सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही है, और चालू वित्त वर्ष के अंत तक 101 सेवाएं प्रदान करने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि पार्किंग ऐप एक अनूठी पहल है, जो पर्यटकों तथा शिमला शहर के स्थानीय लोगों को एक कॉल अथवा मोबाइल फोन से संदेश के माध्यम से पार्किंग स्थल ढूंढने में मदद करेगी। पार्किंग के मालिक, पार्किंग की क्षमता व शुल्क के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। उन्होंने कहा कि यह ऐप आगन्तुकों व स्थानीय नागरिकों की सुविधा के लिए राज्य के अन्य शहरों में भी शीघ्र आरम्भ की जाएगी।

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