जो कार्य कांग्रेस 60 वर्षों में नहीं कर पाई, वो मोदी सरकार ने मात्र दो वर्षों में कर दिखाया : प्रो. धूमल

शिमला: नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने मोदी सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल को असाधारण व अभूतपूर्व करार देते हुए कहा कि विकास की दृष्टि से जो कार्य कांग्रेस 60 वर्षों में नहीं कर पाई, वो मोदी सरकार ने मात्र दो वर्षों में करके दिखाया है। देश के विकास के लिए सरकार द्वारा जिस गति से कार्य किया जा रहा है, उससे न केवल देश बल्कि अन्य राष्ट्र भी अचंभित है। कार्यकाल के आगामी तीन वर्षों में यह सरकार दुनियाभर में भारत की श्रेष्ठता का नया अध्याय लिखने जा रही है।

प्रो. धूमल ने कहा कि मोदी सरकार देश को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए चार स्तरीय योजना पर कार्य कर रही है। 1. देश के अधोसंरचनायी ढांचे का विकास 2. गांव, गरीब, किसान, महिला व नौजवानो के विकास के कार्यक्रमों और नीतियों का कार्यान्वयन 3. सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर जोर 4. विदेशों में भारत के सम्मान को बढ़ाने के लिए कार्य। दो वर्षों के अल्पकाल में मोदी सरकार की अनथक मेहनत के परिणाम दिखना शुरू हो गए हैं। यूपीए सरकार के समय बने निराशा के वातावरण से उभर कर देश अब प्रगति के पथ पर दौड़ना शुरू हो गया है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं है।

प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि मोदी सरकार के दो वर्षों का कार्यकाल हिमाचल के विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित हुआ है। पूर्व में हिमाचल के साथ भेदभाव की परम्परा को समाप्त करते हुए 14वें वित्तायोग के माध्यम से पर्याप्त धनराशि स्वीकृत की गई। इसी के साथ धर्मशाला में स्मार्ट सिटी, बिलासपुर में एम्स, सिरमौर में आईआईएमएस, हमीरपुर, चम्बा व सिरमौर में मैडिकल कॉलेजों के लिए 600 करोड़, ड्रग फार्मा हब की स्वीकृति, रेलवे के विकास के लिए 353 करोड़ रू. व 23 नेशनल हाईवे व दो औद्योगिक कॉरिडोर, इनके निर्माण में लगभग 25000 करोड़ रू. का खर्च आएगा, की स्वीकृति देकर प्रदेश के विकास को नए आयाम दिए हैं। प्रो. धूमल ने कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने हिमाचल के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है।

प्रो.धूमल ने कहा कि इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों को केन्द्रीय सहायता मिलेगी वह अलग से होगी और पिछले दो वर्षों में विभिन्न विभागों को दी गई केन्द्रीय सहायता निम्न प्रकार से है:-

  •  नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत प्रदेश को पिछले दो वर्षों में 1958.54 करोड़ रू. की सबसिडी मिली है। इसके अतिरिक्त इस दौरान 182.27 करोड़ रू. की सबसिडी चीनी के लिए केन्द्र ने प्रदेश सरकार को दी है।
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो वर्षों में प्रदेश को लगभग 135 करोड़ रू. दिए जा चुके हैं जिसमें वर्ष 2014-15 में 54,265 शौचालय बनाए गए और वर्ष 2015-16 में 66,632 शौचालयों का निर्माण किया गया है।
  • प्रदेश के पर्यावरण की रक्षा के लिए केन्द्र सरकार मई 2014 से लेकर अब तक 35 करोड़ रू0 व्यय कर चुकी है।
  • औद्योगिक अधोसंरचना के उन्नयन की योजना के तहत कंदरोरी व पण्डोगा के लिए लगभग 50 करोड़ रू. स्वीकृत किए गए हैं। प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट सबसिडी के तहत 16.24 करोड़ रू. और विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत 18.32 करोड़ रू0 केन्द्र ने हिमाचल को जारी किए हैं।
  • स्वयल हैल्थ कार्ड स्कीम के तहत 2012-13 और 2013-14 में यूपीए सरकार ने मात्र 36.26 करोड़ रू. दिए थे जबकि पिछले दो वर्षों में मोदी सरकार ने इस योजना के तहत 453.85 करोड़ रू. स्वीकृत किए हैं।
  • कृषि निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत प्रदेश को लगभग 32 करोड़ रू. स्वीकृत किए गए हैं। नेशनल कैरियर सर्विस योजना के तहत ऊना और शिमला में मॉडल कैरियर सैन्टर के निर्माण हेतु केन्द्र सरकार ने 5 करोड़ 8 लाख रू. स्वीकृत किए हैं।
  •    नेशनल हैल्थ मिशन के तहत हिमाचल को पिछले दो वर्षों में 532.43 करोड़ रू. स्वीकृत हुए हैं।

प्रो. धूमल ने कहा कि इसके अतिरिक्त भी अन्य विभागों को केन्द्रीय सहायता के रूप में करोड़ों रू. मिले या मिल रहे हैं, परन्तु इसे प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतना अधिक पैसा मिलने के बाद भी प्रदेश सरकार इसे सुनियोजित ढंग से व्यय करने में नाकाम साबित हो रही है। अगर प्रदेश के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए इस पैसे को सुनियोजित ढंग से खर्च नहीं किया गया तो कोई दो राय नहीं कि हिमाचल की परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।

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